मुंबई
लापता लोगों के लिए वक्त-वक्त पर अलग-अलग शहरों की पुलिस विशेष अभियान चलाती रहती हैं। ताजा कड़ी में पालघर और ठाणे में ऐसे लोगों को ढूंढने का काम चल रहा है। वसई-विरार के अडिशनल एसपी राज तिलक रौशन ने एनबीटी से कहा कि अकेले जुलाई महीने में हमने 200 से ज्यादा लोगों को ट्रेस किया गया है। ट्रेस किए गए इन लोगों में 34 नाबालिग लड़के व 52 नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। इसके अलावा बालिग 58 पुरुष व बालिग 93 लड़कियों को ढूंढा गया है।
कोंकण के आईजी नवल बजाज ने रौशन को पालघर और ठाणे ग्रामीण का नोडल अधिकारी बनाया है। अडिशनल एसपी के अनुसार, पिछले दस दिन में ही हमने 20 से ज्यादा लोगों को ट्रेस किया गया। वसई -विरार में लापता लोगों को ढूंढने के लिए एक एसआईटी भी बनाई गई है। इस एसआईटी में एक अधिकारी व आठ सिपाही रखे गए हैं। इसके अलावा इस इलाके के आठ पुलिस स्टेशनों में भी हर पुलिस स्टेशन से एक उप निरीक्षक व तीन सिपाहियों को लापता लोगों को ढूंढने के काम में रखा गया है।
इस टीम ने ऐसे ही एक ऑपरेशन में एक लड़की को पिछले दिनों हरिद्वार से करीब 36 घंटे के ऑपरेशन के बाद ढूंढ निकाला। यह लड़की किसी लड़के के ट्रैप में फंस गई थी। वह उसे मुंबई से भगा ले गया। बाद में वहां लड़के के भाई ने भी उसका यौन शोषण करना शुरू कर दिया। परेशान लड़की ने फिर किसी के नंबर से वसई में अपनी मां को फोन किया। पुलिस ने फिर इस नंबर से पड़ताल शुरू की और लड़की को ढूंढ कर उसके परिवार को सौंप दिया।
सन 2012 तक जो नाबालिग गायब होते थे, पुलिस उनसे जुड़े केसों में सिर्फ मिसिंग की शिकायत दर्ज करती थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हर नाबालिग के लापता होने पर अपहरण का केस दर्ज किया जाने लगा। अभी भी कई ऐसे केस हैं, जहां कई-कई साल से लापता लोग नहीं मिले हैं। अडिशनल एसपी राज तिलक रौशन कहते हैं कि हम सिर्फ अभी के ही नहीं, पहले के भी अनसुलझे मिसिंग व किडनैपिंग केसों में भी उतनी ही दिलचस्पी ले रहे हैं। अडिशनल एसपी ने अपनी टीम से कहा है कि जो भी नाबालिग या बालिग लापता हो और उसके संबंध में पुलिस में शिकायत आए, उससे जुड़े उसके सभी दोस्तों, परिचितों और रिश्तेदारों की पूरी डिटेल निकालो। अपनी मर्जी से गायब बच्चों की यह मानसिकता होती है कि जाने से पहले किसी ने किसी को अपने दिल की बात बोल देते हैं। कई बार गलत लोगों के चंगुल से निकलने के बाद भी ऐसे बच्चे अपने किसी न किसी परिचित को फोन जरूर करते हैं।
वसई-विरार में कानून व्यवस्था को लेकर राज्य गृहमंत्रालय का इधर ज्यादा फोकस है, इसलिए पिछले दो साल में यहां लगातार दूसरी बार अडिशनल एसपी की पोस्ट पर आईपीएस रैंक के अधिकारी की नियुक्ति की कई है। राज तिलक रौशन से पहले आईपीएस योगेंद्र कुमार यहां कार्यरत थे। रौशन ने आईपीएस की परीक्षा पास करने से पहले आईआईटी खड़कपुर से इंजिनियरिंग की डिग्री ली हुई है। वह बहुत अच्छे कवि और कहानीकार भी हैं। काम की व्यस्तता के बीच भी उन्होंने हिंदी में बहुत सुंदर कविताएं और अंग्रेजी में लघु कथाएं लिखी हैं।
लापता लोगों के लिए वक्त-वक्त पर अलग-अलग शहरों की पुलिस विशेष अभियान चलाती रहती हैं। ताजा कड़ी में पालघर और ठाणे में ऐसे लोगों को ढूंढने का काम चल रहा है। वसई-विरार के अडिशनल एसपी राज तिलक रौशन ने एनबीटी से कहा कि अकेले जुलाई महीने में हमने 200 से ज्यादा लोगों को ट्रेस किया गया है। ट्रेस किए गए इन लोगों में 34 नाबालिग लड़के व 52 नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। इसके अलावा बालिग 58 पुरुष व बालिग 93 लड़कियों को ढूंढा गया है।
कोंकण के आईजी नवल बजाज ने रौशन को पालघर और ठाणे ग्रामीण का नोडल अधिकारी बनाया है। अडिशनल एसपी के अनुसार, पिछले दस दिन में ही हमने 20 से ज्यादा लोगों को ट्रेस किया गया। वसई -विरार में लापता लोगों को ढूंढने के लिए एक एसआईटी भी बनाई गई है। इस एसआईटी में एक अधिकारी व आठ सिपाही रखे गए हैं। इसके अलावा इस इलाके के आठ पुलिस स्टेशनों में भी हर पुलिस स्टेशन से एक उप निरीक्षक व तीन सिपाहियों को लापता लोगों को ढूंढने के काम में रखा गया है।
इस टीम ने ऐसे ही एक ऑपरेशन में एक लड़की को पिछले दिनों हरिद्वार से करीब 36 घंटे के ऑपरेशन के बाद ढूंढ निकाला। यह लड़की किसी लड़के के ट्रैप में फंस गई थी। वह उसे मुंबई से भगा ले गया। बाद में वहां लड़के के भाई ने भी उसका यौन शोषण करना शुरू कर दिया। परेशान लड़की ने फिर किसी के नंबर से वसई में अपनी मां को फोन किया। पुलिस ने फिर इस नंबर से पड़ताल शुरू की और लड़की को ढूंढ कर उसके परिवार को सौंप दिया।
सन 2012 तक जो नाबालिग गायब होते थे, पुलिस उनसे जुड़े केसों में सिर्फ मिसिंग की शिकायत दर्ज करती थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हर नाबालिग के लापता होने पर अपहरण का केस दर्ज किया जाने लगा। अभी भी कई ऐसे केस हैं, जहां कई-कई साल से लापता लोग नहीं मिले हैं। अडिशनल एसपी राज तिलक रौशन कहते हैं कि हम सिर्फ अभी के ही नहीं, पहले के भी अनसुलझे मिसिंग व किडनैपिंग केसों में भी उतनी ही दिलचस्पी ले रहे हैं। अडिशनल एसपी ने अपनी टीम से कहा है कि जो भी नाबालिग या बालिग लापता हो और उसके संबंध में पुलिस में शिकायत आए, उससे जुड़े उसके सभी दोस्तों, परिचितों और रिश्तेदारों की पूरी डिटेल निकालो। अपनी मर्जी से गायब बच्चों की यह मानसिकता होती है कि जाने से पहले किसी ने किसी को अपने दिल की बात बोल देते हैं। कई बार गलत लोगों के चंगुल से निकलने के बाद भी ऐसे बच्चे अपने किसी न किसी परिचित को फोन जरूर करते हैं।
वसई-विरार में कानून व्यवस्था को लेकर राज्य गृहमंत्रालय का इधर ज्यादा फोकस है, इसलिए पिछले दो साल में यहां लगातार दूसरी बार अडिशनल एसपी की पोस्ट पर आईपीएस रैंक के अधिकारी की नियुक्ति की कई है। राज तिलक रौशन से पहले आईपीएस योगेंद्र कुमार यहां कार्यरत थे। रौशन ने आईपीएस की परीक्षा पास करने से पहले आईआईटी खड़कपुर से इंजिनियरिंग की डिग्री ली हुई है। वह बहुत अच्छे कवि और कहानीकार भी हैं। काम की व्यस्तता के बीच भी उन्होंने हिंदी में बहुत सुंदर कविताएं और अंग्रेजी में लघु कथाएं लिखी हैं।