मुंबई
वेस्टर्न रेलवे की लॉन्ग डिस्टेंस ट्रेनों में आपको बहुत जल्द पहली बार महिला टिकट चेकर्स देखने को मिलेंगी। वेस्टर्न रेलवे के पास अब तक महिला टिकट चेकर्स का स्टाफ था लेकिन यह पहला मौका होगा जब लॉन्ग डिस्टेंस ट्रेनों में भी टिकट चेकर्स के रूप में महिलाएं सेवा देंगी।
शुरुआत के लिए दो महिलाएं नीरू वाधवा और राधा अय्यर मुंबई-सूरत इंटरसिटी एक्सप्रेस पर फर्स्ट क्लास के यात्रियों के टिकट चेक करेंगी। इस नई परंपरा की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानी 8 मार्च से होगी।
इसके लिए पहले ही उन 20 महिलाओं को सिलेक्ट कर लिया गया था जिनके पास लंबा अनुभव था और जो लॉन्ग डिस्टेंस ट्रेनों में टिकट चेकर्स की भूमिका निभा सकती हैं। इन महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए तीन बैंचों में बांट दिया गया था और मुंबई-सूरत इंटरसिटी में इनकी ट्रेनिंग करीब 4 महिने तक चली थी।
एक सीनियर WR ऑफिशल ने कहा, 'जब हमने इन महिलाओं के बैंचों को डमी टिकट चेक करने के लिए भेजा तो शुरुआत में काफी दिक्कतें देखने को मिली। जैसे सूरत में फीमेल स्टाफ के लिए कोई रेस्ट रूम न होना। हमने इन प्रॉब्लम को दूर किया।'
इस समस्या से निपटने के लिए महिला टिकट चेकर्स के लिए टॉइलट और बेड की सुविधा वाला रेस्टरूम बनवाया गया जो पहले सिर्फ पुरुषों के लिए था।
WR के डिविजनल रेलवे मैनेजर मुकुल जैन ने कहा कि हमारा विचार एक ऐसी ट्रेन का था जिसमें पूरा स्टाफ महिलाओं का हो, एस्कॉर्ट्स से लोको पायलट तक। हमारे पास कोई लोको पायलट नहीं है इसलिए हमने फिर महिला टिकट चेकर्स रखने का फैसला लिया।
वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ ने रेलवे के इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रयोग बस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के एक दिन के लिए ही होना चाहिए।
मजदूर संघ के विभागीय सचिव अजय सिंह मे कहा, महिलाओं को लाइट ड्यूटी देनी चाहिए क्योंकि उनके ऊपर अपने परिवार की भी जिम्मेदारी होती है। क्या होगा अगर ड्यूटी के दैरान उनके साथ कोई घटना हो जाए? क्या एक महिला अकेले 3 यात्रियों को हैंडल कर पाएगी?
वेस्टर्न रेलवे की लॉन्ग डिस्टेंस ट्रेनों में आपको बहुत जल्द पहली बार महिला टिकट चेकर्स देखने को मिलेंगी। वेस्टर्न रेलवे के पास अब तक महिला टिकट चेकर्स का स्टाफ था लेकिन यह पहला मौका होगा जब लॉन्ग डिस्टेंस ट्रेनों में भी टिकट चेकर्स के रूप में महिलाएं सेवा देंगी।
शुरुआत के लिए दो महिलाएं नीरू वाधवा और राधा अय्यर मुंबई-सूरत इंटरसिटी एक्सप्रेस पर फर्स्ट क्लास के यात्रियों के टिकट चेक करेंगी। इस नई परंपरा की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानी 8 मार्च से होगी।
इसके लिए पहले ही उन 20 महिलाओं को सिलेक्ट कर लिया गया था जिनके पास लंबा अनुभव था और जो लॉन्ग डिस्टेंस ट्रेनों में टिकट चेकर्स की भूमिका निभा सकती हैं। इन महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए तीन बैंचों में बांट दिया गया था और मुंबई-सूरत इंटरसिटी में इनकी ट्रेनिंग करीब 4 महिने तक चली थी।
एक सीनियर WR ऑफिशल ने कहा, 'जब हमने इन महिलाओं के बैंचों को डमी टिकट चेक करने के लिए भेजा तो शुरुआत में काफी दिक्कतें देखने को मिली। जैसे सूरत में फीमेल स्टाफ के लिए कोई रेस्ट रूम न होना। हमने इन प्रॉब्लम को दूर किया।'
इस समस्या से निपटने के लिए महिला टिकट चेकर्स के लिए टॉइलट और बेड की सुविधा वाला रेस्टरूम बनवाया गया जो पहले सिर्फ पुरुषों के लिए था।
WR के डिविजनल रेलवे मैनेजर मुकुल जैन ने कहा कि हमारा विचार एक ऐसी ट्रेन का था जिसमें पूरा स्टाफ महिलाओं का हो, एस्कॉर्ट्स से लोको पायलट तक। हमारे पास कोई लोको पायलट नहीं है इसलिए हमने फिर महिला टिकट चेकर्स रखने का फैसला लिया।
वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ ने रेलवे के इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रयोग बस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के एक दिन के लिए ही होना चाहिए।
मजदूर संघ के विभागीय सचिव अजय सिंह मे कहा, महिलाओं को लाइट ड्यूटी देनी चाहिए क्योंकि उनके ऊपर अपने परिवार की भी जिम्मेदारी होती है। क्या होगा अगर ड्यूटी के दैरान उनके साथ कोई घटना हो जाए? क्या एक महिला अकेले 3 यात्रियों को हैंडल कर पाएगी?