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यूएन में भारत की जगह

प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के संचालन में भारत की ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका के सवाल को केंद्र में रखा। ​​उन्होंने यह भी कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् जैसे अपने जीवन मूल्यों के चलते भारत कभी विश्व शांति के लिए खतरा नहीं बनेगा।

नवभारत टाइम्स 28 Sep 2020, 10:11 am
संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं वार्षिक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर भारत के दावे की पुरजोर वकालत की, साथ ही यह भी रेखांकित किया कि नई ताकतों को केंद्रीय भूमिका में लाए बगैर दुनिया की यह सबसे बड़ी पंचायत खुद से की जाने वाली अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाएगी। उनका यह वक्तव्य क्रिया-प्रतिक्रिया के पचड़े में पड़े बगैर एक बड़े और जिम्मेदार राष्ट्र के प्रमुख की भूमिका और गरिमा के अनुरूप था। ध्यान देने की बात है कि उनसे थोड़ी ही देर पहले इसी मंच पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का रिकॉर्डेड भाषण हुआ था, जिसमें न केवल द्विपक्षीय मुद्दे उठाए गए बल्कि तरह-तरह से भारत को निशाना बनाने की कोशिश भी की गई। यह न सिर्फ इस मौके का गलत इस्तेमाल था, बल्कि इसके पीछे भारत को उकसाने का इरादा भी जगजाहिर था।
नवभारतटाइम्स.कॉम PM Modi in UN
महासभा में पीएम मोदी की बात


इस बचकानी हरकत को नजरअंदाज करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने अपना पूरा ध्यान आज की तारीख में विश्व के सामने मौजूद चुनौतियों और उन्हें हल करने के लिए जरूरी सुधारों पर केंद्रित रखा। उन्होंने कहा कि भारत इस तथ्य में गर्व का अनुभव करता है कि वह संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है। लेकिन इस संस्था की स्थापना के समय जो परिस्थितियां मौजूद थीं, वे अब पूरी तरह बदल चुकी हैं। स्वाभाविक रूप से संयुक्त राष्ट्र का ढांचा भी पुराना पड़ गया है। इसमें बदलाव की जरूरत बताते हुए प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के संचालन में भारत की ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका के सवाल को केंद्र में रखा। उन्होंने यह भी कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् जैसे अपने जीवन मूल्यों के चलते भारत कभी विश्व शांति के लिए खतरा नहीं बनेगा। जब भी शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र की कोई पहल हुई, भारत ने उसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और भारतीय सैनिक अपनी कुर्बानी देने में भी पीछे नहीं रहे।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बढ़ते संदेह और अविश्वास के मौजूदा माहौल में प्रधानमंत्री ने यह कहकर सभी संबंधित देशों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि जब भारत किसी एक देश से करीबी रिश्ता बनाता है तो इसका कतई यह अर्थ नहीं होता कि वह किसी और देश के खिलाफ है। कोरोना महामारी की मौजूदा चुनौतियों के बरक्स भी उन्होंने याद दिलाया कि कैसे भारत ने 150 से ज्यादा देशों को दवाओं की सप्लाई की। वैक्सीन उत्पादन के क्षेत्र में भारत की विशाल क्षमता का जिक्र करते हुए उन्होंने सदस्य देशों को भरोसा दिलाया कि भारत अपनी इस क्षमता का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल पूरी दुनिया से कोरोना वायरस का प्रकोप मिटाने में करेगा। बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अस्थायी सदस्यता का दो साल का कार्यकाल जल्द ही शुरू होने जा रहा है। उम्मीद की जाए कि इसी अवधि में इस परिषद की स्थायी सदस्यता का दायरा बढ़ाने संबंधी सुधार पर उपयुक्त फैसला लेकर उस पर अमल की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

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