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आखिर कहां लापता हुआ विमान?

पिछले साल जब दिल्ली में बीएसएफ का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ तो उसमें मारे गए एक सैनिक की बच्ची ने...

नवभारत टाइम्स 25 Jul 2016, 1:10 am
पिछले साल जब दिल्ली में बीएसएफ का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ तो उसमें मारे गए एक सैनिक की बच्ची ने रक्षा मंत्री से पूछा था कि हर बार सैनिक ही क्यों मारे जाते हैं? उनके परिवारों को ही क्यों रोना पड़ता है? इस बार ऐसा ही दक्षिण में हुआ। विशाल परिवहन विमान एएन-32 चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जाने के लिए उड़ा, लेकिन रास्ते में ही गायब हो गया। उसमें सवार 29 लोगों के परिवारों के लिए यह बेहद संकट भरा समय है। पूरे देश की संवेदनाएं उनके साथ हैं, हालांकि सवाल उनके भी वही हैं जो दिल्ली में उस बच्ची ने पिछले साल पूछा था।
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आखिर कहां लापता हुआ विमान?


रक्षा मंत्रालय को इस सवाल का जवाब तलाशने में अब और देर नहीं करनी चाहिए। दरअसल सैनिकों की आवाजाही के लिए हमारे पास जो विमान हैं, उनका रखरखाव सेना या रक्षा मंत्रालय के अजेंडे पर आ ही नहीं पा रहा है। वायुसेना की अपडेटिंग में सारा ध्यान लड़ाकू विमानों की तरफ दिया जाता है। सैनिकों की आवाजाही के लिए सेना के पास जितने भी विमान हैं, लगभग सभी आउटडेटेड और किसी न किसी तकनीकी खराबी के शिकार हैं।

अभी गायब हुए एएन-32 में भी इसी महीने तीन बार गंभीर खराबी आ चुकी थी। परिवहन के काम आने वाले तकरीबन सोलह और विमान पिछले नौ सालों में दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। एएन-32 के साथ ही यह चौथी दुर्घटना है। भारत का पूरा सुरक्षा तंत्र, कम से कम वायुसेना के मामले में बाहर से खरीदे गये हथियारों और विमानों से ही चलता है। इसमें कोई भी पेचीदगी आ जाए तो इसका नुकसान हमें अपने वायुसैनिकों और रक्षा कार्य में लगे अन्य जवानों को खोकर ही उठाना पड़ता है। फिलहाल 100 के आसपास एनएन-32 विमान हमारे पास हैं। सोवियत संघ के रहते इनको वहीं से खरीदा गया था।

उसके विघटन के बाद इंजीनियरिंग का काम यूक्रेन में सीमित हो गया जबकि इनके विभिन्न उपकरण और स्पेयर पार्ट्स रूस से आते हैं। फिलहाल दोनों देशों में छत्तीस के आंकड़े के चलते इन विमानों की सर्विसिंग में भी भारी दिक्कत आ रही है। समय आ गया है कि रक्षा मंत्रालय सैनिकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करे और पुराने विमानों के मोह में फंसे रहने के बजाय दूसरे स्रोतों से नए परिवहन विमानों की खरीद करे।

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