ब्‍लैकमेल

इरफान खान,कीर्ति कुल्‍हारी,अरुणोदय स‍िंह,द‍िव्‍या दत्‍ता,ओमी वैद्य,उर्मिला मातोंडकर,अतुल काले,गजराज राव
Hindi, Comedy, Thriller2 Hrs 19 Min
क्रिटिक रेटिंग4.0/5पाठको की रेटिंग4.5/5
Rachit Gupta | नवभारतटाइम्स.कॉम 6 Apr 2018, 12:23 pm
कहानी: देव (इरफान खान) टॉइलट पेपर सेल्‍समेन है। एक शाम वह निर्णय लेता है कि वह काम से जल्‍दी छूटकर अपनी पत्‍नी के ल‍िए गुलाब का गुलदस्‍ता लेकर घर जाएगा। जब वह घर पहुंचता है तो उसकी पत्‍नी बेड पर क‍िसी और आदमी के साथ होती है। इसके बाद स‍िलसिलेवार तरीके से कई ऐसी घटनाएं होती हैं जो मजेदार और अपमानजनक होती हैं। र‍िव्‍यू: म‍िड‍िल क्‍लास आदमी अपनी ही परिस्थितियों का शिकार है। वह इस तरह अधीनता वाला जीवन जीता है क‍ि जब मतभेद की स्‍थ‍िति बनती है तो वह अपराध करने के लिए संघर्ष करता है। वह अपने भाग्य को छोड़ देता है। ब्‍लैकमेल का कॉन्‍सेप्‍ट यही है और इसी उथल-पुथल से फ‍िल्‍म में अच्‍छा ट्व‍िस्‍ट आता है। इसमें आम आदमी की रोजाना की मुश्‍क‍िलें हैं जैसे ईएमआई, लोन और असफल र‍िलेशनश‍िप्‍स। जब देव को अपनी पत्‍नी के बारे में पता चलता है तो वह उसके लवर रंजीत (अरुणोदय स‍िंह) को ब्‍लैकमेल करता है जो बाद देव की पत्‍नी को ब्‍लैकमेल करने लगता है। ड्रामा तब और बढ़ता है जब देव की ज‍िंदगी के बाकी कैरक्‍टर्स को उसके ब्‍लैकमेल‍िंग के प्लान्‍स के बारे में पता चलता है। इसके बाद सभी क‍िसी न क‍िसी को क‍िसी मकसद के ल‍िए ब्‍लैकमेल करने लगते हैं। यहां से जो स‍िचुएशनल ह्यूमर पैदा होता है, वह काफी मजेदार होता है। परवेज शेख (क्‍वीन और बजरंगी भाईजान के राइटर) ने बढ़िया ल‍िखी है और दृश्यों में कॉम‍िडी को कुशलतापूर्वक पेश क‍िया गया है। PUBLIC REVIEW: फिल्म 'ब्लैकमेल' फ‍िल्‍म का फर्स्‍ट हाफ थोड़ा धीमा है। प्‍लॉट सेट होने में टाइम लगता है लेकिन इसके बाद का ह्यूमर काफी एंटरटेन‍िंग है। दूसरे हाफ में हंसी आती है। जैसे-जैसे हर प्‍लॉट खुलता है, स्‍थ‍ित‍ियां मजेदार होती जाती हैं। अभ‍िनव देव का डायरेक्‍शन पैसा वसूल है। अपनी ब्‍लैक कॉम‍िडी 'डेल्ही बैली' के बाद उन्‍होंने एक बार फ‍िर ज‍िस जॉनर में हाथ आजमाया है, उसमें वह काफी हद तक सफल रहे हैं। फ‍िल्‍म का टॉइलट ह्यूमर आपको 'डेल्ही बैली' की याद द‍िलाएगा। फ‍िल्‍म में द‍िया गया अमित त्र‍िवेदी का संगीत सही सीन्‍स पर फ‍िट बैठता है। फ‍िल्‍म में ओमी वैद्य अपनी मजेदार अमेर‍िकी भाषा में देव को प्रोत्‍साह‍ित करते हुए कहते रहते हैं, 'शेक इट अप'। इसके अलावा फ‍िल्‍म का गाना सटासट अच्‍छा बन पड़ा है! कुल म‍िलाकर ब्‍लैकमेल का ह्यूमर और इसका प्रेजेंटेशन बेहतरीन है। ऐक्‍ट‍िंग की बात करें तो इरफान, जो न ही अपने बॉस और न ही अपनी विश्वासघाती पत्नी के साथ खड़े होते हैं, ने एक औसत ऑफ‍िस के आदमी के रूप में सॉल‍िड परफॉर्मेंस दी है। उन्‍होंने अपने कैरक्‍टर में लाचारी लाई है और जब वह ब्‍लैकमेल करने के ल‍िए प्‍लान‍िंग करते हैं तो भी बेहद आसानी से उसे न‍िभा जाते हैं। उनके ऐक्‍शंस में अनिश्चितता है जो उनकी अच्‍छाई से आती है और इसी से हंसी आती है। बैड बॉय के रूप में अरुणोदय सिंह काफी गुस्‍सैल हैं। यह उनके कर‍ियर का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। रंजीत की पत्‍नी के रूप में द‍िव्‍या दत्‍ता मनोरंजन करती हैं। अरुणोदय के साथ उनके सीन्‍स आकर्षक हैं। कीर्ति कुल्हारी ने भी अपना क‍िरदार अच्‍छे से न‍िभाया है। ब्लैकमेल का प्‍लॉट इसका हीरो है और यह डार्क और फनी के बीच के बैलेंस को अच्‍छे तरीके से मैनेज करता है। फ‍िल्‍म कहीं भी इसके ब्‍लैक ह्यूमर को नहीं छोड़ती है। लंबे समय बाद ऐसी मजेदार फिल्म आई है।
लेखक के बारे में
Rachit Gupta

अगला रिव्यू

Entertainmentकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग