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आय ज्यादा, टैक्स कम

नवभारत टाइम्स 22 Dec 2017, 11:14 am
इनकम टैक्स विभाग ने पिछले साल, यानी असेसमेंट ईयर 2015-16 में दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न के जो आंकड़े जारी किए हैं वह टैक्स वसूली की चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक देश में 5 से 10 करोड़ सालाना कमाने वालों की संख्या महज 1000 है। तस्वीर कितनी भ्रामक है, इसका अंदाजा सिर्फ इस एक बात से हो जाता है कि देश में मर्सिडीज बेंज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी 50 लाख की रेंज में आने वाली लग्जरी कारों की सालाना बिक्री 35000 के आस-पास बैठती है।
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आय ज्यादा, टैक्स कम


कुल 4.07 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया, जिनमें से 82 लाख ने जीरो टैक्स भरा। यानी उनकी घोषित आमदनी इतनी भी नहीं थी कि कोई टैक्स भरें। बाकी बचे 3.25 करोड़ लोगों में से 1.33 करोड़ लोग टैक्स स्लैब की सबसे निचली श्रेणी (यानी 2.5 लाख से 3.5 लाख) में आए। जैसे-जैसे ज्यादा आमदनी वाली श्रेणी की ओर बढ़ते हैं, करदाताओं की संख्या नाटकीय रूप से कम होती जाती है। देश में 500 करोड़ से ऊपर की कैटिगरी में इस साल सिर्फ एक आदमी पाया गया, जिसकी कुल आमदनी 721 करोड़ रुपये दर्ज की गई थी।

इससे अच्छी हालत तो 2014-15 में थी जब इस कैटिगरी में सात व्यक्ति आते थे और उनकी कुल आमदनी 85,183 करोड़ पाई गई थी। वैसे इन आंकड़ों के मुताबिक एक साल में करोड़पतियों की संख्या में तेज इजाफा हुआ है। 2014-15 में एक करोड़ से ज्यादा कमाने वाले व्यक्तियों की संख्या 48,417 थी जो 2015-16 में बढ़ कर 59,830 हो गई। दिलचस्प बात यह है कि करोड़पतियों की संख्या बढ़ने के बावजूद उनकी कुल आमदनी कम हो गई। एक साल पहले इनकी सामूहिक आमदनी 2.05 लाख करोड़ रुपये थी जो ताजा आंकड़ों के मुताबिक 1.54 लाख करोड़ रुपये रह गई है। इनकम टैक्स रिटर्न के जरिए जमा हुई कुल रकम 2014-15 के 18.41 लाख करोड़ से बढ़कर 2015-16 में 21.27 लाख करोड़ रुपये हो गई है, लेकिन हकीकत यही है कि आज भी देश में सबसे ज्यादा कमाने वाले लोग टैक्स के जाल से आराम से निकल आते हैं। सरकार ने पिछले दिनों टैक्स दायरे के विस्तार की जो कोशिशें की हैं उनके नतीजे आने बाकी हैं, लेकिन सुपर रिच कैटिगरी से वसूली बढ़ाने के लिए तो कोई नई कोशिश भी नहीं की जा रही है।

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