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गांधी के देश में 'बहिष्कार'

अफ्रीकी देशों के राजदूत गुरुवार...

नवभारत टाइम्स 26 May 2016, 1:47 am
अफ्रीकी देशों के राजदूत गुरुवार से नई दिल्ली में शुरू हो रहे अफ्रीका दिवस समारोह के बहिष्कार के फैसले पर अड़े हुए हैं। ये देश पिछले कुछ समय से भारत में अफ्रीकी मूल के लोगों पर हमले की घटनाओं में बढ़ोतरी से नाराज हैं।
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गांधी के देश में 'बहिष्कार'


पिछले हफ्ते ही दिल्ली के बसंत कुंज इलाके में कांगो के नागरिक मैसोंडा केटडा ओलिवियर की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। इससे पहले बेंगलुरु में एक 21 वर्षीय तंजानियाई छात्रा भीड़ की बर्बरता का शिकार हुई थी। उससे पहले पंजाब और गोवा में अफ्रीकी नागरिकों के साथ खौफनाक वारदातें हो चुकी हैं। इन घटनाओं ने देश की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है और निश्चित रूप से ये चिंता का विषय हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी के एक नेता द्वारा दो साल पहले छेड़े गए अभियान और गोवा में एक बीजेपी नेता के विवादास्पद बयान को छोड़ दें तो देश के किसी भी राजनीतिक दल ने नस्लवादी हिंसा को हवा देने की कोशिश नहीं की है।

इन घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण है स्थानीय आबादी से अफ्रीकी लोगों की संवादहीनता, जो प्राय: कई तरह की गलतफहमियों की वजह बन जाती है। दूसरी चीज है अलग नाक-नक्श, रहन-सहन वाले लोगों के प्रति प्रति सहज द्वेष भावना, जिसके शिकार केवल अफ्रीकी या अश्वेत लोग ही नहीं, उत्तर-पूर्वी राज्यों के भारतीय भी होते रहे हैं। लेकिन शिकार कोई भी होता हो, इस तरह की हिंसा के लिए भारतीय समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। कूटनीतिक धरातल पर सरकार को अफ्रीकी देशों के नुमाइंदों का विश्वास जीतने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। लेकिन समस्या के स्थायी समाधान के लिए नागरिक स्तर पर भी काफी कुछ किया जाना जरूरी है।
नगरपालिका और आरडब्ल्यूए आदि के जरिए स्थानीय निवासियों के साथ अफ्रीकी लोगों के घुलाव-मिलाव को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कपिल शर्मा शो में पिछले हफ्ते वेस्ट इंडियन क्रिकेटर डीजे ब्रावो को बतौर गेस्ट बुलाया गया था। ऐसे कार्यक्रम भी अश्वेत समुदाय से भारतीय जनमानस की दूरी घटाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। कानून-व्यवस्था से जुड़ी गड़बड़ियां राजधानी दिल्ली की पहचान बनती जा रही हैं। बाहर से आए लोगों की तो बात ही छोड़िए, यहां के लोग ही शहर में खुद को सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे। इसे जल्दी सुधारा नहीं गया तो दुनिया में भारत की छवि को लेकर बात करना ही बेमानी हो जाएगा।

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