मुंबई
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर अयोध्या जाकर भगवान राम का आशीर्वाद लेने का फैसला किया है। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को न्योता देते हुए कहा है कि वह चाहते हैं कि राहुल भी अयोध्या चलें। दूसरी ओर, महा विकास अघाड़ी गठबंधन में उद्धव के इस फैसले को लेकर रार शुरू हो गई है। वहीं, शिवसेना की पूर्व सहयोगी बीजेपी ने उद्धव सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी का कहना है कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस फैसले का स्वागत करती हैं। लेखी ने शिवसेना से पूछा है कि क्या शिवसेना कांग्रेस को भी अयोध्या दौरे पर ले जाएगी। दूसरी ओर, कांग्रेस ने शिवसेना को आगाह किया है कि यह यात्रा सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए नहीं होनी चाहिए, जबकि गठबंधन सरकार की दूसरी सहयोगी एनसीपी का कहना है कि उनकी पार्टी राजनीति को धर्म के साथ कभी नहीं मिलाती है।
धर्म की राजनीति नहीं करती कांग्रेस: सचिन सावंत
उद्धव ठाकरे के अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने के फैसले ने कांग्रेस और एनसीपी खेमे को बेचैन कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि उनकी पार्टी धर्म पर आधारित राजनीति नहीं करती है। हम मंदिर दर्शन करने जाते हैं पर राजनीति या सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए नहीं। भगवान राम प्रेम और त्याग के प्रतीक हैं।
पढ़ें: सत्ता में 100 दिन पूरे होने पर अयोध्या जाएंगे उद्धव ठाकरे
'कांग्रेस की पूरी इच्छा थी, बने राम मंदिर'
सचिन सावंत के मुताबिक, कांग्रेस की पूरी इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। 1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया था। इसके बाद पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में लटक गया और अब शीर्ष अदालत ने मामले का निस्तारण कर दिया है। अब मंदिर निर्माण को लेकर कोई विवाद नहीं है। वास्तव में, यह हर एक का अपना निर्णय है कि वह किस स्थान पर जाना चाहता है।
धर्म का पालन करने में पूरी आजादी: नवाब मलिक
दूसरी ओर, एनसीपी के प्रवक्ता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक का कहना है कि हमने अपने सदस्यों पर धर्म का पालन करने पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। उन्हें पूरी आजादी है। एक व्यक्ति को अपने धर्म या विश्वास के स्थान पर जाने की स्वतंत्रता है।
पिछली बार अयोध्या नहीं जा पाए थे उद्धव
बताते चलें कि कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई है। उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इस प्रकार उनकी सरकार के 100 दिन मार्च में पूरे होने वाले हैं। 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया था कि वह 24 नवंबर, 2019 को अयोध्या जाएंगे। हालांकि, राज्य में तेजी से बदले राजनीतिक हालात के चलते वह अयोध्या नहीं जा सके।
जून 2019 में अयोध्या पहुंचे थे उद्धव ठाकरे
इससे पहले शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे 16 जून 2019 को अपनी पार्टी के सभी सांसदों के साथ अयोध्या पहुंचे थे। उस समय उद्धव ठाकरे के इस दौरे को बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति और विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा गया था। तब शिवसेना बीजेपी की सहयोगी पार्टी थी लेकिन अब दोनों के रास्ते अलग हो चुके हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर अयोध्या जाकर भगवान राम का आशीर्वाद लेने का फैसला किया है। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को न्योता देते हुए कहा है कि वह चाहते हैं कि राहुल भी अयोध्या चलें। दूसरी ओर, महा विकास अघाड़ी गठबंधन में उद्धव के इस फैसले को लेकर रार शुरू हो गई है। वहीं, शिवसेना की पूर्व सहयोगी बीजेपी ने उद्धव सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।
धर्म की राजनीति नहीं करती कांग्रेस: सचिन सावंत
उद्धव ठाकरे के अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने के फैसले ने कांग्रेस और एनसीपी खेमे को बेचैन कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि उनकी पार्टी धर्म पर आधारित राजनीति नहीं करती है। हम मंदिर दर्शन करने जाते हैं पर राजनीति या सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए नहीं। भगवान राम प्रेम और त्याग के प्रतीक हैं।
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'कांग्रेस की पूरी इच्छा थी, बने राम मंदिर'
सचिन सावंत के मुताबिक, कांग्रेस की पूरी इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। 1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया था। इसके बाद पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में लटक गया और अब शीर्ष अदालत ने मामले का निस्तारण कर दिया है। अब मंदिर निर्माण को लेकर कोई विवाद नहीं है। वास्तव में, यह हर एक का अपना निर्णय है कि वह किस स्थान पर जाना चाहता है।
धर्म का पालन करने में पूरी आजादी: नवाब मलिक
दूसरी ओर, एनसीपी के प्रवक्ता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक का कहना है कि हमने अपने सदस्यों पर धर्म का पालन करने पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। उन्हें पूरी आजादी है। एक व्यक्ति को अपने धर्म या विश्वास के स्थान पर जाने की स्वतंत्रता है।
पिछली बार अयोध्या नहीं जा पाए थे उद्धव
बताते चलें कि कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई है। उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इस प्रकार उनकी सरकार के 100 दिन मार्च में पूरे होने वाले हैं। 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया था कि वह 24 नवंबर, 2019 को अयोध्या जाएंगे। हालांकि, राज्य में तेजी से बदले राजनीतिक हालात के चलते वह अयोध्या नहीं जा सके।
जून 2019 में अयोध्या पहुंचे थे उद्धव ठाकरे
इससे पहले शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे 16 जून 2019 को अपनी पार्टी के सभी सांसदों के साथ अयोध्या पहुंचे थे। उस समय उद्धव ठाकरे के इस दौरे को बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति और विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा गया था। तब शिवसेना बीजेपी की सहयोगी पार्टी थी लेकिन अब दोनों के रास्ते अलग हो चुके हैं।