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लॉकडाउन में आस्था

दिल्ली में एक तबलीगी जमात हुई। इस जमात में दुनिया भर से 2000 लोग शामिल हुए। लॉकडाउन के बाद भी करीब 1400 लोग वहीं पड़े रहे। यह बेहद चिंताजनक बात है

नवभारत टाइम्स 1 Apr 2020, 9:36 am
दिल्ली में एक धार्मिक आयोजन के दौरान बड़े पैमाने पर फैले कोरोना वायरस के संक्रमण ने देश की चिंता बढ़ा दी है। राजधानी के निजामुद्दीन इलाके में लॉकडाउन शुरू होने से थोड़ा ही पहले 13-15 मार्च को तबलीगी जमात हुई थी, जिसमें भारत के अलावा मलयेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गीजिस्तान से आए 2000 से भी ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था।
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तबलीगी जमात


इनमें से करीब 1400 लोग लॉकडाउन के बाद भी वहीं पड़े रहे, जिनमें कई को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। पिछले दिनों ये अलग-अलग राज्यों में अपने-अपने घर भी गए, जहां उनकी वजह से कितना संक्रमण फैला होगा, कहना मुश्किल है। उनमें से 6 की तेलंगाना में मौत हो गई जबकि अंडमान के कुल 10 संक्रमित लोगों में 9 वही हैं जो दिल्ली के आयोजन से लौटकर गए थे।

लॉकडाउन का मकसद ही है लोगों को समूह से अलग करना। एक जगह ढेर सारे लोगों के जमा होने से कोरोना वायरस फैलने की आशंका बहुत बढ़ जाती है। इटली में हालात इतने भयावह इसलिए हुए क्योंकि फरवरी में मिलान में चैंपियंस लीग के तहत खेले गए एक फुटबॉल मैच में 40 हजार दर्शक जुटे थे। यहीं से बीमारी ने देखते-देखते पूरी इटली को गिरफ्त में ले लिया।

भारत में कोरोना अभी सामुदायिक संक्रमण का रूप नहीं ले सका है लेकिन धार्मिक जमावड़े की प्रवृत्ति को देखते हुए हम आगे को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकते। लॉकडाउन के तहत धार्मिक आयोजनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। पंजाब में इस बीमारी के कुल चिह्नित मामलों में से आधे विदेश से आए एक ग्रंथी के संपर्कियों के हैं। पिछले दिनों चैत्र छठ पर भारी भीड़ देखी गई।

मस्जिदों में सामूहिक नमाज और मंदिरों में सामूहिक पाठ जारी है। केरल में एक पादरी को धार्मिक आयोजन के लिए गिरफ्तार किया गया। दिक्कत यह है कि हमारे यहां धार्मिक आस्था को हर चीज से ऊपर माना जाता है। उसके आगे बुद्धि-विवेक की एक नहीं सुनी जाती। लोग सोचते हैं कि धार्मिक कर्म करते हुए मृत्यु आ जाए तो इसे भी ईश्वर की इच्छा समझा जाना चाहिए। इस बार तमाम धर्मगुरुओं ने साफ कहा था कि लोग भीड़भाड़ से बचें, घर में ही पूजा-पाठ करें, वहीं नमाज पढ़ें। लेकिन जब राजनेता ही इन निर्देशों की उपेक्षा करते हैं तो आम आदमी में गलत संदेश जाता है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लॉकडाउन के ऐलान के बाद अयोध्या पहुंचकर पूजा-अर्चना करना एक ऐसी घटना थी जिससे बचा जा सकता था। अच्छा होगा कि हम सभी समाज की सुरक्षा को अपनी आस्था से ज्यादा तरजीह दें।

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