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हड़ताल से हाल बेहाल, सरकार का दावा, मंत्रालय में 77% उपस्थिति

- सरकार का दावा, मंत्रालय में 77% उपस्थिति- दावे के उलट, दफ्तर दिखे खाली-खाली- हड़ताल ने मरीजों की बढ़ाई परेशानी--------प्रमुख संवाददाता, मुंबई ...

Navbharat Times 10 Aug 2018, 11:01 am
- सरकार का दावा, मंत्रालय में 77% उपस्थिति
नवभारतटाइम्स.कॉम striking with strike
हड़ताल से हाल बेहाल, सरकार का दावा, मंत्रालय में 77% उपस्थिति


- दावे के उलट, दफ्तर दिखे खाली-खाली

- हड़ताल ने मरीजों की बढ़ाई परेशानी

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प्रमुख संवाददाता, मुंबई

राज्य के सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल के दूसरे दिन आम आदमी परेशान रहा। खासकर, अस्पतालों में मरीजों को हड़ताल का खामियाजा भुगतना पड़ा। हालांकि सरकार ने मंत्रालय में कर्मचारियों की 77 प्रतिशत उपस्थिति का दावा किया है, लेकिन मंत्रालय खाली-खाली दिखा।

दूसरी ओर, महाराष्ट्र राज्य मध्यवर्ती सहकारी कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष मिलिंद सरदेशमुख ने सरकार के दावों को खोखला बताया। उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी अनुपस्थित थे। हड़ताल खत्म करने के लिए वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के साथ कर्मचारी संगठनों की बैठक हुई, लेकिन बैठक किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी।

जेजे अस्पताल के 2600 कर्मचारियों की हड़ताल का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। तीसरे और चतुर्थ श्रेणी कर्मी काम पर नहीं आए और आए भी तो काम नहीं किया। कर्मचारियों की गैरहाजिरी के कारण डॉक्टरों को पहले से तय सर्जरी रद्द करनी पड़ीं। केईएम अस्पताल के डीन डॉ. अविनाश सुपे के अनुसार, जेजे में जारी हड़ताल के चलते मनपा के अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हड़ताल के कारण सरकारी काम-काज पूरी तरह से लड़खड़ा गया है। हालांकि सरकार ऐसा नहीं मानती। सरकार की ओर से कहा गया कि मंत्रालय में कर्मचारियों की उपस्थिति 77 फीसदी और अन्य कार्यालयों में 58 प्रतिशत रही।

कांग्रेस ने सरकार को घेरा

कर्मचारियों की हड़ताल खत्म करने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अशोक चव्हाण ने कहा है। चव्हाण का कहना है कि सरकार ने किसानों, मजदूरों, एसटी कर्मचारियों समेत राज्य के कर्मचारियों को झूठे आश्वासन दे रखे हैं। अब सरकार उन वादों को पूरा नहीं कर पा रही है। ऐसे में कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। इससे राज्य की जनता परेशान है। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें सरकार तत्काल स्वीकार करे, जिससे काम शुरू हो सके।

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सरकारी कार्यालयों में सन्नाटा

निसं, नवी मुंबई: राज्य सरकार के कर्मचारियों के 3 दिवसीय बंद आंदोलन का असर दूसरे दिन भी देखने को मिला। दूसरे दिन नवी मुंबई के कई सरकारी कार्यालयों में लगभग सन्नाटा छाया रहा। इसके चलते जनता को खासी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कार्यालयों में सरकारी कर्मचारियों की उपस्थिति नगण्य होने के चलते आम जनता को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।

नवी मुंबई के बेलापुर में 'मिनी मंत्रालय' कहे जाने वाले कोकण भवन में हमेशा रहने वाली भीड़ 2 दिन से नदारद है। इसके अलावा, शहर के अनेक अनुदानित स्कूल व महाविद्यालयों के शिक्षकों से जुड़े संगठनों ने भी राज्य कर्मचारियों के बंद को समर्थन देते हुए प्रदर्शन में हिस्सा लिया। हालांकि इनमें से अधिकांश स्कूल और महाविद्यालय खुले रहे। नवी मुंबई की ही तरह पनवेल और उरण स्थित प्रांत व तहसील कार्यालयों के कर्मचारी बंद में शामिल थे और उन्होंने अपने-अपने कार्यालयों के बाहर धरना-प्रदर्शन कर समर्थन दिया। रायगड जिला परिषद व जिलाधिकारी कार्यालयों में भी कर्मचारियों की उपस्थिति न के बराबर थी। जिले के करीब 25 संगठनों से जुड़े करीब 12 हजार सरकारी और अर्द्ध-सरकारी कर्मचारियों ने भी हड़ताल को समर्थन दिया है।

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