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पहलवान और सरकार में सहमति के आसार

महीनेभर से ज्यादा वक्त से चल रहे पहलवानों के आंदोलन के बाद अब केंद्र सरकार और पहलवानों के बीच बातचीत शुरू हुई है। बुधवार को केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को अपने आवास पर बुलाया।

Authored byएनबीटी डेस्क | नवभारत टाइम्स 8 Jun 2023, 6:00 am
लंबे इंतजार के बाद आखिर सरकार की ओर से पहल हुई और पहलवानों के साथ नए सिरे से बातचीत शुरू हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दखल देने के बाद बुधवार को केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के आमंत्रण पर पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक उनके निवास पर गए। वहां दोनों पक्षों में करीब छह घंटे लंबी बैठक हुई। इसके बाद अनुराग ठाकुर ने मीडिया को बताया कि खिलाड़ियों के साथ सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई और 15 जून तक जांच पूरी कर चार्जशीट फाइल कर दी जाएगी। उनसे पहले बजरंग पूनिया ने सिर्फ इतना बताया था कि वे आपस में, किसान नेताओं और खाप पंचायत के प्रतिनिधियों से बातचीत कर आगे का कार्यक्रम बताएंगे, लेकिन यह साफ है कि उनके सामने सरकार की ओर से कुछ ऐसी बातें रखी गई हैं, जिन पर उन्हें साथियों के साथ बातचीत करनी है। खेल मंत्री का बयान बताता है कि ज्यादातर मांगों पर सहमति बन गई है। पहलवानों की ओर से जो पांच मांगें रखी गई हैं, उनमें भारतीय कुश्ती महासंघ के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाना, मौजूदा अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और उनके परिवार को इन चुनावों से दूर रखना, कुश्ती महासंघ की आंतरिक शिकायत समिति की प्रमुख किसी महिला को बनाना और पुलिस कार्रवाई के बाद पहलवानों पर दर्ज केस वापस लेना- इन चार में कोई बड़ी दिक्कत नहीं है।
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खबरें भी बताती हैं कि सरकार इन मांगों पर स्वीकार करने को करीब-करीब तैयार हो गई है। मामला पांचवीं मांग को लेकर फंस रहा है, जिसे पहलवान अपनी मुख्य मांग के रूप में पेश करते आए हैं। वह है बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी। जहां पहलवानों के लिए इस मांग पर ढील देने का मतलब अपनी अब तक की लड़ाई को व्यर्थ कर देने जैसा है, वहीं सरकार की इस दिक्कत को भी खारिज नहीं किया जा सकता कि एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद पुलिस इस मामले को देख रही है। जिस तरह के सबूत मिल रहे हैं, उसी आधार पर जांच आगे बढ़ रही है और पुलिस की कार्रवाई भी उसी के अनुरूप होनी चाहिए। अगर किसी दबाव में उससे अलग कदम उठा लिया जाता है तो उसे तथ्यों की रोशनी में अदालत में सही साबित करना मुश्किल हो जाएगा। शायद इसीलिए सरकार की तरफ से यह भरोसा दिलाया गया कि दिल्ली पुलिस जांच पूरी होने के बाद मजबूत चार्जशीट पेश कर देगी। लेकिन पहलवानों के लिए यह तय करना मुश्किल है कि मजबूत चार्जशीट का ठीक-ठीक मतलब क्या निकलेगा। बहरहाल, पहलवानों की शिकायतों और उनके विरोध प्रदर्शन से जुड़ा यह पूरा प्रकरण बहुत लंबा खिंच चुका है। यह और लंबा चला तो देश की साख को वाकई नुकसान पहुंचा सकता है।
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एनबीटी डेस्क
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