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'बाहरी' को तवज्जो से 'भीतरी' कांग्रेसी नाराज, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर माथापच्ची जारी

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के करीबी राजीव सातव, कैबिनेट मंत्री विजय वड्डेटीवार और विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले अध्यक्ष की रेस में आगे चल रहे हैं। इन तीनों में एक समानता है कि ये दूसरी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं यानी लगातार कांग्रेसी नहीं रहे हैं।

नवभारत टाइम्स 8 Jan 2021, 7:49 am
मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम Sonia Gandhi
बाहरी' को तवज्जो से 'भीतरी' कांग्रेसी नाराज

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में उन नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, जो दूसरे दलों से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इससे निष्ठावान कांग्रेसियों की नींद हराम हो गई है। वे कहने लगे हैं कि इससे तो महाराष्ट्र में कांग्रेस के बुरे दिन ही आएंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दबी जुबान से कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस में ऐसे ही चलता रहा, तो महाराष्ट्र में कांग्रेस की स्थिति उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात से बदतर हो जाएगी।

महाराष्ट्र कांग्रेस के नए अध्यक्ष की खोज करने के लिए पार्टी प्रभारी एच.के. पाटील ने इन दिनों मुंबई में डेरा डाल रखा है। वह विधायकों व पदाधिकारियों से लगातार मिल रहे हैं। कहा जा रहा है कि मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष मराठा देने से महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष ओबीसी बनाया जाएगा। इसमें तीन नाम सामने आ रहे हैं। राहुल गांधी के करीबी राजीव सातव, कैबिनेट मंत्री विजय वड्डेटीवार और विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले अध्यक्ष की रेस में आगे चल रहे हैं। इन तीनों में एक समानता है कि ये दूसरी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं यानी लगातार कांग्रेसी नहीं रहे हैं।

सातव ने छोड़ा था कांग्रेस का साथ
कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी के आज बेहद करीबी राजीव सातव एनसीपी से कांग्रेस में आए हैं। दरअसल, 1998 में शरद पवार ने जब एनसीपी का गठन किया, तब सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाते हुए राजीव अपनी मां रजनी सातव के साथ एनसीपी में शामिल हो गए थे। 1999 के लोकसभा व विधानसभा के चुनाव के दौरान मां-बेटे ने सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। उस वक्त एनसीपी ने रजनी को विधानसभा का चुनाव लड़ाया था, लेकिन वह चुनाव हार गई थीं। एनसीपी में दाल नहीं गलने के बाद मां-बेटे ने फिर कांग्रेस की ओर रुख किया। 2003-04 में कांग्रेस के विलासराव देशमुख ने राजीव व मां को कांग्रेस में शामिल कर लिया। तब भी सातव का निष्ठवान कांग्रेसियों ने विरोध किया था, लेकिन विलासराव के मजबूत नेतृत्व के सामने किसी की न चली। सातव का ट्रेक रेकॉर्ड है कि पिछले लोकसभा चुनाव में हार के डर से वह चुनाव मैदान से हट गए थे। अब वह राज्यसभा के सदस्य हैं। अगर वह अध्यक्ष बने, तो उनकी निष्ठा पर सवाल उठाए जाएंगे। पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता क्या उन्हें बतौर अध्यक्ष स्वीकार करेंगे, यह सवाल उठ रहा है?

इनके नाम भी हैं चर्चा में
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में कैबिनेट मंत्री विजय वड्डेटीवार का नाम भी चल रहा है। वड्डेटीवार कभी शिवसेना नेता नारायण राणे के दाहिने हाथ हुआ करते थे। जब राणे ने शिवसेना छोड़कर कांग्रेस का दाम थाम लिया, तब वड्डेटीवार भी कांग्रेसी हो गए। तीसरे दावेदार विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले हैं। एक समय पटोले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए और जब बीजेपी से नाराज हुए, तो कांग्रेस में घर वापसी कर ली। इन तीनों के अलावा, कैबिनेट मंत्री नितिन राउत, यशोमती ठाकुर, कैबिनेट मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, शिवाजीराव मोघे सहित कई और भी नाम चर्चा में हैं, लेकिन धर्म-जाति की राजनीति कांग्रेस पर भारी पड़ रही है।

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