भारत के मशहूर गायकों में से एक मन्ना डे की मंगलवार को पुण्यतिथि है। 50 और 60 के दशक में हिन्दी फिल्मों के लिए संगीतकारों की पहली पसंद मन्ना डे होते थे। इस गैलरी के जरिए हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं...
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बंगाली परिवार में हुआ था जन्म
मन्ना डे का जन्म 1 मई 1919 को कोलकाता के एक रुढ़िवादी संयुक्त बंगाली परिवार में हुआ था। उनका असली नाम प्रबोध चंद्र डे है। उनके पिता का नाम पूर्ण चंद्र डे और मां का नाम महामाया डे था। मन्ना डे के मामा संगीताचार्य कृष्ण चंद्र डे ने उनके मन में संगीत के प्रति दिलचस्पी पैदा की।
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पिता बनाना चाहते थे वकील
कॉलेज के दिनों में मन्ना डे कुश्ती और मुक्केबाजी जैसी प्रतियोगिताओं में खूब भाग लेते थे। वहीं, उनके पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे। कुश्ती के साथ मन्ना फुटबॉल के भी काफी शौकीन थे और काफी अर्से तक उन्होंने फुटबॉल भी खेला।
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ऐसे हुई करियर की शुरुआत
बतौर पार्श्व गायक मन्ना डे ने अपने करियर की शुरुआत 1943 में आई फिल्म 'तमन्ना' से की। इसमें कृष्ण चंद्र डे ने संगीत दिया था। सुरैया के साथ गाया गया यह गाना काफी हिट हुआ।
मन्ना डे को 1950 में आई फिल्म 'मशाल' में पहली बार एकल गीत (सोलो) 'ऊपर गगन विशाल' गाने का मौका मिला। साल 1952 में मन्ना डे ने 'अमर भूपाली' नाम से मराठी और बांग्ला में आई फिल्म में गाना गाया और खुद को एक बंगाली गायक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने हिन्दी के अलावा बंगाली, मराठी, गुजराती, मलयालम, कन्नड और असमिया भाषा में भी गाने गाए।
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मन्ना डे ने गाए हर तरह के गाने
मन्ना डे ने 'पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई', 'लागा चुनरी में दाग', 'आयो कहां से घनश्याम', 'सुर न सजे' जैसे गानों पर अपनी छाप छोड़ी। यही नहीं, उन्होंने 'दिल का हाल सुने दिल वाला', 'न मांगू सोना चांदी' और 'एक चतुर नार' जैसे हल्के-फुल्के गाने भी गाए। मन्ना ने कभी शास्त्रीय, कभी रूमानी, कभी हल्के-फुल्के, कभी भजन तो कभी पाश्चात्य धुनों वाले गानों को अपनी आवाज दी।
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किशोर कुमार से हो गया था झगड़ा!
मन्ना डे ने 1968 में रिलीज हुई फिल्म 'पड़ोसन' के सुपरहिट गाने 'इक चतुर नार बड़ी होशियार' को गाने से मना कर दिया था और किशोर कुमार से झगड़ा कर लिया था। दरअसल, जब यह गाना रेकॉर्ड हो रहा था तो किशोर कुमार और मन्ना डे के बीच खींचतान हो गई। निर्माता ने कहा कि इसे वैसा ही गाना है जैसा गीतकार राजेंद्र कृष्ण ने लिखा है। किशोर तो गाने के लिए तैयार हो गए लेकिन मन्ना ने गाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह ऐसा हरगिज नहीं करेंगे और वह संगीत के साथ मजाक नहीं कर सकते। वह किसी तरह राजी हो भी गए तो उन्होंने पूरा गाना क्लासिकल अंदाज में ही गाया। जब किशोर ने गलत अंदाज वाला नोटेशन गाया तो मन्ना चुप हो गए और कहा कि यह क्या है? यह कौन सा राग है? इस पर ऐक्टर महमूद ने उन्हें समझाया कि सर, सीन में ही कुछ ऐसा करना है इसलिए किशोर दा ने ऐसे गाया। इसके बाद भी मन्ना इसके लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने अपने हिस्से का गाना तो पूरा किया लेकिन वह नहीं गाया जो उन्हें पसंद नहीं था।
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विदेश में भी लोगों को बनाया मुरीद
मन्ना डे ने लोकगीत, पॉप हर तरह के गाने गाए और देश-विदेश में संगीत के चाहने वालों को अपना मुरीद बनाया। उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति 'मधुशाला' को भी आवाज दी।
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1953 में हुई शादी
मन्ना डे ने साल 1953 में केरल की सुलोचना कुमारन से शादी की। उनकी दो बेटियां सुरोमा और सुमिता हैं।
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कई पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में अनूठे योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1971 में उन्हें पद्मश्री और 2005 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। साल 2007 में उन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड दिया गया।