मुंबई
महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी सरकार के दो बड़े घटक दल शिवसेना-एनसीपी के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। यह तकरार एल्गार परिषद और भीमा-कोरेगांव की हिंसा की जांच को लेकर है। एक ओर शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एल्गार परिषद की जांच एनआईए को सौंपने की मंजूरी देकर देशद्रोह और सामान्य हिंसा के मामले के बीच एक लकीर खींची है, तो वहीं दूसरी तरफ शरद पवार इस बात पर अडिग हैं कि इसकी जांच एसआईटी से भी समानांतर रूप से करवाई जाए। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने एल्गार परिषद की जांच एनआईए से करवाने के उद्धव के फैसले की कड़ी आलोचना की थी। एनसीपी के ज्यादातर नेता पार्टी प्रमुख शरद पवार द्वारा की जा रही एसआईटी जांच की मांग से सहमत हैं और इस बात पर नाराज हैं कि मुख्यमंत्री ने एनआईए जांच को मंजूरी क्यों दी। हालांकि शरद पवार ने एनआईए ऐक्ट की धारा 10 का हवाला देते हुए यह मांग की है कि एनआईए जांच के अलावा राज्य सरकार एल्गार परिषद केस की समानांतर जांच कराए।
पढ़ें: एल्गार परिषद केस, एनपीआर पर उद्धव से नाराज शरद पवार?
उद्धव ने खींची लकीर, देशद्रोह पर दिखाएंगे सख्ती
दरअसल एल्गार परिषद की जांच एनआईए को सौंपने और भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच एसआईटी से कराने के उद्धव के फैसले के पीछे एक गहरी रणनीति साफ तौर पर दिखाई देती है। उद्धव देशद्रोह और सामान्य हिंसा के बीच एक लकीर खींचने की कोशिश कर रहे हैं और यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी पार्टी देशद्रोह के मुद्दे पर नहीं झुकेगी। उद्धव ने एल्गार परिषद और भीमा-कोरेगांव को अलग-अलग मामला बताते हुए साफ किया है कि एल्गार परिषद का केस देशद्रोह की साजिशों से संबंधित है इसलिए सरकार को इसे एनआईए को सौंपने में कोई ऐतराज नहीं है।
पढ़ें: महाराष्ट्र में उद्धव सरकार पर संकट, गठबंधन में सिरफुटव्वल
समानांतर एसआईटी जांच पर क्यों जोर दे रहे पवार?
उद्धव ठाकरे के एनआईए जांच के फैसले के बावजूद एनसीपी चीफ शरद पवार ने एसआईटी गठन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री से समन्वय की जिम्मेदारी अपने नेता गृह मंत्री अनिल देशमुख को सौंपी है। देशमुख का काम इस बारे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से सलाह-मशविरा कर जल्द ही एसआईटी गठन की घोषणा करना है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने के पीछे शरद पवार की मांग का एक आधार यह भी है कि पवार चाहते हैं कि जब राज्य सरकार की एसआईटी समानांतर जांच करेगी, तो केंद्र सरकार की एजेंसी एनआईए पर निष्पक्ष जांच का दबाव रहेगा।
पढ़ें: 24 घंटे में ही मूड चेंज, पवार ने उद्धव की तारीफ में पढ़े कसीदे
बता दें कि पिछले हफ्ते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपने को अपनी मंजूरी दे दी थी। एनसीपी ने इस कदम की आलोचना की थी। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने मामले की जांच केन्द्रीय एजेंसी को दिए जाने के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के फैसले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
क्या है एल्गार परिषद मामला?
31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था। पुणे पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद खुलासा किया था कि इस बैठक का आयोजन सीपीआई (माओवादी) के फंड से किया गया, जो सरकार को हटाने की साजिश का एक हिस्सा था। पुलिस ने दावा किया कि यहां दिए गए भड़काऊ बयानों ने 1 जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव की जातिवादी हिंसा में भूमिका निभाई। 6 जून, 2018 के बाद से पुलिस ने 9 ऐक्टिविस्ट्स- सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, पी वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नन गोन्साल्वेज को सीपीआई (माओवादी) से कथित संबंधों के लिए गिरफ्तार किया था।
महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी सरकार के दो बड़े घटक दल शिवसेना-एनसीपी के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। यह तकरार एल्गार परिषद और भीमा-कोरेगांव की हिंसा की जांच को लेकर है। एक ओर शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एल्गार परिषद की जांच एनआईए को सौंपने की मंजूरी देकर देशद्रोह और सामान्य हिंसा के मामले के बीच एक लकीर खींची है, तो वहीं दूसरी तरफ शरद पवार इस बात पर अडिग हैं कि इसकी जांच एसआईटी से भी समानांतर रूप से करवाई जाए।
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उद्धव ने खींची लकीर, देशद्रोह पर दिखाएंगे सख्ती
दरअसल एल्गार परिषद की जांच एनआईए को सौंपने और भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच एसआईटी से कराने के उद्धव के फैसले के पीछे एक गहरी रणनीति साफ तौर पर दिखाई देती है। उद्धव देशद्रोह और सामान्य हिंसा के बीच एक लकीर खींचने की कोशिश कर रहे हैं और यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी पार्टी देशद्रोह के मुद्दे पर नहीं झुकेगी। उद्धव ने एल्गार परिषद और भीमा-कोरेगांव को अलग-अलग मामला बताते हुए साफ किया है कि एल्गार परिषद का केस देशद्रोह की साजिशों से संबंधित है इसलिए सरकार को इसे एनआईए को सौंपने में कोई ऐतराज नहीं है।
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समानांतर एसआईटी जांच पर क्यों जोर दे रहे पवार?
उद्धव ठाकरे के एनआईए जांच के फैसले के बावजूद एनसीपी चीफ शरद पवार ने एसआईटी गठन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री से समन्वय की जिम्मेदारी अपने नेता गृह मंत्री अनिल देशमुख को सौंपी है। देशमुख का काम इस बारे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से सलाह-मशविरा कर जल्द ही एसआईटी गठन की घोषणा करना है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने के पीछे शरद पवार की मांग का एक आधार यह भी है कि पवार चाहते हैं कि जब राज्य सरकार की एसआईटी समानांतर जांच करेगी, तो केंद्र सरकार की एजेंसी एनआईए पर निष्पक्ष जांच का दबाव रहेगा।
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बता दें कि पिछले हफ्ते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपने को अपनी मंजूरी दे दी थी। एनसीपी ने इस कदम की आलोचना की थी। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने मामले की जांच केन्द्रीय एजेंसी को दिए जाने के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के फैसले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
क्या है एल्गार परिषद मामला?
31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था। पुणे पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद खुलासा किया था कि इस बैठक का आयोजन सीपीआई (माओवादी) के फंड से किया गया, जो सरकार को हटाने की साजिश का एक हिस्सा था। पुलिस ने दावा किया कि यहां दिए गए भड़काऊ बयानों ने 1 जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव की जातिवादी हिंसा में भूमिका निभाई। 6 जून, 2018 के बाद से पुलिस ने 9 ऐक्टिविस्ट्स- सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, पी वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नन गोन्साल्वेज को सीपीआई (माओवादी) से कथित संबंधों के लिए गिरफ्तार किया था।