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निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले पर रोक, छात्र नाराज

गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने निजी गैर-अनुदानित मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया को स्थगित कर...

आकांक्षा प्रभु | नवभारत टाइम्स 3 Sep 2016, 2:34 am

मुंबई

नवभारतटाइम्स.कॉम students angered by private medical colleges admission process was postponed
निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले पर रोक, छात्र नाराज

गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने निजी गैर-अनुदानित मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया को स्थगित कर वहां प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कर रहे 16,400 विद्यार्थियों को जोर का झटका दे दिया। नासिक में एक डेंटल कॉलेज चला रही महात्मा गांधी विद्या मंदिर नामक ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फिलहाल यह स्थगन लगाया है। इससे प्रवेश प्रक्रिया और सिलेक्शन लिस्ट जो 3 सितंबर को जारी की जानी थी, अब इस मामले में 6 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक के लिए रोक दी गई है। यह याचिका राज्य के विद्यार्थियों को निजी गैर-अनुदानित मेडिकल कॉलेजों में दिए जाने वाले 85% सीटों के आरक्षण के खिलाफ दायर की गई थी। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा प्रवेश प्रक्रिया पर लगाए गए स्थगन के बाद विद्यार्थियों और अभिभावकों में आक्रोश व्याप्त है। इस वजह शुक्रवार को अनेक अभिभावकों और विद्यार्थियों ने साथ मिलकर एक वरिष्ठ वकील से मुलाकात की। अभिभावकों ने बताया कि वे शनिवार को इस संबंध में अपनी ओर से एक याचिका दायर करने वाले हैं और आगामी मंगलवार को वे सब मिलकर हाई कोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

सुधा शिनॉय नामक एक अभिभावक ने बताया कि NEET परीक्षा से पहले उनके सहित कई अभिभावकों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा से मुलाकात कर सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में राज्य के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित 85% सीटों के विषय में बात की थी, जिस पर दोनों ने आश्वासन दिया था कि ये सीटें NEET के बाद भी आरक्षित रहेंगी। सुधा शिनॉय ने आगे कहा कि जब महाराष्ट्र अनऐडेडे प्राइवेट प्रफेशनल्स एजुकेशनल इंस्टिट्यूशंस ऐक्ट में भी राज्य के विद्यार्थियों के लिए 85% आरक्षित सीटों का प्रावधान है, तो इस तरह की याचिका दायर करने का क्या मतलब।

जब इस मसले पर विद्यार्थियों से बात की गई, तो कृषा शाह नामक छात्रा ने कहा, हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि कहां जाएं। हम मेडिकल की पढ़ाई करनी है, लॉ की नहीं। लेकिन जिस तरह लगातार चीजें घट रही हैं, उससे कुछ समझ नहीं आ रहा है। फिलहाल हम हाई कोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।

चार्मी मिस्त्री नामक एक अन्य छात्रा ने कहा, इस सब में हम विद्यार्थी पिस रहे हैं क्योंकि प्रवेश प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है और प्रवेश के लिए 30 सितंबर अंतिम तारीख है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कह दिया है कि 30 सितंबर तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए और हम विद्यार्थियों को अब तक यही नहीं पता कि यह प्रक्रिया आखिर शुरू कब होगी। मेरी तो यही गुजारिश है कि हाई कोर्ट जो भी फैसला ले जल्द से जल्द ले, ताकि फिर कॉलेज भी जल्द शुरू हो सके। आम तौर पर सितंबर में क्लासेस भी शुरू हो जाती हैं, लेकिन अभी तो प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई।

कुछ अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि यह विद्यार्थियों और अभिभावकों के खिलाफ एक तरह की साजिश है, जिससे वे डीम्ड यूनिवर्सिटीज की ओर रुख करें, क्योंकि वहां सोमवार से काउंसलिंग शुरू होने जा रही है और निजी कॉलेजों में दाखिले का अब तक कुछ अता-पता नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि डीम्ड यूनिवर्सिटीज की फीस बहुत ज्यादा रहती है और इससे उन्हें फायदा पहुंचेगा।

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