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दुर्लभ: बच्चे को जन्म से डेंगू, मां से हुआ संक्रमण

मुंबई के कुर्ला इलाके में जन्म से बच्चे में डेंगू के इंफेक्शन होने का एक दुर्लभ मामला सामने आया है। डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चे में डेंगू का इंफेक्शन मां से हुआ है और यह नाल के जरिए बच्चे में स्थानांतरित हुआ। विशेषज्ञों के मुताबिक गर्भावस्था में डेंगू का अगर समय रहते इलाज न हुआ तो ये मां के साथ-साथ बच्चे के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 5 Oct 2017, 3:06 pm
मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई के कुर्ला इलाके में जन्म से बच्चे में डेंगू के इंफेक्शन होने का एक दुर्लभ मामला सामने आया है। डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चे में डेंगू का इंफेक्शन मां से हुआ है और यह नाल के जरिए बच्चे में स्थानांतरित हुआ। विशेषज्ञों के मुताबिक गर्भावस्था में डेंगू का अगर समय रहते इलाज न हुआ तो ये मां के साथ-साथ बच्चे के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

खबर के मुताबिक कुर्ला निवासी तस्फिया शेख (36 वर्ष) को 11 सितंबर को बुखार के साथ पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत हुई। उस दौरान वह 37 महीने की गर्भवती थीं। जांच में सामने आया कि महिला के भ्रूण की हृदय गति काफी तेज है। इसके बाद सांताक्रूज के सूर्या अस्पताल में महिला की डिलीवरी हुई। पैदा हुए बच्चे का वजन 2.91 किलो पाया गया जो कि एक स्वस्थ बच्चे का वजन होता है।

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साथ ही बच्चे में किसी प्रकार के रोग का कोई लक्षण भी नहीं था लेकिन दूसरे दिन से उसे बुखार आना शुरू हो गया। इस समय तक मां की डेंगू रिपोर्ट में पॉजिटिव आई। सूर्या अस्पताल के नियोनैटोलॉजिस्ट डॉ. नंदीकिशोर काबरा ने बताया कि डेंगू के वायरस जब व्यक्ति को संक्रमित करते हैं तो इसके लक्षण तीन से दस दिन में पता चलते हैं। ऐसे में यह साफ है कि बच्चे को जन्म से डेंगू का संक्रमण था जिसके लक्षण 48 घंटे बीतने के बाद सामने आए। हालांकि बच्चे का पहला डेंगू एनएस 1 एंटीजन टेस्ट निगेटिव आया था।

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साल का पहला ऐसा मामला
जब पांच दिन तक बच्चे को लगातार बुखार बना रहा तो डॉक्टर ने दोबारा निरीक्षण किया और इस बार रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। बच्चे का प्लेटलेट्स भी 90,000 तक गिर गया था जबकि नॉर्मल प्लेटलेट्स रेट 1.5 लाख से 4.5 लाख तक होती है। इसके बाद पैरासिटामॉल के जरिए बच्चे के बुखार पर नियंत्रण किया गया लेकिन प्लेटलेट्स गिरना लगातार जारी रहा। 12 वें दिन बच्चे का प्लेटलेट्स काउंट 8,000 तक हो गया जिसके बाद प्लेटलेट्स चढ़ाने की नौबत आ गई। 17 दिन तक अस्पताल में बच्चे का इलाज चला।
सूर्या अस्पताल के निदेशक डॉ. भूपेंद्र अवस्थी इसे साल का पहला ऐसा मामला बताया।

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