बाल ठाकरे की वो यादें
मुंबई के पुलिस कमिश्नर जूलियो रिबेरो को ऐसे सख्त पुलिस कमिश्नर के रूप में जाना जाता रहा है, जिसने कुख्यात तस्कर माफिया पर लगाम कसी। वह सीआरपीएफ के महानिदेश बने, इसके बाद गुजरात के पुलिस महानिदेशक नियुक्त हुए। आतंकवाद ग्रस्त पंजाब में भी वह पुलिस महानिदेश बनाए गए। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें 1987 में पद्म भूषण से सम्मानित भी किया गया। मुंबई के कार्यकाल में उनका शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे से परिचय हुआ। प्रशासक और जननेता के बीच के इस संबंध से कुछ यादें रिबेरो ने हमारे सहयोगी मुंबई मिरर के साथ साझा कीं:
शिवाजी पार्क में हुआ बाल ठाकरे से आमना-सामना
यह तब की बात है जब शिवसेना मुंबई में इतनी बड़ी ताकत नहीं थी, पर बाल ठाकरे के भाषणों का जादू अपना असर दिखाने लगा था। शिवाजी पार्क में उनके भाषण सुनने बड़ी तादाद में लोग आते और उनके मुरीद बनकर लौटते। रिबेरो से बाल ठाकरे का आमना-सामना तब हुआ जब रिबेरो जोन-3 के डीसीपी बने। इसी जोन में शिवाजी पार्क आता था जहां अकसर बाल ठाकरे की रैलियां हुआ करती थीं। इन्हीं रैलियों में सुरक्षा देने के दौरान रिबेरो ने ठाकरे की खूबियां पहचानीं। रिबेरो अब भी बाल ठाकरे की उन खूबियों को याद करते हैं।
'मोदी से बेहतर भाषण देते थे बाल ठाकरे'
रिबेरो कहते हैं- बाल ठाकरे जब अपनी रैलियों में बोलते थे तो लोग जैसे मंत्रमुग्ध हो जाते थे। उनकी सभाओं में इतना सन्नाटा होता था कि सुई के गिरने की आवाज भी सुनाई दे सकती थी। आज मोदी जी के भाषणों की बड़ी तारीफ होती है लेकिन मुझे लगता है कि बाला साहेब ठाकरे उनसे कहीं बेहतर वक्ता थे।
बाल ठाकरे के भाषण सुनकर सुधरी रिबेरो की मराठी
रिबेरो की मराठी बाल ठाकरे के भाषण सुन-सुनकर और बेहतर हुई। ऐसा खुद रिबेरो कहते हैं। उन्हीं के शब्दों में- मैं पूरी तल्लीनता से उनके भाषण सुना करता था। मुझे लगता है कि उन्हें सुनने के बाद मेरी मराठी में काफी सुधार हुआ। वह अपने भाषणों में लोगों का मनोरंजन करते थे, खूब हंसते थे, कभी-कभी उग्र भी हो जाया करते थे। लेकिन उनके भाषणों में इतनी ताकत होती थी कि वह लोगों को अपने पाले में ले लेते थे।
'जिरह करते थे ठाकरे, पर पुलिस की कद्र करते थे'
एक नेता और एक पुलिस अफसर के संबंधों के आइने में वह बाल ठाकरे को याद करते हुए कहते हैं- वह एक दिलचस्प व्यक्ति थे आप उनसे नाराज नहीं हो सकते थे। लेकिन हमें उनके तर्कों ओर सवालों का सामना करना पड़ता था। वह हमसे खूब तर्क करते थे लेकिन यह भी था कि वह पुलिस का विशेष सम्मान करते थे।