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उप मुख्यमंत्री मंडल

भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसा अब तक नहीं हुआ। जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। जाहिर है, सामान्य वर्गों के अलावा उन्हें इन पांचों समुदायों का भी समर्थन मिला है और वे चाहते हैं कि अपने प्रशासन में इन्हें समुचित प्रतिनिधित्व दें।

नवभारत टाइम्स 8 Jun 2019, 9:25 am
सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री आमतौर पर अपना मंत्रिमंडल गठित करते हैं लेकिन आंध्र प्रदेश के नए सीएम जगन मोहन रेड्डी ने मंत्रिमंडल के साथ-साथ एक उप मुख्यमंत्री मंडल भी बना डाला है। राज्य कैबिनेट में 5 डिप्टी सीएम होंगे- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और कापू समुदाय, हर एक से एक-एक। भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसा अब तक नहीं हुआ। जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। जाहिर है, सामान्य वर्गों के अलावा उन्हें इन पांचों समुदायों का भी समर्थन मिला है और वे चाहते हैं कि अपने प्रशासन में इन्हें समुचित प्रतिनिधित्व दें।
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जगन की मंशा सही हो सकती है पर उनका यह तरीका हमारे सिस्टम को हल्का बना रहा है। संविधान में तो उप प्रधानमंत्री या उप मुख्यमंत्री जैसे किसी पद का प्रावधान ही नहीं है। विशेष स्थितियों में किसी मंत्री को ही उप प्रधानमंत्री या उप मुख्यमंत्री की गरिमा देने का चलन जरूर बन गया है, लेकिन व्यवहार में वे एक सामान्य मंत्री की तरह ही काम करते हैं। 1989 में जब देवीलाल ने उप प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी तो मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था। तत्कालीन अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कोर्ट के सामने स्पष्ट किया कि देवीलाल ने भले ही शपथ में उप प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल किया हो पर वह मंत्री के रूप में ही कार्य करेंगे, प्रधानमंत्री की कोई शक्ति उनमें नहीं होगी। कोर्ट ने यह दलील मान ली और यही व्यवस्था बन गई। यह बात उप मुख्यमंत्री के संबंध में भी लागू होती है।

जबसे गठबंधन राजनीति का दौर शुरू हुआ है, उप मुख्यमंत्री का पद आमतौर पर सबसे बड़े साझीदार दल को दिया जाता है। अलग-अलग समुदायों का प्रतिनिधित्व दिखाने के लिए एक या दो उप मुख्यमंत्री बनाने का चलन भी इधर चल पड़ा है। लेकिन जगन ने तो पांच उप मुख्यमंत्री बनाकर एक नई परंपरा ही कायम कर दी है। उनसे पूछा जा सकता है कि किसी महिला को डिप्टी सीएम बनाने लायक उन्होंने क्यों नहीं समझा? संभव है, कल कुछ और समुदायों के लोग अपना-अपना उप मुख्यमंत्री चाहें। तब जगन किस-किसको यह पद बांटते फिरेंगे? यह भी विचारणीय है कि दिखावटी पद बांटकर विभिन्न समुदायों को संतुष्ट करने की राजनीति हमारी व्यवस्था का क्या हाल करेगी। असल में यह एक नेता में आत्मविश्वास की कमी का सूचक है। शायद मुख्यमंत्री को यह भरोसा नहीं है कि अपने कामकाज से वे राज्य की पूरी जनता का दिल जीत सकते हैं। या शायद जगन को यह डर है कि विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधि कहीं बीच में ही उनका साथ न छोड़ दें। क्या इसी से बचने के लिए जगन ने उन्हें उप मुख्यमंत्री का पद बतौर एडवांस पेश कर दिया है? अच्छा हो कि आंध्र प्रदेश के तमाम डिप्टी सीएम खुद ही इस ओहदे से हाथ जोड़ लें।

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