मुंबई
महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत चुनावों में महाविकास अघाड़ी ने मिलकर अच्छी खासी सीटों पर कब्जा जमाया है। हालाँकि बीजेपी ने फिर भी सभी पार्टियों से ज्यादा सीटें जीती है। एमवीए को मिले इस जनादेश के बाद बीजेपी को आइना दिखाते हुए सामना ने लिखा है कि ये रुझान नहीं तो और क्या है? ग्राम पंचायत चुनाव जनमत का रुझान ही होता है, यह स्वीकार कर लो नहीं तो महाराष्ट्र की जनता तुम्हें और धूल चटाए बिना नहीं रहेगी। ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग के ‘कार्यकर्ताओं’ का हाथ पकड़कर महाराष्ट्र में राजनीतिक क्रांति नहीं की जा सकती। महाराष्ट्र की माटी कुछ अलग है। चलो, हवा आने दो! महाविकास अघाड़ी को अच्छी बढ़त
सामना ने बीजेपी को घेरते हुए लिखा है कि महाराष्ट्र का विरोधी दल पिछले एक साल से मुंह से हवा छोड़ रहा है कि महाविकास आघाड़ी सरकार को जनमत का समर्थन नहीं है और ‘ठाकरे सरकार’ जुगाड़ू अर्थात जोड़-तोड़ करके बनी हुई सरकार है। ग्राम पंचायत चुनाव के बाद उस विरोधी दल की हवा निकल गई है। राज्यभर से साढ़े ३ हजार ग्राम पंचायतों के नतीजे सामने आ रहे हैं, इसमें महाविकास आघाड़ी ने अच्छी बढ़त बनाई है।शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी द्वारा जीते गए ग्राम पंचायतों को देखते हुए कहा जा सकता है कि लोगों ने भाजपा को आईना दिखा दिया है।
बीजेपी के दिग्गजों का किला ध्वस्त
सामना ने लिखा है कि आज तक के नतीजों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के गढ़ लोगों ने उद्ध्वस्त कर दिए हैं। विखे पाटील ने २० साल से अपने कब्जे में रखी लोणी खुर्द ग्राम पंचायत गवां दी है। रावसाहेब दानवे, चंद्रकांत पाटील, राम शिंदे और नितेश राणे आदि के घरों की ग्राम पंचायत भाजपा ने गवां दी है। रोहित पवार चौंडी गांव की ग्राम पंचायत जीतकर लाए हैं। शिंदे, अहिल्याबाई होलकर के वंशज हैं और चौंडी अहिल्याबाई का जन्मस्थान है। इससे यह समझ में आता है कि भाजपा नेताओं की सत्ता जनता ने किस प्रकार उलट दी है। रावसाहेब दानवे की भोकरदन तालुका में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। सभी पार्टियों के वजनदार लोगों और प्रस्थापितों को चुनाव में झटका लगा है।
ठाकरे सरकार को लोगों ने स्वीकार किया
महाविकास आघाड़ी की ठाकरे सरकार को लोगों ने स्वीकार किया है। विरोधियों ने सालभर जिस प्रकार से बदनामी की मुहिम चलाई और सरकार विरोधी जहरीला प्रचार किया, उसका कोई परिणाम देखने को नहीं मिला। दिल्ली की सीमा पर आंदोलनरत किसानों पर चंद्रकांत पाटील ने कहा था कि यह मुट्ठीभर किसान हैं। लेकिन दिल्ली के किसानों का आंदोलन महाराष्ट्र के किसानों का भी है। भाजपा को हराकर महाराष्ट्र के किसानों ने पंजाब-हरियाणा के किसानों का समर्थन किया है।
महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत चुनावों में महाविकास अघाड़ी ने मिलकर अच्छी खासी सीटों पर कब्जा जमाया है। हालाँकि बीजेपी ने फिर भी सभी पार्टियों से ज्यादा सीटें जीती है। एमवीए को मिले इस जनादेश के बाद बीजेपी को आइना दिखाते हुए सामना ने लिखा है कि ये रुझान नहीं तो और क्या है? ग्राम पंचायत चुनाव जनमत का रुझान ही होता है, यह स्वीकार कर लो नहीं तो महाराष्ट्र की जनता तुम्हें और धूल चटाए बिना नहीं रहेगी। ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग के ‘कार्यकर्ताओं’ का हाथ पकड़कर महाराष्ट्र में राजनीतिक क्रांति नहीं की जा सकती। महाराष्ट्र की माटी कुछ अलग है। चलो, हवा आने दो!
सामना ने बीजेपी को घेरते हुए लिखा है कि महाराष्ट्र का विरोधी दल पिछले एक साल से मुंह से हवा छोड़ रहा है कि महाविकास आघाड़ी सरकार को जनमत का समर्थन नहीं है और ‘ठाकरे सरकार’ जुगाड़ू अर्थात जोड़-तोड़ करके बनी हुई सरकार है। ग्राम पंचायत चुनाव के बाद उस विरोधी दल की हवा निकल गई है। राज्यभर से साढ़े ३ हजार ग्राम पंचायतों के नतीजे सामने आ रहे हैं, इसमें महाविकास आघाड़ी ने अच्छी बढ़त बनाई है।शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी द्वारा जीते गए ग्राम पंचायतों को देखते हुए कहा जा सकता है कि लोगों ने भाजपा को आईना दिखा दिया है।
बीजेपी के दिग्गजों का किला ध्वस्त
सामना ने लिखा है कि आज तक के नतीजों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के गढ़ लोगों ने उद्ध्वस्त कर दिए हैं। विखे पाटील ने २० साल से अपने कब्जे में रखी लोणी खुर्द ग्राम पंचायत गवां दी है। रावसाहेब दानवे, चंद्रकांत पाटील, राम शिंदे और नितेश राणे आदि के घरों की ग्राम पंचायत भाजपा ने गवां दी है। रोहित पवार चौंडी गांव की ग्राम पंचायत जीतकर लाए हैं। शिंदे, अहिल्याबाई होलकर के वंशज हैं और चौंडी अहिल्याबाई का जन्मस्थान है। इससे यह समझ में आता है कि भाजपा नेताओं की सत्ता जनता ने किस प्रकार उलट दी है। रावसाहेब दानवे की भोकरदन तालुका में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। सभी पार्टियों के वजनदार लोगों और प्रस्थापितों को चुनाव में झटका लगा है।
ठाकरे सरकार को लोगों ने स्वीकार किया
महाविकास आघाड़ी की ठाकरे सरकार को लोगों ने स्वीकार किया है। विरोधियों ने सालभर जिस प्रकार से बदनामी की मुहिम चलाई और सरकार विरोधी जहरीला प्रचार किया, उसका कोई परिणाम देखने को नहीं मिला। दिल्ली की सीमा पर आंदोलनरत किसानों पर चंद्रकांत पाटील ने कहा था कि यह मुट्ठीभर किसान हैं। लेकिन दिल्ली के किसानों का आंदोलन महाराष्ट्र के किसानों का भी है। भाजपा को हराकर महाराष्ट्र के किसानों ने पंजाब-हरियाणा के किसानों का समर्थन किया है।