ऐपशहर

रूस की परेशानी

रूस विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम रहा है, उसे मिला ग्रेस पीरियड भी 26 जून को समाप्त हो गया। रूस के पास विदेशी मुद्रा की कमी नहीं है और उसके केंद्रीय बैंक के पास भारी-भरकम विदेशी मुद्रा का भंडार है, लेकिन उस रकम को यूक्रेन पर हमला करने के बाद पश्चिमी देशों ने फ्रीज कर दिया है।

Authored byएनबीटी डेस्क | नवभारत टाइम्स 28 Jun 2022, 8:17 am
यूक्रेन हमले के बाद लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पहला बड़ा प्रभाव रविवार को इस खबर के रूप में सामने आया कि रूस विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम रहा। उसे विदेशी कर्ज पर ब्याज के रूप में 10 करोड़ डॉलर का भुगतान 27 मई तक करना था। इस पर एक महीने का ग्रेस पीरियड मिला था, जो रविवार 26 जून को समाप्त हो गया। 1918 के बाद यह पहला मौका है, जब रूस को इस तरह की अप्रिय स्थिति झेलनी पड़ रही है। इस बीच, 1998 में भी उसके सामने मुश्किल घड़ी आई थी, लेकिन तब मामला घरेलू कर्जों पर डिफॉल्ट का था और अंतरराष्ट्रीय सहायता की बदौलत वह उस संकट से पार पाने में सफल रहा था। बहरहाल, इस बार का मामला आर्थिक से ज्यादा तकनीकी इस मायने में है कि रूसी सरकार के पास विदेशी मुद्रा की कमी नहीं है। रूस के केंद्रीय बैंक के पास भारी-भरकम विदेशी मुद्रा का भंडार है, जिसे यूक्रेन पर हमला करने के बाद पश्चिमी देशों ने फ्रीज कर दिया है। इसके अलावा, पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद तेल-गैस के निर्यात से उसे रोज करीब एक अरब डॉलर की कमाई हो रही है। इसके बावजूद वह कर्ज पर ब्याज की रकम नहीं चुका पाया क्योंकि आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस ग्लोबल फाइनैंशल सिस्टम से बाहर है। डिफॉल्ट की यह स्थिति चाहे कितनी भी सांकेतिक हो, इसके अपने प्रभाव तो होते ही हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम RUSSIA-EDIT
1918 के बाद बना डिफॉल्टर


पैसा होने के बावजूद 100 से अधिक वर्षों में पहली बार विदेशी कर्ज नहीं चुका पाया रूस, जानिए आखिर क्या है माजरा
यह भी मुमकिन है कि कर्ज देने वाले देश या वहां की संस्थाएं अपने यहां की रूसी संपत्तियों पर दावा करें। अगर वे ऐसा करते हैं तो इससे रूस के साथ उनके डिप्लोमैटिक रिश्ते और खराब हो सकते हैं। एक मुश्किल ऐसी सूरत में विदेश से कर्ज जुटाने में होती है, लेकिन प्रतिबंधों के कारण यह बात भी रूस पर लागू नहीं होती। हां, भुगतान का बोझ अचानक बढ़ने की समस्या जरूर उसे झेलनी पड़ सकती है। अर्ली रीपेमेंट क्लॉज के चलते अब अन्य कर्जों के भी तत्काल भुगतान की मांग बढ़ सकती है। मगर ज्यादा बड़ी चिंता की बात यह है कि विदेशी कर्जों पर डिफॉल्ट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का यह मेल अगर बना रहा तो रूसी अर्थव्यवस्था के लिए आगे चलकर बड़ी मुसीबत ला सकता है। यूं भी, आर्थिक प्रतिबंधों के कारण रूस की इकॉनमी मंदी में फंस चुकी है। इससे रूस में बेरोजगारी की समस्या बढ़ सकती है। अमेरिका, यूरोप की तरह रूस भी महंगाई संकट का सामना कर रहा है। आर्थिक प्रतिबंधों के बीच वहां के केंद्रीय बैंक और सरकार के लिए इन हालात में इकॉनमिक रिकवरी सुनिश्चित करना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, रूस भले ही अमेरिका, चीन की तरह बड़ी इकॉनमी ना हो, लेकिन वह शीर्ष 15 देशों में शामिल है। इसलिए वहां वित्तीय संकट गहराने से वैश्विक ग्रोथ भी प्रभावित होगी, जिस पर पहले ही अमेरिका के मंदी की ओर बढ़ने और चीन में आर्थिक सुस्ती के कारण दबाव है।
लेखक के बारे में
एनबीटी डेस्क
देश, दुनिया, खेल की खबर हो या फिर सियासत के गलियारों की अंदर की बात, हर खबर आप तक पहुंचाता है NBT न्यूज डेस्क।... और पढ़ें

अगला लेख

Opinionकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर