ऐपशहर

सेहत की हवा न होगी खराब

बेशक जहरीली हवाओं ने महानगरों में लोगों का जीना हराम कर रखा है। बच्चों और बुजुर्गों की हालत ज्यादा खराब है। ऐसे में सतर्कता जरूरी है। आइए जानते हैं....

नवभारत टाइम्स 17 Nov 2019, 1:17 pm
दिल्ली-एनसीआर में हवा की क्वॉलिटी में सुधार के बाद शनिवार से AQI चाहे 350 के आसपास आ गया है, लेकिन सेहत के लिहाज से अब भी यह खतरनाक लेवल पर है। बेशक जहरीली हवाओं ने महानगरों में लोगों का जीना हराम कर रखा है। बच्चों और बुजुर्गों की हालत ज्यादा खराब है। ऐसे में सतर्कता जरूरी है। आइए जानते हैं कि कुछ ऐसे छोटे जतन, जिनसे हम इस बड़ी समस्या का समाधान खोज सकते हैं। एक्सपर्ट्स से बात कर पूरी जानकारी दे रहे हैं ... लोकेश के. भारती।
नवभारतटाइम्स.कॉम सेहत की बात


एक्सपर्ट पैनल
ईशी खोसला (सीन‍ियर डायटिशन )

डॉ. सत्या एन. डोरनाला (वैद्य-साइंटिस्ट फेलो)

सुरक्षित गोस्वामी (जाने-माने योग गुरु)

अन्नू गुप्ता (योग विशेषज्ञ)

शाम्भवी शुक्ला (पर्यावरण विशेषज्ञ)

डॉ. भगवान सहाय शर्मा ( प्रफेसर, ए यू तिब्बिया कॉलेज)

डॉ. मीना टांडले (आयुर्वेद एक्सपर्ट)

डॉ. किया बर्मन (नेत्र रोग विशेषज्ञ, सेंटर फॉर साइट)

आचार्य मोहन गुप्ता (नेचरोपैथी एक्सपर्ट)

डॉ. शिखा शर्मा (न्यूट्री-डाइट एक्सपर्ट)

डॉ. एस. वरदराजुलु ( आयुर्वेद एक्सपर्ट)

डॉ आर. पी. पाराशर (मेडिकल सुपरिंटेंडेंट पंचकर्मा हॉस्पिटल)

डॉ. के. के. अग्रवाल ( प्रेजिडेंट, हार्ट केअर फाउंडेशन)


अस्थमा वालों के लिए जरूरी बातें
•जरूरी है कि इनहेलर हमेशा अपने साथ रखें। यहां तक कि परेशानी ज्यादा हो तो बाथरूम तक में इसे ले जाना न भूलें यानी इसे दिल से लगाकर रखें। इसके अंदर दवा की मात्रा को जरूर जांचते रहें। नहीं तो कभी ऐसा मुमकिन है कि इनहेलर की जरूरत हो और वह अंदर से खाली निकले।
•अस्थमा से ग्रस्त बच्चों को जितना मुमकिन हो, प्रदूषण से दूर रखें। बाहर से आने पर हाथ-मुंह, आंख आदि को पानी से जरूर धोएं।
•त्रिकटु चूर्ण 2 ग्राम हर दिन खा सकते हैं। इससे अस्थमा की समस्या कम होती है। फेफड़े साफ होते हैं।
•अस्थमा के मरीज AQI के 50 तक रहने पर मास्क छोड़ सकते हैं। अगर इससे ज्यादा है तो हमेशा ही कम-से-कम N95 स्तर का मास्क पहनकर रहना चाहिए।

फ्लू के मामले में
प्रदूषण की वजह से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, इसलिए वाइरल इन्फेक्शन का शिकार हो जाता है। ऐसे में गरारे करना और घर पर बना हुआ सूप पीना बेहतर उपाय हो सकता है।

गरारे: एक गिलास गुनगुने पानी से या फिर इसमें 1 चम्मच सरसों या नारियल तेल मिलाकर गरारे करने से फायदा होगा। दिन में कम से कम 3-से-4 बार जरूर करें।

सूप पिएं: पालक, गाजर, टमाटर, लहसुन, अदरक आदि को मिलाकर वेजिटेबल सूप बना लें। इसे गर्मागम पीने से काफी फायदा होगा।

नोट: गरारे और सूप पीना एक सामान्य शख्स के लिए भी फायदेमंद है। इससे पलूशन का असर शरीर पर कम होता है।

स्नेहन और स्वेदन से भी फायदा


स्नेहन:
स्नेह शब्द का तात्पर्य शरीर को स्निग्ध करने से है। स्नेहन शरीर पर तेल आदि स्निग्ध पदार्थों का अभ्यंग (मालिश) करके किया जाता है। कुछ बीमारियों की चिकित्सा में स्नेहन को प्रधान कर्म के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की मुख्य थेरपी शिरोधारा भी स्नेहन कर्म के तहत मानी जाती है।

स्वेदन: यह वह प्रक्रिया है जिससे स्वेद यानी पसीना पैदा हो। वाष्प स्वेदन में स्टीम बॉक्स में मरीज को लिटाकर या बिठाकर स्वेदन किया जाता है। रुक्ष स्वेदन के लिए इंफ्रारेड लैंप लगे हुए बॉक्स का प्रयोग किया जाता है। स्वेदन को घर में खुद से भी कर सकते हैं। इसके लिए गर्म चाय या गर्म पानी पीने के बाद मोटे कंबल को ओढ़ लेते हैं या फिर गर्म पानी को किसी बर्तन में रखकर कंबल से पानी समेत खुद को ढक लेने से पूरे शरीर से पसीना निकलता है। इससे शरीर से टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं।

प्रदूषण से बचाव में रामबाण है जलनेति

वायु प्रदूषण से बचाव करने में जलनेति सबसे कारगर है। यह एलर्जी, नाक बंद होना, बदलते मौसम में नज़ला-जुकाम, दमा और ब्रॉन्काइटिस आदि बीमारियों में लाभकारी है।

कैसे करें: सुबह खाली पेट आधा लीटर पानी उबालकर ठंडा कर लें। जब पानी गुनगुना रह जाए तब उसमें आधा चम्मच सफेद या सेंधा नमक मिला लें। अब टोंटीदार लोटा लेकर पानी को लोटे में भर लें और कागासन में बैठ जाएं। जो नासिका चल रही हो, उसी हथेली पर लोटा रख लें और टोंटी को चलती नासिका पर लगाएं और गर्दन को दूसरी तरफ झुका लें! मुंह खोलकर मुंह से सांस लेते रहें। लोटे को थोड़ा ऊपर उठाते ही दूसरी नाक से पानी आना शुरू हो जाएगा। लोटा खाली होने पर इसी तरह दूसरी नासिका से भी कर लें। फिर हाथों को कमर के पीछे बांधकर खड़े हो जाएं और थोड़ा आगे झुककर कपालभाति क्रिया गर्दन को सामने, नीचे, दाएं व बाएं घुमाकर बार-बार कर लें, जिससे नाक के अंदर रुका पानी निकल जाएगा।

सावधानी: शुरू में इसका अभ्यास योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करें। जलनेति के बाद लेटकर नाक के दोनों छिद्रों में दो-दो बूंद गाय का शुद्ध घी डाल लें या सरसों का तेल अंगुली से दोनों छिद्रों में लगा दें। ऐसा करने से दिनभर सांस द्वारा अंदर जाने वाले प्रदूषित कण नाक में ही चिपक जाएंगे। फिर रात में सोने से पहले नाक को अच्छी तरह साफ करके सो जाएं।

जलनेति के लिए देखें विडियो:
tinyurl.com/y3jp7h77•tinyurl.com/y2usrvgf

नेचरोपैथ की सलाह

नेचरोपैथी कहती है कि शरीर के अंदर गंदगी जमा होने से ही हेल्थ संबंधी सभी समस्याएं होती हैं। प्रदूषण के मामलों में भी दिक्कत शरीर के अंदर गंदगी जमा होने से ही होती है। प्रदूषण का असर कम से कम हो, इसके लिए ये करें:
•सुबह में सूर्योदय से पहले घर से न निकलें। चाहे योग करना हो या एक्सरसाइज, इस बात का जरूर ध्यान रखें।
•सुबह से लेकर दोपहर 12 बजे तक खाने में सलाद, फल, नारियल पानी का उपयोग ज्यादा-से-ज्यादा करें। दोपहर 12 बजे के बाद ही सामान्य भोजन करें।
•सुबह और शाम में पानी से आंखों को धोएं।
•खाने में मौसमी फल और सब्जियों का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल हो।

घरेलू नुस्खे जो काम के हैं....
•सूखे अदरक का एक टुकड़ा गुड़ की दोगुनी मात्रा के साथ चबाएं। इसे दोपहर में भोजन से पहले या बाद में लें।
•रात में एक कप गर्म पानी के साथ हरितकी (हरड़) का चू्र्ण 45 दिनों के लिए लें। इसका सेवन शरीर को प्रदूषण से लड़ने में सक्षम करेगा ।
•रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच च्यवनप्राश लें। यह बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।
•सुबह के समय तुलसी के 3-4 पत्तियों का सेवन करें।
•एक लीटर पानी में थोड़ा-सा अदरक, 2-3 लौंग, 3-4 काली मिर्च, तुलसी के 4-5 पत्ते और एक चम्मच सौंफ मिलाकर काढ़ा बना लें। सुबह से शाम तक थोड़ी-थोड़ी मात्रा में इसका सेवन करें।
•नीम की पत्तियों से बीमारियों से लड़ने की क्षमता मिलती है। ऐसे में इन दिनों में रोजाना सुबह के समय 4-5 नीम की पत्ती खा सकते हैं। इसके अलावा लहसुन की एक कली रोज सुबह खाली पेट ले सकते हैं। इससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
•सौंठ तीन चुटकी, तीन तुलसी पत्ते, तीन काली मिर्च, दालचीनी का पाउडर दो चुटकी लें और इन सभी को मिलाकर काढ़ा या चाय के रूप में दिन में एक बार एक कप जरूर पिएं।
•आप चाहें तो हल्दी, गुड़, काली मिर्च और देसी घी की चटनी बनाकर सात दिनों के लिए रख लें। इनमें 3 चम्मच हल्दी, 30 ग्राम गुड़, एक बड़ा चम्मच देसी घी और चौथाई चम्मच काली मिर्च को मिला लें। इसका आधा चम्मच सुबह-शाम गरम पानी के साथ लें। इससे अस्थमा, जुकाम, खांसी, खराश सभी चीजें कंट्रोल में रहेंगी।
•2 चम्मच एलोवेरा, जूस 2 चम्मच गर्म पानी के साथ लें। फायदा होगा।
•आंवले का दो चम्मच रस, एक चौथाई चम्मच शहद और चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर को मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं तो फायदा होगा।

नोट: इनमें कोई एक-दो उपाय कर लें जो भी आपके लिए आसानी से मुमकिन हो। इससे प्रदूषण से पैदा हुई दिक्कतों में आराम मिलेगा।

आंखों की करें हिफाजत
•बाहर निकलें तो सन ग्लासेस पहनें। अगर पावर वाला चश्मा लगा हुआ है तो फिर ऐसे ग्लासेस की जरूरत नहीं होगी।
•आंखों में लूब्रिकेटिंग ड्रॉप्स डालें। मसलन, Carboxymethyl Cellulose (कार्बोक्सिमिथाइल सेलुलोज) या Hydroperoxy Methyl Eye Lubricant (हाइड्रोपरऑक्सी मिथाइल आई लूब्रिकेंट)।
•पलूशन की वजह से अगर आंखों में खुजली हो तो खुजाएं बिलकुल नहीं। ठंडे पानी से आंखों को धो लें।
•गुलाब जल पर पीएच वैल्यू (अगर पीएच वैल्यू 7 से कम है तो वह एसिडिक होता है और 7 से ज्यादा तो अल्कलाइन) लिखी हो तो आंखों में ले सकते हैं, लेकिन अमूमन ऐसा होता नहीं। आंखों की पीएच वैल्यू 6.5 से 7.6 होती है। बाजार में मिलनेवाले लूब्रिकेटिंग ड्रॉप्स जांचे और परखे होते हैं। अमूमन इन पर पीएच वैल्यू लिखी होती है।

प्रदूषण का हमला यों करें बेकार
•सुबह उठते ही पहले हाथ धो लें। अब बिना पानी पिएं, सीधे हाथ के अंगूठे से तालू को रगड़कर साफ करें। साथ ही दो उंगलियों से जीभ को जिह्वा मूल (जहां से जीभ शुरू होती है) तक रगड़कर साफ करें। ऐसा तीन-चार बार करने से अंदर चिपका हुआ कफ निकल जाएगा।
•घर से निकलने से पहले तिल या सरसों का तेल या देसी घी को गर्म करके और फिर उसे ठंडा करके 2-3 बूंदें नाक में जहां तक आराम से उंगली पहुंचे, अंदर की तरफ लगाएं। इसे आयुर्वेद में नस्य या नास्य लेना बोलते हैं। इसकी वजह से एलर्जी पैदा करने वाली चीजें, मसलन धूल या वाहनों से निकले छोटे खतरनाक कण सांस के जरिए शरीर के अंदर नहीं पहुंचते।
•प्रदूषण के कारण नाक और सांस नली में हुई सूजन को खत्म करने व इन्फेक्शन से बचाव के लिए पुदीना या यूकेलिप्टस के तेल की दो-दो बूंदें नाक के दोनों छिद्रों में सुबह और रात में डालें।
•रात को सोने से पहले नाक को अच्छी तरह साफ कर लें। आप पाएंगे कि नाक के अंदर की गंदगी बाहर निकल जाने से आपको नींद बेहतर आएगी।
•हफ्ते में एक या दो बार जलनेति करें। अगर कमर दर्द, हाई बीपी, दिल की बीमारी, माइग्रेन है तो ये क्रियाएं बिलकुल न करें। कुंजल या जलनेति का अभ्यास योग विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें।
•शरीर को जितना ढक सकते हैं, उतना ढक कर निकलें ताकि स्किन पर बाहर की हवा और धूल कम से कम पड़े।
•बाहर से घर आने पर फौरन कुछ भी खाने से बचें। घर आकर सबसे पहले गर्म पानी से गरारे करें और आंखों पर गुनगुने या सामान्य पानी से पानी के छीटे मारें।
•हाई ब्लड प्रेशर है तो सुबह में घूमने जाने से बचें, खासकर बुजुर्ग लोग।


बच्चों की बात
•अगर AQI का स्तर 150 से ज्यादा हो तो बच्चों को बाहर खेलने से रोकें।
•बच्चों को सुबह में स्कूटर या बाइक से स्कूल छोड़ने न जाएं।
•अगर ज्यादा प्रदूषण की वजह से बच्चों की आंखें लाल हो जाती हैं तो फौरन डॉक्टर से मिलें।
•बच्चे घर में हों या बाहर गए हों, उनकी आंखों को पानी से धोएं और फिर नाक के अंदर सरसों तेल या नारियल तेल या देसी घी की 2-3 बूंदें लगा दें।
•बिलकुल छोटे बच्चों के कमरे को गर्म रखने के लिए लकड़ी जलाई जाती है। इससे जरूर बचें।

घर के अंदर की हवा ऐसे रखें साफ
•कमरे की खिड़कियां बंद रखें। घर के अंदर कोई भी चीज जलाने से बचें, मसलन लकड़ी, मोमबत्ती और यहां तक कि धूप-अगरबत्ती भी। समय-समय पर गीला पोछा लगाते रहें। प्रदूषण ज्यादा होने पर दिन में 3 से 4 बार गीला पोछा जरूर लगाएं। इससे खतरनाक डस्ट पार्टिकल से घर मुक्त रहेगा।
•अगर सुबह-शाम घर के अंदर दरवाजे के पास 2 लीटर पानी खुले में उबाला जाए तो धूल व प्रदूषण के ज्यादातर कण वाष्प के साथ नीचे बैठ जाएंगे, जिससे घर के अंदर की हवा का प्रदूषण कम हो जाएगा।
•अगर बाहर पलूशन बहुत ज्यादा है तो घर के रोशनदान, दरवाजे आदि को जितना मुमकिन हो, बंद करके रखें।

घर में लगाएं इन पौधों को

तुलसी
यह कॉर्बन मोनोऑक्साइड, कॉर्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड को अवशोषित कर वातावरण को शुद्ध बनाने में सहायक होती है। घर के अंदर जहां धूप आती हो, इसे गमले में रख सकते हैं।
कीमत: 20 से 50 रुपये

मनी प्लांट
यह अधिकतर घरों में मिल जाता है, जोकि हवा को शुद्ध करने में काफी मदद करता है। घर से कार्बन मोनोआक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली हवाओं को निकालने में मदद करता है।
कीमत: 100 से 300 रुपये

ऐरेका पाम
अगर आप अपने पूरे घर में ऑक्सिजन की कमी नहीं होना देना चाहते हैं तो कम से कम के 4 पौधे लिविंग रूम में लगाएं।
कीमत: 200 से 300 रुपये

पीस लिली
यह पौधा हवा में मौजूद हानिकारक कणों और बीमारी पैदा करने वाले कणों को दूर भगाकर हवा को साफ करने में मदद करता है।
कीमत: 150-200 रुपये

रबड़ प्लांट
आप घर के साथ-साथ ऑफिस में भी इस प्लांट को रख सकते हैं। इनमें ऑफिस के वुडन फर्नीचर से निकलने वाले हानिकारक ऑर्गेनिक कंपाउंड फॉरमल्डिहाइड से वातावरण को मुक्त करने की क्षमता होती है।
कीमत: 150-200 रुपये

ऑनलाइन करें ऑर्डर
अगर आपके घर के आसपास नर्सरी से इनडोर प्लांट न मिलें तो आप इन्हें ऑनलाइन ऑर्डर के जरिए भी मंगवा सकते हैं। ऐसी कई बेवसाइट्स हैं, जो दिल्ली और एनसीआर में ऑनलाइन पौधे बेचती हैं।

नोट: 1. पौधों की कीमतों में अंतर मुमकिन है।
2. अगर घर के अंदर आपने 10-20 पौधे लगा लिए हों तो इसका मतलब यह न समझें कि घर की हवा पूरी तरह साफ हो गई है। हां, इससे घर में ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ जाएगी।

AQI खोलता है हवा का राज
एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) के जरिए आप अपने आसपास की एयर क्वॉलिटी की परख कर सकते हैंः

लेवल 1. 0–50
इसमें कोई परेशानी नहीं। हर कोई आराम से सांस ले सकता है। लोग बाहर भी घूमने या दौड़ने के लिए जा सकते हैं।

लेवल 2 . 51–100
इसमें ज्यादातर लोगों को परेशानी नहीं, कुछ ज्यादा सेंसिटिव लोगों को थोड़ी परेशानी मुमकिन। ऐसे लोग जिन्हें परेशानी हों, वे बाहर कम निकलें।

लेवल 3. 101–150
सेहतमंद इंसानों को थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन सेंसिटिव लोगों को ज्यादा। बच्चे, बुजुर्ग और ऐसे लोग जिन्हें सांस की समस्या है, उन्हें बाहर निकलने से बचना चाहिए।

लेवल 4.151–200
सेंसिटिव लोगों को काफी ज्यादा परेशानी होती है। सेहतमंद लोगों को दिल और सांस से जुड़ी तकलीफें हो सकती हैं। बच्चे, बुजुर्ग और ऐसे लोग जिन्हें सांस की समस्या है, वे बाहर न निकलें।

लेवल 5 .201–300
भारी प्रदूषण। इसमें हेल्दी लोगों को भी सांस आदि से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चे, बुजुर्ग और ऐसे लोग जिन्हें सांस की समस्या है, वे घर में ही सारे काम करें।

301-350
खतरनाक प्रदूषण, हेल्दी लोगों को भी दिक्कत होती है। सरदर्द, उलटी और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। हेल्दी लोगों के लिए भी बाहर निकलना खतरनाक। बच्चे, बुजुर्ग और ऐसे लोग जिन्हें सांस की समस्या है, वे फिजिकल एक्टिविटीज बिलकुल न करें।

351 से ज्यादा
इमरजेंसी जैसे हालात। बाहर निकलना खतरनाक। घर में भी खिड़की-दरवाजे बंदकर रहें।

जानें हवा का रुख
आप अपने आसपास की एयर क्वॉलिटी की जानकारी इन मोबाइल ऐप्स की मदद से खुद भी हासिल कर सकते हैं: SAFAR, Sameer ये दोनों ऐप्स Android और iOS Mobile दोनों प्लैटफॉर्म पर उपलब्ध हैं।


एयर प्यूरिफायर कितने कारगर :

एंट्री लेवल के प्यूरिफायर
.ये 14X12 फुट के कमरे को कवर कर सकते हैं जबकि महंगे मॉडल बड़े एरिया को। इनकी कीमत 11 हजार से 95 हजार रुपये तक है।
•सांस संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए जरूरी है कि प्यूरिफायर पीएम 2.5 पार्टिकल को फिल्टर करे।
•अगर एयर प्यूरिफायर खरीदना पड़े तो ऊंचे HEPA (हाई एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर) मतलब ज्यादा-से-ज्यादा महीन कणों को रोकने लायक फिल्टर और हाई क्लीन एयर डिलिवरी रेट हो यानी तेजी से गंदी हवा को साफ करने की दर ऊंची हो।
•पल्यूशन के हिसाब से प्यूरिफायर की 3-6 महीने में सर्विसिंग करवानी होती है और फिल्टर आदि बदलवाने होते हैं। ऐसा न करने पर इसका फायदा नहीं मिलता।
•फिलहाल मार्केट में फिलिप्स, ब्लूएयर, यूरेका फॉर्ब्स, हनीवेल और केंट जैसी कंपनियों के एयर प्यूरिफायर 11 हजार रुपये से 95 हजार रुपये में मौजूद हैं।
•हालांकि इसके इस्तेमाल करनेवालों का कहना है कि इससे हालात बदतर होने से तो बच जाते हैं, लेकिन प्रदूषण के घातक हालात में यह कारगर नहीं रहता।
•इससे दमे या एलर्जी के मरीजों को राहत मिलती है, लेकिन आम लोगों की सेहत में यह भारी सुधार करता हो, ऐसा देखने में नहीं आया है।
•कई स्टडीज यह भी दावा करती हैं कि एयर प्यूरिफायर भले ही हवा साफ करता है, लेकिन यह डिवाइस खुद ही ओजोन और निगेटिव आयन वातावरण में छोड़ती है। इससे हालात सुधरने के बजाय बिगड़ने लगते हैं।
•एयर प्यूरिफायर के बेहतर तरीके से काम करने के लिए जरूरी है कि घर पूरी तरह से सील हों। हमारे देश में ऐसे घर कम ही होते हैं जो पूरी तरह से एयर टाइट हों। अगर ऐसा नहीं होगा तो जिस तेजी से एयर प्यूरिफायर उसे साफ करने की कोशिश करेगा, उसी तेजी से प्रदूषित हवा घर में आ जाएगी। ऐसे में यह असरदार तरीके से काम नहीं कर पाएगा।

पोर्टेबल एयर प्यूरिफायर
लगभग 5,500 रुपये के आसपास मिलने वाले पोर्टेबल एयर प्यूरिफायर एक फुल साइज़ वाले प्यूरिफायर की तुलना में एक छोटे एरिया (करीब 50 स्क्वायर फीट) में हवा को अच्छे-से साफ कर सकते हैं। आकार छोटा होने से इसे लाना, ले जाना आसान है। आप किसी ट्रिप या ड्राइविंग के दौरान इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।

कार के लिए एयर प्यूरिफायर

गाड़ियों में ज्यादा घूमना होता है तो एक इन-कार एयर प्यूरिफायर खरीद लें। इस बाजार में यह एक दूसरा सेग्मेंट है जो तेजी से बढ़ रहा है। इन-कार एयर प्यूरिफायर की कीमत करीब 2,000 रुपये से शुरू होती है।

खुद से भी बनाएं एयर प्यूरिफायर
अमूमन घरों में इग्जॉस्ट फैन होते हैं जो घर के अंदर की हवा बाहर फेंकते हैं। इग्जॉस्ट फैन पर बाजार में मिलने वाले फिल्टर खरीदकर सेट कर दें तो एक छोटा प्यूरिफायर तैयार हो जाएगा। इससे घर की हवा काफी हद तक साफ हो जाती है। बाजार में मिलने वाले फिल्टर की कीमत 500 से 1000 रुपये तक होती है। ऐसे इग्जॉस्ट फिल्टर बनाने का तरीका जानने के लिए देखें tinyurl.com/y43qcf2n

कैसे-कैसे मास्क
पलूशन के स्तर के हिसाब से मास्क उपलब्ध हैं। जरूरत के हिसाब से इनका उपयोग कर सकते हैं।

1. नीला सर्जिकल मास्क
हर दिन बदलना पड़ता है। हेवी पल्यूशन के मामले में कारगर नहीं। कीमत: 10 से 20 रुपये।

2. काला मास्क
धूल से बच सकते हैं, लेकिन स्मॉग के कणों से बचना मुश्किल। कीमत: 10 से 20 रुपये।

3. N95 मास्क
यह ऊपर के दोनों मास्क से बेहतर है। 2 से 3 दिन ही चलता है, जिन्हें सांस की समस्या है, उनके लिए मुफीद नहीं। कीमत: 70 से 80 रुपये।

4. टोटोबोबो (Totobobo)
अच्छा है। प्रदूषण और उसके बुरे असर से बचाता है। कीमत: 2000 से 2500 रुपये।

नोट: बुजुर्ग हों या शुगर के मरीज या फिर कोई और, मास्क पर पूरा भरोसा न करें। इससे कुछ हद तक ही बचाव मुमकिन है, सौ फीसदी नहीं। इसलिए यह न सोचें कि मास्क पहन लिया तो हेवी पल्यूशन में बहुत देर तक भी रह सकते हैं।

नेजो फिल्टर भी हैं उपलब्ध

अगर मास्क नहीं पहनना है तो नेजो फिल्टर का आप्शन भी उपलब्ध है। कई कंपनियां हैं जो ऐसे नेजो फिल्टर बनाती हैं। हालांकि इन्हें लगाने के बाद आप 100 फीसदी पल्यूशन से बच जाएं, ऐसा मुमकिन नहीं होता। फिर भी पल्यूशन का असर कुछ कम तो जरूर हो जाता है। इनकी कीमत 100 से 800 रुपये तक हो सकती हैं। वैसे, कुछ कंपनियां 100 रुपये से कम कीमत पर भी उपलब्ध कराती हैं। यहां इस बात को ध्यान रखना भी जरूरी है कि नेजोफिल्टर लगाने के बाद कई लोगों को अजीब लगता है। घुटन-सी महसूस होती है। ऐसे में खरीदने से पहले इस बात को भी जरूर देख लें।

अगला लेख

Otherकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर