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खलीफा बनने की कोशिश

तुर्की के राष्ट्रपति रेजेप ताइप एरदोआन की भारत यात्रा का मूल्यांकन चीन, जापान या किसी विकसित पश्चिमी देश के राष्ट्राध्यक्ष के दौरे को पैमाना बनाकर नहीं किया जा सकता

नवभारत टाइम्स 2 May 2017, 9:34 am
तुर्की के राष्ट्रपति रेजेप ताइप एरदोआन की भारत यात्रा का मूल्यांकन चीन, जापान या किसी विकसित पश्चिमी देश के राष्ट्राध्यक्ष के दौरे को पैमाना बनाकर नहीं किया जा सकता। कुछेक क्षेत्रों में तुर्की के पास बेहतर टेक्नॉलजी मौजूद है और उसकी प्राइवेट कंपनियां हाउजिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर में अच्छा काम कर रही हैं लेकिन कुल मिलाकर यह तनावों से जूझ रहा, बड़ी पूंजी और अडवांस टेक्नॉलजी की तलाश में भटक रहा एक विकासशील देश ही है।
नवभारतटाइम्स.कॉम visit of turkish president to india
खलीफा बनने की कोशिश


भारत और तुर्की के रिश्तों के बड़े मायने एशियाई भू-राजनीति के संदर्भ में ही निकल सकते हैं लेकिन वहां भी शक्ति-संतुलन बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस्लामी दुनिया पर प्रभुत्व के लिए पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका की चार बड़ी ताकतें काफी लंबे समय से होड़ में जुटी हुई हैं- ईरान, सऊदी अरब, इजिप्ट और तुर्की। पिछले पांच वर्षों की उथल-पुथल के बाद से इजिप्ट का नाम इस सूची से लगभग कट चुका है जबकि ईरान एक शिया ताकत होने के कारण बिरादरी से तकरीबन बाहर माना जाता रहा है। बचे सऊदी अरब और तुर्की, जिनके सिर पर द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही अमेरिका का हाथ रहा है।

अभी इन दोनों देशों को पता है कि अमेरिका इनका भरोसेमंद सहयोगी नहीं रह गया है। लिहाजा दोनों की कोशिश इस्लामी दुनिया पर चौधराहट कायम करके अपना कद ऊंचा उठाए रखने की है। यही वजह है कि भारत यात्रा पर निकलने से ठीक पहले रेजेप ताइप एरदोआन को कश्मीर के बारे में विवादास्पद बयान देना इतना जरूरी लगा। उन्हें पता है कि कश्मीर समेत अपने सारे मसले भारत और पाकिस्तान आपस में ही सुलझाएंगे, किसी तीसरे के लिए इस मामले में अपनी नाक घुसाने की कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन अरदोआन की कोशिश शायद सऊदी परिवार को पीछे छोड़कर इक्कीसवीं सदी के खलीफा जैसा दिखने की है। उम्मीद करें कि भारत का राजनीतिक नेतृत्व उन्हें यह समझाने में सफल रहेगा कि आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को अंगूठे के नीचे रखकर वे अपना और अपने देश का कहीं ज्यादा भला कर सकते हैं। रही बात व्यापार और निवेश की, तो तुर्की के मौजूदा माहौल को देखते हुए यह सब उसकी प्राथमिकता सूची में उतना ऊपर नहीं लगता, जितने का दिखावा किया जा रहा है।

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