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बिजली की खपत में आई 33 प्रतिशत की कमी

ऊर्जा मंत्री नितिन राउत कहते हैं कि जहां से बिजली सस्ती मिल रही है, वहीं से खरीद रहे हैं या फिर उत्पादन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि हमारी कोशिश है कि हमारा कम से कम नुकसान हो, क्योंकि फिक्स चार्ज तो देना ही पड़ता है।

Navbharat Times 29 Aug 2020, 3:51 pm
मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम nitin raut
ऊर्जा मंत्री नितिन राउत

महाराष्ट्र सरकार कितने भी दावे करे कि राज्य में कारोबार एक बार फिर से पटरी पर लौट आया है, लेकिन बिजली खपत के आंकड़ों ने उनके दावों की पोल खोल दी है। ऊर्जा मंत्री नितिन राउत में 33 प्रतिशत की गिरावट आई है। राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत कहते हैं कि महाराष्ट्र में बिजली की खपत में कमी आई है, लेकिन जल्द ही हमारे दिन लौटेंगे। वैसे, महाराष्ट्र में कोरोना से पहले प्रतिदिन 33000 मेगावाट बिजली की खपत होती थी।

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने लिए लॉकडाउन लगा दिया था। कल-कारखाने, दुकान वगैरह बंद कर दिए गए थे, सिर्फ घरेलू व अतिआवश्यक सेवाओं से जुड़े स्थानों पर ही बिजली की आपूर्ति की जा रही थी। इससे बिजली के उत्पाद और खपत में भारी गिरावट आई। लॉकडाउन में जैसे-जैसे राहत मिलती गई वैसे-वैसे उद्योग खुलने लगे। हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने दावा किया था कि राज्य में कारोबार गति पकड़ रहा है। वैसे, महाराष्ट्र की पहचान एक औद्योगिक राज्य के रूप में की जाती है। ठाकरे सरकार का दावा है कि निवेशकों की पहली पसंद महाराष्ट्र ही है। कोरोना का दौर शुरू होने से पहले राज्य में बिजली की कुल खपत औसतन 33,000 मेगावाट के आसपास थी। करीब 24,000 से 25,000 मेगावाट का उत्पादन महाराष्ट्र खुद करता है। बकाया बिजली एक्सचेंज से खरीदता है। अब उतनी ही बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, जितने की राज्य को जरूरत है।

अप्रैल में सबसे कम खपत
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया गया था। अप्रैल और मई का वक्त बुरा हाल था। कल-कारखाने, दुकान वगैरह तो बंद ही थे, सिर्फ घरेलू और अतिआवश्यक सेवाओं के लिए बिजली आपूर्ति कायम थी। ऊर्जा मंत्री राउत कहते हैं कि इस साल अप्रैल में 66 प्रतिशत इंडस्ट्रियल बिजली की खपत घट गई थी, जबकि कमर्शल बिजली की खपत में 70 प्रतिशत की गिरावट आई थी। अब स्थित धीरे-धीरे सुधर रही है, फिर भी 33 प्रतिशत बिजली का उपयोग आज भी कम हो रहा है।

थर्मल पॉवर, नो बाबा
बढ़ते प्रदूषण के चलते सरकार ने नए औष्णिक ( थर्मल ) बिजली उत्पादन केंद्र नहीं लगाने का निर्णय लिया है। सरकार ने बिजली मांग के 25 फीसदी हिस्से के लिए अपारंपरिक व नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है। ऊर्जा मंत्री राउत का कहना है कि महावितरण ने महानिर्मिति के साथ केंद्रीय ऊर्जा परियोजना व निजी बिजली उत्पादकों से 35,000 मेगावाट बिजली खरीदने का करार किया है। इसमें 8,000 मेगावाट अपारंपरिक व नवीकरणीय ऊर्जा खरीदी अनिवार्य किया है, इसलिए राज्य सरकार ने तय किया है कि अब नए थर्मल पॉवर स्टेशन नहीं शुरु किए जाएंगे। सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने की नीति के तहत 25 फीसदी सौर ऊर्जा की खरीद आवश्यक है।

कोरोना के चलते आई आर्थिक मंदी के कारण बिजली की मांग में 33 फीसदी की कमी आई है, इसलिए बंद किए गए पुराने बिजली उत्पादन यूनिट शुरु नहीं किए जाएंगे। आने वाले दिनों में मंदी के बादल जैसे-जैसे छंटेंगे वैसे-वैसे हम लोग अपने रफ्तार में आएंगे। उम्मीद है कि जल्द ही हालत में सुधार होगा।

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