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अब जाए तीन तलाक

देश में तीन तलाक सिस्टम के खिलाफ माहौल बनने लगा है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन...

नवभारत टाइम्स 2 Jun 2016, 2:21 am
देश में तीन तलाक सिस्टम के खिलाफ माहौल बनने लगा है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की ओर से तैयार की गई उस याचिका पर 50000 से ज्यादा मुस्लिम महिला और पुरुष साइन कर चुके हैं, जिसमें इस स्त्री विरोधी चलन पर रोक लगाने की मांग की गई है। जुबानी तलाक की इस व्यवस्था के साथ अगर ‘निकाह हलाला’ को भी जोड़ कर देखें तो मुस्लिम महिलाओं की बदहाली का अंदाजा हो सकता है।
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अब जाए तीन तलाक


‘निकाह हलाला’ वह व्यवस्था है, जिसके मुताबिक मौखिक ही सही पर एक बार तलाक हो जाने के बाद कोई महिला अपने पति के साथ तब तक नहीं रह सकती, जब तक वह किसी और से शादी न करे और फिर वह व्यक्ति उसे तलाक न दे दे। इन दोनों व्यवस्थाओं ने परिवार में मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बहुत कमजोर बना दी है। आज के दौर में ऐसे रिवाजों के पक्ष में कहने को कुछ खास नहीं है। लेकिन समाज का एक छोटा हिस्सा इस दलील के साथ इसे रोकने की कोशिशों का विरोध करता है कि मजहब के अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

हालांकि तीन तलाक खत्म करने की मांग भी कहीं बाहर से नहीं, इस्लाम के अंदर से ही हो रही है। इससे पीड़ित महिलाएं न केवल मुस्लिम समाज का अभिन्न अंग हैं, बल्कि इस देश की सम्मानित नागरिक भी हैं। उनके अपने संवैधानिक अधिकार हैं, जिनसे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता। यह अच्छी बात है कि मुस्लिम महिलाओं और उनका साथ देने वाले प्रगतिशील पुरुषों की आवाज अब तेज होने लगी है।

एक दौर था जब हिंदुस्तानी मुसलमान दुनिया भर में अपनी रोशनखयाली के लिए जाने जाते थे। पिछले तीन दशकों में कट्टरपंथी तत्वों की जकड़बंदी ने इस धर्म के अंदर की इंसाफ पसंद आवाज को कमजोर किया है। लेकिन अभी हालात बदल रहे हैं। पाकिस्तान में महिलाओं ने पति द्वारा ‘हल्की पिटाई’ को उचित बताने वाले एक प्रस्तावित बिल का खुलकर विरोध शुरू कर दिया है।

इसके जवाब में वहां ‘पीट कर देखो’ मुहिम शुरू हुई है, जिसमें ऐसी कोशिश भी करने पर मुंहतोड़ जवाब देने का एलान किया जा रहा है। बदलते वक्त का तकाजा है कि खुद को मुसलमानों का खैरख्वाह मानने वाले लोग बदलाव की आहट को सुनें और खुद को समय के मुताबिक ढालने की कोशिश करें।

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