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देवभूमि को मौका

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में नई सरकार ने कार्यभार संभाल लिया है। लोगों की उम्मीदों का

नवभारत टाइम्स 20 Mar 2017, 10:48 am
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में नई सरकार ने कार्यभार संभाल लिया है। लोगों की उम्मीदों का बड़ा बोझ इस सरकार के कंधों पर है। दरअसल इस छोटे से पहाड़ी राज्य की बहादुर जनता ने जितनी कुर्बानियां अपने एक अलग राज्य का सपना सच कराने में दी हैं, उस अनुपात में उसकी आकांक्षाएं पूरी करने का आधा-अधूरा प्रयास भी इस राज्य के नेतृत्व ने नहीं किया है।
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देवभूमि को मौका


उम्मीद यह थी कि अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड का नेतृत्व यहां की भौगोलिक विशिष्टताओं के अनुरूप विकास का नया मॉडल खड़ा करेगा। मगर विकास के मोर्चे पर प्रयास तराई के क्षेत्रों में टैक्स छूट के आकर्षण में लगे कुछेक कारखानों तक ही सीमित रहे। यहां का नेतृत्व अपनी गद्दी की चिंता से ही नहीं उबर पाया। जैसा कि छोटे राज्यों के साथ आम तौर पर होता है, विधायकों का छोटा सा गुट भी सरकार को अस्थिर करने की क्षमता पाकर सौदेबाजी में लग जाता है। नतीजतन राजनीतिक स्थिरता दुर्लभ सी चीज बन जाती है।

छत्तीसगढ़ भले इस मामले में अपवाद साबित हुआ हो, उत्तराखंड में एक नारायण दत्त तिवारी को छोड़ दिया जाए तो कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। कोई महीने दो महीने तो कोई साल दो साल का मेहमान साबित हुआ। ऐसे में यह सचमुच बड़ी बात है कि प्रदेश के मतदाताओं ने बीजेपी को इस बार 70 में से 57 विधायक जिता कर दे दिए। इस तीन चौथाई बहुमत की सार्थकता इसी बात में है कि प्रदेश को न केवल राजनीतिक अस्थिरता से और विधायकों की गुटबाजियों से मुक्ति मिले बल्कि विकास का पीछे छूट चुका अजेंडा भी आगे बढ़े। और विकास भी कैसा? केदारनाथ आपदा जैसे कुदरती विनाश को आमंत्रित करने वाला विकास नहीं बल्कि प्रकृति की सुंदरता व सुरम्यता के साथ तालमेल बिठाकर चलने वाली सुचिंतित, टिकाऊ विकास प्रक्रिया उत्तराखंड की जरूरत है।

बेशक यह लक्ष्य आसान नहीं है, लेकिन खास बात यह है कि इस बार केंद्र और राज्य सरकारों के मिजाज भी मेल खा रहे हैं। दोनों में तालमेल मुश्किल नहीं होगा। नए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उठापटक या तिकड़मों की राजनीति के लिए नहीं जाने जाते। उनकी छवि एक शालीन और गंभीर नेता की है। राज्य के पास यह एक दुर्लभ मौका है। उम्मीद की जानी चाहिए कि रावत सरकार इस मौके को हाथ से जाने नहीं देगी।

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