मुंबई
रामलीला के आयोजन की अनुमति नहीं देने पर भाजपा नेता व विधायक राम कदम से ठाकरे सरकार को खरी-खरी सुनाई है। कदम का कहना है कि ठाकरे सरकार शराब की दुकानें और बार खोलने की अनुमति दे सकती है, लेकिन मंदिर नहीं खोल सकती। भगवान श्रीराम की गाथा कहने वाले रामलीला के आयोजन की अनुमति नहीं दे सकती। इसी संबंध में भाजपा उत्तर भारतीय मोर्चा अध्यक्ष संजय पांडेय ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर सैंकड़ों साल से चली आ रही परंपरा को वे खत्म नहीं करने की अपील की है। हर साल की तरह इस साल भी रामलीला आयोजन करने की अनुमति देने की मांग की है। पांडेय का दावा है कि आयोजकों ने सरकार से वादा किया है कि वे सोशल डिस्टेसिंग का ध्यान रखते हुए मंचन करेंगे।
विधायक राम कदम ने शुक्रवार को कहा कि सरकार बार खोल सकती है, शराब की दुकान खोलने की अनुमति दे सकती है, लेकिन मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दे सकती। आज सैकड़ों भक्त रामलीला करने की अनुमति मांग रहे हैं, लेकिन ठाकरे सरकार खामोश है। यह महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है। लोगों के भावनाओं की यह सरकार कद्र नहीं कर रही है। भाजपा उत्तर भारतीय मोर्चा के अध्यक्ष संजय पांडेय ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ठाकरे को पत्र लिखकर अनेक दशकों से चली आ रही रामलीला के मंचन को अनुमति देने का अनुरोध किया है। उन्होंने लिखा है कि कुछ ही दिनों में दशहरा आने वाला है। उस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामचन्द्र जी की जीवनगाथा लोगों तक पहुंचाने के लिए रामलीला रचाई जाती है। यह एक सैकड़ों वर्षों की परंपरा हैं जो महाराष्ट्र में कई दशकों से चल रही हैं, परंतु इस वर्ष महाराष्ट्र सरकार रामलीला का मंचन करने की अनुमति नहीं दे रही है जबकि रामलीला सादर करने वाले आयोजक एवं कलाकार पूरी सावधानियों के साथ उसे आयोजित करने के लिए तैयार है। अगर इस बार अनुमति नहीं दी तो फिर अगले साल स्थानीय प्रशासन पिछले साल की अनुमति की मांग करेगा जो रामलीला आयोजकों के पास नहीं होगी क्यों की आप इस साल उसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं। इस तरह से आप एक हिंदुओं से जुड़ी परंपरा को खत्म करने की ओर कदम बढ़ा रहा है। पांडेय ने आगे लिखा है कि जब मदिरा की दुकानें एवं मॉल खुल सकते हैं तो फिर प्रशासन को मंदिर खुलवाने और रामलीला के आयोजन से दिक्कत क्या हैं ? आपने भले ही हिन्दू धर्म और उनसे जुड़ी आस्थाओं से मुंह मोड़ लिया है किंतु आज भी करोड़ों हिन्दू अपनी परंपराओं को चलाने का सामर्थ्य रखते है, पर कानून का सम्मान रखते हुए शांत है। हिंदू सहनशील है पर सनातन हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए संघर्षशील भी बन सकता है।
रामलीला के आयोजन की अनुमति नहीं देने पर भाजपा नेता व विधायक राम कदम से ठाकरे सरकार को खरी-खरी सुनाई है। कदम का कहना है कि ठाकरे सरकार शराब की दुकानें और बार खोलने की अनुमति दे सकती है, लेकिन मंदिर नहीं खोल सकती। भगवान श्रीराम की गाथा कहने वाले रामलीला के आयोजन की अनुमति नहीं दे सकती। इसी संबंध में भाजपा उत्तर भारतीय मोर्चा अध्यक्ष संजय पांडेय ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर सैंकड़ों साल से चली आ रही परंपरा को वे खत्म नहीं करने की अपील की है। हर साल की तरह इस साल भी रामलीला आयोजन करने की अनुमति देने की मांग की है। पांडेय का दावा है कि आयोजकों ने सरकार से वादा किया है कि वे सोशल डिस्टेसिंग का ध्यान रखते हुए मंचन करेंगे।
विधायक राम कदम ने शुक्रवार को कहा कि सरकार बार खोल सकती है, शराब की दुकान खोलने की अनुमति दे सकती है, लेकिन मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दे सकती। आज सैकड़ों भक्त रामलीला करने की अनुमति मांग रहे हैं, लेकिन ठाकरे सरकार खामोश है। यह महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है। लोगों के भावनाओं की यह सरकार कद्र नहीं कर रही है। भाजपा उत्तर भारतीय मोर्चा के अध्यक्ष संजय पांडेय ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ठाकरे को पत्र लिखकर अनेक दशकों से चली आ रही रामलीला के मंचन को अनुमति देने का अनुरोध किया है। उन्होंने लिखा है कि कुछ ही दिनों में दशहरा आने वाला है। उस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामचन्द्र जी की जीवनगाथा लोगों तक पहुंचाने के लिए रामलीला रचाई जाती है। यह एक सैकड़ों वर्षों की परंपरा हैं जो महाराष्ट्र में कई दशकों से चल रही हैं, परंतु इस वर्ष महाराष्ट्र सरकार रामलीला का मंचन करने की अनुमति नहीं दे रही है जबकि रामलीला सादर करने वाले आयोजक एवं कलाकार पूरी सावधानियों के साथ उसे आयोजित करने के लिए तैयार है। अगर इस बार अनुमति नहीं दी तो फिर अगले साल स्थानीय प्रशासन पिछले साल की अनुमति की मांग करेगा जो रामलीला आयोजकों के पास नहीं होगी क्यों की आप इस साल उसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं। इस तरह से आप एक हिंदुओं से जुड़ी परंपरा को खत्म करने की ओर कदम बढ़ा रहा है। पांडेय ने आगे लिखा है कि जब मदिरा की दुकानें एवं मॉल खुल सकते हैं तो फिर प्रशासन को मंदिर खुलवाने और रामलीला के आयोजन से दिक्कत क्या हैं ? आपने भले ही हिन्दू धर्म और उनसे जुड़ी आस्थाओं से मुंह मोड़ लिया है किंतु आज भी करोड़ों हिन्दू अपनी परंपराओं को चलाने का सामर्थ्य रखते है, पर कानून का सम्मान रखते हुए शांत है। हिंदू सहनशील है पर सनातन हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए संघर्षशील भी बन सकता है।