ऐपशहर

ओबामा का संदेश

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले हफ्ते दिल्ली में कुछ ऐसी बातें कहीं, जिन पर चर्चा जरूरी है। दो-ढाई साल पहले बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति अपने अंतिम भारत दौरे में भी उन्होंने ऐसा ही​​ कुछ कहा था, जिसके लिए यहां उनकी काफी आलोचना हुई थी...

नवभारत टाइम्स 4 Dec 2017, 10:57 am
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले हफ्ते दिल्ली में कुछ ऐसी बातें कहीं, जिन पर चर्चा जरूरी है। दो-ढाई साल पहले बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति अपने अंतिम भारत दौरे में भी उन्होंने ऐसा ही कुछ कहा था, जिसके लिए यहां उनकी काफी आलोचना हुई थी। इस बार उन्होंने कहा कि ‘मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत तौर पर कहा कि देश को धर्म के आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए, और यही बात अमेरिका की जनता से भी कही थी।’ हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निजी दायरे में हुई बातचीत को सार्वजनिक करना उनका मकसद नहीं है। हमारे देश का माहौल अभी कैसा है, इस बारे में बाहर से कोई बात कही जाती है तो उस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। लेकिन इस पर हैरानी या नाराजगी जाहिर करने के बजाय हमें इसके बारे में ठहर कर सोचना चाहिए।
नवभारतटाइम्स.कॉम barak


मीडिया के असाधारण विस्तार के चलते दुनिया अब इतनी सिमट चुकी है कि पलक झपकते कहीं की बात अब कहीं भी पहुंच जाती है। खासकर बात अगर राजनीतिक स्तर पर हो तो उस पर दुनिया का ध्यान तुरंत जाता है। अगर हम किसी भी मामले को हिंदू-मुस्लिम या राष्ट्रप्रेमी-राष्ट्रद्रोही का रंग देते हुए पल भर के लिए भी ठहरकर सोचना जरूरी नहीं समझते तो अपनी सहिष्णुता के लिए विख्यात भारतीय सभ्यता का वारिस होने का हमारा दावा अपने आप खोखला पड़ जाता है। आज भी दुनिया के एक बड़े स्टेट्समैन के रूप में प्रतिष्ठित ओबामा की सबसे अच्छी बात रही उनकी द्विपक्षीयता (बाइपार्टिजनशिप)।

उन्होंने कहा, ‘मैं नरेंद्र मोदी को बहुत पसंद करता हूं, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं।’उन्होंने मनमोहन सिंह को आधुनिक भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव रखनेवाला तो बताया ही, साथ ही दुनिया को 2008 की ग्लोबल मंदी से उबारने में निभाई गई उनकी भूमिका की भी सराहना की। यह द्विपक्षीयता कम से कम सरकार के प्रतिनिधि के रूप में हमारे बड़े नेताओं के वचन और व्यवहार में भी जाहिर होनी चाहिए। भारत कोई बालू का घरौंदा नहीं है, जिसे कुछ महीनों या सालों में बनाया-बिगाड़ा जा सके। न ही इसकी विशाल आबादी को टुकड़ों में बांटकर इसकी ताकत बढ़ाई जा सकती है। क्या हमारे राजनेता समय रहते ओबामा का संदेश ग्रहण कर पाएंगे?

अगला लेख

Opinionकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर