स्टूडेंट ऑफ द इयर 2

टाइगर श्रॉफ,अनन्या पांडे,तारा सुतारिया,आदित्य सील,समीर सोनी
Hindi, Romance, Drama, Sport2 Hrs 26 Min
क्रिटिक रेटिंग2.5/5पाठको की रेटिंग2.5/5
रेखा खान | नवभारत टाइम्स 10 May 2019, 5:22 pm
अंडरडॉग की जीत की कहानी बॉलिवुड की पसंदीदा कहानियों में से हैं। निर्माता करण जौहर की 'स्टूडेंट ऑफ द इयर 2' को भी निर्देशक पुनीत मल्होत्रा ने इसी तर्ज पर आगे बढ़ाया। फिल्म में 'स्टूडेंट ऑफ द इयर' पार्ट वन का फ्लेवर तो देखने मिलता है, फिल्म कई जगहों पर मंसूर खान की 'जो जीता वही सिकंदर' की भी याद ताजा करती है। इसके बावजूद फिल्म टुकड़ों-टुकड़ों में ही मनोरंजन करने में कामयाब रही है।

कहानी: फिल्म की कहानी है रोहन (टाइगर श्रॉफ) जैसे मधयमवर्गीय स्टूडेंट की जो अपने साधारण और गरीब कॉलेज से सेंट टेरेसा जैसे अमीर और भव्य कॉलेज में स्पोर्ट्स कोटा में ऐडमिशन तो पा जाता है, मगर उस कॉलेज में दाखिला लेने का उसका एक ही मकसद है कि वह अपने बचपन के प्यार मृदुला उर्फ मिया (तारा सुतारिया) का साथ पा सके। असल में वह मृदुला के डांसर की ट्रॉफी जीतने का सपना पूरा कर उसे विदेश जाते देखना चाहता है। कॉलेज में दाखिला लेने के बाद वह कॉलेज के हीरो मानव (आदित्य सील) और उसकी बिगड़ैल बहन श्रेया (अनन्या पांडे) से टकराता है। ये भाई-बहन कॉलेज के ट्रस्टी के बच्चे होने के साथ-साथ बहुत अमीर हैं। डांस कॉम्पिटिशन जीतने के लिए मानव न केवल रोहन से उसकी गर्लफ्रेंड मिया को छीन लेता है बल्कि उसे कॉलेज से भी निकलवा देता है। आगे चलकर हालत ऐसे बनते हैं कि रोहन अंडरडॉग के रूप में अपने कॉलेज का प्रतिनिधत्व करते हुए सेंट टेरेसा और मानव की टीम के विरुद्ध खड़ा हो जाता है। इस बार मुकाबला है कबड्डी की 'स्टूडेंट ऑफ द इयर' की ट्रोफी हासिल करके अपने खोए हुए गौरव को पाने का।

रिव्यू:
निर्देशक पुनीत मल्होत्रा ने पार्ट वन की तरह कॉलेज और किरदारों के लुक और कॉस्ट्यूम को बेहद भव्य रखा है, मगर वे अंडरडॉग वाले इमोशन को सही तरह से एग्जिक्यूट नहीं कर पाए। फिल्म में अमीर और गरीब स्टूडेंट्स के बीच का अंतर प्रभाव नहीं जमा पाता। फिल्म 3-4 किरदारों के इर्द-गिर्द ही घूमती है और अन्य चरित्रों को निर्देशक ने पूरी तरह से उपेक्षित कर दिया है। फिल्म का मजबूत पक्ष है उसका डांस और ऐक्शन। एडिटिंग थोड़ी कसी हुए होती तो अच्छा था। सेकंड हाफ की शुरुआत बहुत धीमी है। क्लाइमैक्स के बारे में आपको पहले ही पता चल जाता है।
अभिनय के मामले में टाइगर श्रॉफ ने बेहतरीन काम किया है। अपने रोल के मुताबिक़ उन्होंने ऐक्शन, इमोशन और डांस को बखूबी निभाया है। तारा सुतारिया के किरदार को ठीक से गढ़ा नहीं गया है, मगर अनन्या पांडे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही हैं। 'स्टूडेंट ऑफ द इयर' में आलिया, वरुण और सिद्धार्थ की केमेस्ट्री असरकारक रही थी, मगर यहां रोमांस का का पहलू ठंडा नजर आता है। गुल पनाग, समीर सोनी जैसे अच्छे कलाकरों को जाया कर दिया गया है।

संगीत की बात करें तो विशाल-शेखर के संगीत में 'जवानी' गाना रेडियो मिर्ची के टॉप ट्वेंटी में पांचवें पायदान पर अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है। आईएमडीबी पर फिल्म की रेटिंग 2.1 है।

क्यों देखें: यूथ ओरिएंटेड फिल्मों के शौकीन यह फिल्म देख सकते हैं।
लेखक के बारे में
रेखा खान
रेखा खान टाइम्स समूह के नवभारत टाइम्स में फीचर्स एंड एंटरटेनमेंट एडिटर हैं। उन्हें प्रसिद्ध प्रकाशनों, पत्रिकाओं और रेडियो में काम करते हुए दो दशक से भी ज्यादा का समय हो गया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए उन्हें स्त्री शक्ति पुरस्कार, पावर ऑफ पेन, मोस्ट इंस्पायरिंग वुमन इन जर्नलिज्म, मोस्ट पावरफुल वुमन इन मीडिया जैसे कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। जर्नलिज़म के अलावा रेखा को लिखना और पढ़ना भी बहुत पसंद है। उन्होंने 'कोई सपना न खरिदो' नामक एक गुजराती उपन्यास लिखा है। वह एक बहुत अच्छी वक्ता और एंकर हैं। टीवी शोज की एंकरिंग के साथ-साथ वह अभिनय में भी अपना हुनर दिखा चुकी हैं।... और पढ़ें

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