ऐपशहर

बॉट लगाएगा ऐप की वाट

बॉट्स शब्द ही मुमकिन है आपके लिए अनजाना हो लेकिन जल्द ही ये हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन सकता है।

नवभारत टाइम्स 8 May 2016, 10:05 am
बॉट्स शब्द ही मुमकिन है आपके लिए अनजाना हो लेकिन जल्द ही ये हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन सकता है। हो सकता है कि मोबाइल ऐप्स को आउट कर मेसेजिंग बॉट्स आपके सेलफोन पर कब्जा कर लें। कैसे और क्यों, बता रहे हैं अमित मिश्रा:
नवभारतटाइम्स.कॉम bot will capture the mobile app world
बॉट लगाएगा ऐप की वाट


पहले वेबसाइट्स आईं, फिर ऐप्स और अब बॉट्स का जमाना आने वाला है। तकनीक की दुनिया में इसे सॉफ्टवेयर के लेवल पर बड़े बदलाव की आहट की तरह देखा जा रहा है। इंसान और मशीन के बीच एक नए रिश्ते की शुरुआत हो चुकी है। फिलहाल इंसान को कंप्यूटर पर काम करने के लिए कंप्यूटर की तरह ही बर्ताव करना पड़ता है। मिसाल के तौर पर फलां चीज के लिए फलां बटन दबाएं, अब फलां जगह जाकर ‘कुछ’ लिखें। बॉट्स इस बर्ताव के सिलसिले को उलटने की ताकत रखते हैं। कंप्यूटर अब इंसानों जैसे होने को बेताब हैं। वे इंसानों से बातें करने और उनकी इच्छा को भांपने का माद्दा रखने लगे हैं। कंप्यूटर और इंसान के इस नए रिश्ते की बुनियाद रखने में बॉट्स बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

हॉट हैं बॉट्स
इंटरनेट बॉट्स को वेब रोबॉट भी कहा जाता है। बॉट्स असल में मेसेज का जवाब देने वाला खास प्रोग्राम है। इसे खास सर्विस के लिए डिजाइन किया जाता है, मसलन शॉपिंग के लिए शॉपिंग बॉट्स, सलाह देने के लिए अडवाइजरी बॉट्स आदि।

कैसे बनते हैं बॉट्स
बॉट्स कुछ वैसे ही बनते हैं जैसे वेबसाइट्स और ऐप्स। कोई भी सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर इसे अपनी या कस्टमर की जरूरत के हिसाब से डिजाइन कर सकता है। बॉट्स को बनाने में काफी मशक्कत और तकनीकी जानकारी की जरूरत है लेकिन कुछ कंपनियों ने ऐसे प्लैटफॉर्म बना दिए हैं, जिन पर आसानी से कोडिंग करके जरूरत के हिसाब से बॉट्स बनाए जा सकते हैं। फिलहाल Facebook, Kick, Slack, और GupShup जैसी कई कंपनियां बॉट बनाने के लिए प्लैटफॉर्म उपलब्ध करवा रही हैं। ये प्लैटफॉर्म और कुछ नहीं, सॉफ्टवेयर कोडिंग का एक सेट लेआउट होता है। इसमें जरूरत के मुताबिक प्रोग्रामर बदलाव करके अपने हिसाब से कस्टमाइज्ड कर सकता है।

इनकी क्या जरूरत?
इस वक्त कंप्यूटर पर लोग मूल रूप से वेबसाइट्स और ऐप्स के जरिए अपनी जरूरत की चीजों तक पहुंचते हैं। चैट और मेसेजिंग ऐप्स जैसे VChat, WhatsApp, Kick, Slack आदि पर लोग सोशल मेसेजिंग सर्विस के जरिए तेजी से कनेक्ट हो रहे हैं। एक सर्वे के मुताबिक वीचैट के तकरीबन 70 करोड़ महीने के ऐक्टिव यूजर्स हैं तो वॉट्सऐप पर तकरीबन 90 करोड़ यूजर्स हर महीने ऐक्टिव रहते हैं। लगातार चैट पर मौजूद किसी भी शख्स को कुछ भी पता करने या खरीदने के लिए बार-बार वेबसाइट या ऐप को खोलना पड़ता है। ऐसे में हर कंपनी के पास चुनौती यूजर्स की परेशानी को हल करने की है।

इस चुनौती का हल बॉट्स में छुपा है। मिसाल के तौर पर चैट करते हुए अगर भूख लगे तो आप पिज्जा के बॉट पर जाकर चैट करके वरायटी या रेंज से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं। संतुष्ट होने के बाद आप जिस नतीजे पर पहुंचेंगे, बॉट आपके ऑर्डर को पोस्ट करने के लिए एक लिंक चैट पर देगा। इस पर जाकर पेमेंट आदि किया जा सकेगा। इसी तरह ऊबर ऐप पर जाकर टैक्सी बुक करने से बेहतर है अपने मेसेजिंग ऐप के अंदर ही बॉट पर जाकर टैक्सी बुक करें। न ऐप पर जाने का झंझट और न बार-बार क्लिक करने की टेंशन।

अब तक मेसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल कंज्यूमर बेस को बढ़ाने में किया जा रहा था। अब वक्त है इसके जरिए पैसा कमाने का। हालांकि कमाई का बोझ किसी भी तरह से यूजर्स पर नहीं आएगा बल्कि बॉट्स को बनाने और चलाने का पेमेंट वह कंपनी करेगी जो इनकी सर्विस उपलब्ध कराएगी।

इन पर आ चुके हैं बॉट्स
Facebook, SMS, Twitter, Telegram, Slack, Hipchat और Kick जैसे मेसेजिंग ऐप्स पर कई कंपनियों ने अपने बॉट्स लॉन्च कर दिए हैं। जल्दी ही स्काइप, गूगल हैंगआउट, लाइन, काकाओ और वाइबर भी बॉट्स से लैस होने वाले हैं। सबसे ज्यादा यूजर्स वॉट्सऐप पर बोट्स का इंतजार कर रहे हैं।

ये सब कर रहे हैं बॉट्स
कंंज्यूमर प्रॉडक्ट्स और सर्विस के क्षेत्र में भले ही बॉट्स नए हों लेकिन कॉर्पोरेट लेवल पर इनका चलन पहले ही शुरू हो चुका है। इन्हें एचआर डिपार्टमेंट काम करने वालों का फीडबैक लेने के लिए यूज कर रहा है। दुनिया भर में कई बड़ी कंपनियां बॉट्स के जरिए एंप्लॉयीज को फीडबैक देने का ऑप्शन देती हैं। इनमें गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक जैसी कंपनियां शामिल हैं। धीरे-धीरे इन्हें दूसरी कंपनियां भी आजमाने का मन बना रही हैं।

आ गए हैं ये बॉट्स
HDFC, ICICI, Biostadt, Meru Cabs, PNB Metlife, Flipkart, Ola और ZeeTV जैसी कंपनियां बॉट्स का इस्तेमाल इन-हाउस ऑपरेशंस को ट्रैक करने के लिए शुरू कर चुकी हैं। हेल्थ कंसल्टेंसी Lybrate ने फेसबुक चैट पर अपना बॉट लॉन्च कर दिया है। अभी कुछ ही दिन पहले ऑटो एग्रीगेटर सर्विस 'जुगनू' ने फेसबुक मेसेंजर पर अपना बॉट उपलब्ध करवाया है जिस पर 'Book my Auto' लिख कर ही बुकिंग कराई जा सकती है। इसे बड़े चलन की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।

ऐसे जायजा लें इस सर्विस का
इस सर्विस को ऐक्टिवेट करना काफी आसान है। हमने फेसबुक मैसेंजर पर लाइबरेट (Lybrate) नाम के चैट बॉट को एक्टिवेट किया, जो हेल्थ से जुड़े सवालों के जवाब देता है। इसे ऐक्टिव करने के लिए फेसबुक मैसेंजर m.me/lybrate टाइप करें। ऐसा करने से लाइबरेट को चैट में ऐड करने का ऑप्शन आ जाएगा। इसे ऐड करते ही यह आपके सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हो जाएगा।

कैसा रहा बॉट का रेस्पॉन्स
अगर अनुभव की बात की जाए तो फिलहाल बॉट्स कुछ धीमे हैं। सवाल का जवाब काफी जेनरिक या सामान्य सा देते हैं। मिसाल के तौर पर जब हमने बॉट से कहा I am not feeling well. तो उसने वजह पूछने की बजाय एक आर्टिकल का लिंक पोस्ट कर दिया। हालांकि जानकारों का मानना है कि यह शुरुआती बॉट हैं और जैसे-जैसे बेहतर प्रोग्रामिंग होगी वैसे-वैसे बॉट स्मार्ट होते जाएंगे।

बॉट्स की सीमाएं
- कई बार बॉट्स सही जवाब नहीं देते और न ही सवाल को समझ पाते हैं। ऐसे में झुंझलाहट होती है।
- अंग्रेजी में ही चैट की सुविधा है क्योंकि अभी हिंदुस्तानी भाषाओं के हिसाब से बॉट्स ट्रेंड नहीं हुए हैं।
- खुद-ब-खुद समझ कर और आने वाले सवाल को भांप कर जवाब देने जैसी क्षमता में अभी वक्त लगेगा।
- कई बार मजाकिया बॉट्स गालियां तक चैट में लिखने लगते हैं।
- कौन कितना भरोसेमंद बॉट है, इसके लिए अभी कोई पैरामीटर नहीं है।

बॉट का होगा जमाना
gupshup.io बॉट का प्लैटफार्म उपलब्ध कराने वाली बड़ी कंपनियों में से एक है। इसके फाउंडर बिरुद सेठ कहते हैं, 'वह वक्त दूर नहीं, जब बॉट्स हर कंपनी का हिस्सा बन जाएंगे। बॉट्स जल्दी ही बोल कर समझने वाले और ज्यादा-से-ज्यादा भाषाओं में पहुंचने वाले हैं। आने वाले वक्त में हर कंपनी की सफलता उसकी बॉट रणनीति पर निर्भर करेगी।'

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