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इतने नंबर नहीं चाहिए

सीबीएसई 10वीं और 12वीं परीक्षाओं के पैटर्न में बुनियादी बदलाव करने जा रहा है। ऐसे बदलावों की कवायद सीबीएसई समय-समय पर करता ही रहा है, लेकिन जिस तरह के बदलावों की बात इस बार की जा रही है, वे कुछ अलग से लग रहे हैं।

नवभारत टाइम्स 24 Aug 2018, 10:15 am
सीबीएसई 10वीं और 12वीं परीक्षाओं के पैटर्न में बुनियादी बदलाव करने जा रहा है। ऐसे बदलावों की कवायद सीबीएसई समय-समय पर करता ही रहा है, लेकिन जिस तरह के बदलावों की बात इस बार की जा रही है, वे कुछ अलग से लग रहे हैं। लंबे समय से 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं स्टूडेंट्स के अकल्पनीय लगने वाले प्राप्तांकों के लिए चर्चा में रहती आ रही हैं। टॉपरों को पूर्णांक से सिर्फ एक या दो नंबर कम मिलते हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के अच्छे माने जाने वाले कॉलेजों में फर्स्ट कटऑफ की सीमा 95 फीसदी से भी ऊपर रहती है।
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सीबीएसई परीक्षाओं में बदलाव


स्वाभाविक है कि अलग-अलग राज्यों के बोर्ड भी धीरे-धीरे इसी पैटर्न पर खुद को ढालने लगे, ताकि उनके बच्चों को कम नंबर का नुकसान न उठाना पड़े। इस तरह की मार्किंग वाले पैटर्न ने स्टूडेंट्स का कितना भला किया, इसका अंदाजा लंबी अवधि में लगाया जा सकेगा, लेकिन उनके व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए इसे भरोसेमंद नहीं माना जाता। परीक्षाओं में फुल मार्क्स मिलने लायक सवाल पूछे जाते हैं, तभी तो इतिहास, समाजशास्त्र और अंग्रेजी जैसे विषयों में भी बच्चों को 99 फीसदी से ज्यादा अंक मिलते हैं। इतने अंक लाने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि बच्चा पाठ्यपुस्तक के अध्यायों को समझने में अपना वक्त बर्बाद करने के बजाय संभावित सवालों के सही जवाब कंठस्थ करने में जुट जाए। यह काम उसने ठीक से कर लिया तो परीक्षा में पूछे गए सवालों पर उसे सोचना नहीं पड़ेगा, धड़ाधड़ अधिक से अधिक सवालों के जवाब वह उत्तर पुस्तिकाओं पर उगल आएगा।

इस पद्धति का नुकसान यह है कि आपको पता नहीं होता कि आपके सर्वश्रेष्ठ घोषित बच्चों में भी सोचने, समझने, विश्लेषण करने और अपने स्वतंत्र नतीजे निकालने की क्षमता है या नहीं। कोई बिल्कुल नई समस्या उनके सामने आ जाए तो उससे निपटने का कोई उपाय वे विकसित कर सकते हैं या नहीं। सीबीएसई का प्रस्ताव अभी शुरुआती अवस्था में है, चर्चा के लिए यह अभी कैबिनेट के सामने भी नहीं आया है, लेकिन बताया जा रहा है कि इसका जोर रट्टा मारने के बजाय समझने और समझाने के सामर्थ्य का जायजा लेने पर है। अगर यह बात सही है तो इस दिशा में जल्द से जल्द आगे बढ़ना चाहिए।

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