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निजी चैरिटी फंडिंग में बेहद अमीर लोगों की हिस्सेदारी महज 55 फीसदी ही है और उसमें भी अकेले प्रेमजी का अंशदान 80 फीसदी है। अगर प्रेमजी द्वारा दी गई राशि को छोड़ दिया जाए तो धनिक भारतीयों के दान में वित्त वर्ष 2013-14 से लेकर 2017-18 के दौरान 4 फीसदी की गिरावट ही आई है।

नवभारत टाइम्स 18 Mar 2019, 9:31 am
आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने दानशीलता और परोपकारिता का एक और बड़ा उदाहरण पेश करते हुए सबका दिल जीत लिया है। पिछले दिनों उन्होंने विप्रो के अपने लगभग 34 फीसदी शेयर यानी करीब 52,750 करोड़ रुपए अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को दान करने की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं, प्रेमजी ने विप्रो के 67 फीसदी शेयर से होने वाली आमदनी भी चैरिटेबल फाउंडेशन को दान करने की प्रतिबद्धता जताई है। कंपनी में प्रेमजी के परिवार और कंपनियों की हिस्सेदारी 74.30 फीसदी है। अजीम प्रेमजी देश के उन चंद धनवानों में से हैं, जो अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा समाजसेवा के लिए देते रहे हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम Azim-Premji


अब तक उन्होंने कुल 145,000 करोड़ रुपए (21 अरब डॉलर) दान कर दिए हैं। प्रेमजी का कहना है कि अमीर होना उन्हें रोमांचित नहीं करता। उनका मानना है कि जिन्हें धन रखने का विशेषाधिकार प्राप्त है, उन्हें उन लोगों की दुनिया को बेहतर बनाना चाहिए जिन्हें कम विशेषाधिकार प्राप्त है। अपने इस आदर्श को जमीन पर उतारने के लिए उन्होंने 2001 में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसने देश के अनेक हिस्सों में शिक्षा की रोशनी फैलाई है। वर्तमान में यह फाउंडेशन कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार इसका प्रमुख उद्देश्य है। सच कहा जाए तो अजीम प्रेमजी ने भारतीय संस्कृति की इस मूल अवधारणा को समझा है कि अपनी समृद्धि को समाज के साथ बांटने में ही सबसे बड़ा सुख है और इसी में व्यक्ति के उद्यम की सार्थकता है।

लेकिन दुर्भाग्य से भारत के अन्य पूंजीपतियों में यह भावना कम है। आर्थिक सलाहकार फर्म ‘बेन ऐंड कंपनी’ की भारत में परोपकारिता पर जारी नई रिपोर्ट बहुत उत्साहजनक तस्वीर नहीं पेश करती। रिपोर्ट के मुताबिक, निजी चैरिटी फंडिंग में बेहद अमीर लोगों की हिस्सेदारी महज 55 फीसदी ही है और उसमें भी अकेले प्रेमजी का अंशदान 80 फीसदी है। अगर प्रेमजी द्वारा दी गई राशि को छोड़ दिया जाए तो धनिक भारतीयों के दान में वित्त वर्ष 2013-14 से लेकर 2017-18 के दौरान 4 फीसदी की गिरावट ही आई है। गौरतलब है कि गत पांच वर्षों में बेहद अमीर भारतीयों की संख्या 12 फीसदी बढ़ी है और वर्ष 2022 तक उनकी संख्या और संपत्ति के दोगुना होने का अनुमान है। हमारे समाज में जो असमानता है, उसे सिर्फ आर्थिक वृद्धि की नीति के जरिए पाटना संभव नहीं है। इसमें निजी योगदान का बड़ा महत्व है। अनेक देशों में इससे असाधारण परिणाम आए हैं। अजीम प्रेमजी से प्रेरणा लेकर अन्य उद्योगपतियों को भी सामाजिक विकास के क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहिए। उनके योगदान से देश में असंतोष कम होगा और एक शांतिपूर्ण समाज का निर्माण होगा, जिसका लाभ उन्हें भी मिलेगा।

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