भारत के आईटी टैलंट के रास्ते में अमेरिका एक के बाद एक परेशानी खड़ी कर रहा है। पहले वीजा फी डबल कर दी। अब एक नए अमेरिकी कानून के मुताबिक कंपनियां 15 फीसदी से ज्यादा एच1बी वीजावाले कर्मचारियों को नहीं रख पाएंगी। एच 1 बी वीजावाले कर्मचारी का वेतन कम से कम 90000 डॉलर सालाना पड़ेगा। कंपनियां न तो एच1 बी वीजाधारक कर्मचारियों को किसी अन्य क्लायंट के हवाले कर सकेंगी और न वर्तमान कर्मचारियों को हटा सकेंगी। ये पक्षपातपूर्ण कदम भारतीय कंपनियों के लिए दिक्कतें पैदा करनेवाले हैं। भारत को इसका जवाब देना होगा। यह जवाब लॉबीइंग तक सीमित रहे, यह जरूरी नहीं।
दूसरे उपायों से भी इसका मुकाबला करना होगा। भारत इस मामले में चीन से सीख सकता है। चीन ने गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों को ब्लॉक किया जिसका भरपूर फायदा बाइडू, वीचैट, वीबो और अलीबाबा जैसी चाइनीज़ कंपनियों तथा उनकी सर्विसेज को मिला। भारत भी बड़ी अमेरिकी कंपनियों पर रोक लगाए तो इसका सीधा फायदा स्थानीय टेक फर्म्स को मिलेगा। वे न केवल अपना साइज बढ़ा सकेंगी बल्कि देश में सैकड़ों-हजारों रोजगार भी पैदा करेंगी। आज भारत के डिजिटल विज्ञापन धंधे पर पूरी तरह गूगल और फेसबुक का दबदबा है। दोनों ने मिलकर मार्केट का 75 फीसदी हिस्सा कब्जे में कर रखा है। हम अमेरिकी टेक कंपनियों की डिजिटल कॉलोनी नहीं बने रह सकते। हमें भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को बढ़ावा देकर उन्हें इनका मुकाबला करने लायक बनाने पर ध्यान देना होगा।
विदेशी निवेश केवल अमेजॉन, अलीबाबा और फेसबुक के ही जरिए आएगा ऐसा कहीं लिखा नहीं है। देश में कॉम्पिटिटिव स्टार्टअप का माहौल बने तो वे भारतीय प्रतिभाएं भी आगे बढ़ेंगी, जिन्होंने सिलिकॉन वैली को खड़ा किया, लेकिन आज खुद को पीछे मान रही हैं। हमें ध्यान रखना होगा कि स्टार्टअप इंडिया और डिजिटल इंडिया केवल नारा बन कर न रह जाएं। वास्तव में ये भारत में आईटी के विकास की नई लहर पैदा कर सकते हैं। केंद्र व राज्यों के नेताओं, अफसरों, कारोबारियों, बुद्धिजीवियों और तकनीक के जानकारों को साथ लेते हुए इस बारे में बातचीत तुरंत शुरू की जानी चाहिए।
दूसरे उपायों से भी इसका मुकाबला करना होगा। भारत इस मामले में चीन से सीख सकता है। चीन ने गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों को ब्लॉक किया जिसका भरपूर फायदा बाइडू, वीचैट, वीबो और अलीबाबा जैसी चाइनीज़ कंपनियों तथा उनकी सर्विसेज को मिला। भारत भी बड़ी अमेरिकी कंपनियों पर रोक लगाए तो इसका सीधा फायदा स्थानीय टेक फर्म्स को मिलेगा। वे न केवल अपना साइज बढ़ा सकेंगी बल्कि देश में सैकड़ों-हजारों रोजगार भी पैदा करेंगी। आज भारत के डिजिटल विज्ञापन धंधे पर पूरी तरह गूगल और फेसबुक का दबदबा है। दोनों ने मिलकर मार्केट का 75 फीसदी हिस्सा कब्जे में कर रखा है। हम अमेरिकी टेक कंपनियों की डिजिटल कॉलोनी नहीं बने रह सकते। हमें भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को बढ़ावा देकर उन्हें इनका मुकाबला करने लायक बनाने पर ध्यान देना होगा।
विदेशी निवेश केवल अमेजॉन, अलीबाबा और फेसबुक के ही जरिए आएगा ऐसा कहीं लिखा नहीं है। देश में कॉम्पिटिटिव स्टार्टअप का माहौल बने तो वे भारतीय प्रतिभाएं भी आगे बढ़ेंगी, जिन्होंने सिलिकॉन वैली को खड़ा किया, लेकिन आज खुद को पीछे मान रही हैं। हमें ध्यान रखना होगा कि स्टार्टअप इंडिया और डिजिटल इंडिया केवल नारा बन कर न रह जाएं। वास्तव में ये भारत में आईटी के विकास की नई लहर पैदा कर सकते हैं। केंद्र व राज्यों के नेताओं, अफसरों, कारोबारियों, बुद्धिजीवियों और तकनीक के जानकारों को साथ लेते हुए इस बारे में बातचीत तुरंत शुरू की जानी चाहिए।