Bullet Train Will Japans Shinkansen Speed Up India Too
जापानी बुलेट ट्रेन, इन वजहों से अव्वल
नवभारतटाइम्स.कॉम8 Oct 2018, 9:13 pm
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जापानी बुलेट ट्रेन, इन वजहों से अव्वल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष 14 सितंबर को अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट की नींव रखेंगे। जापान को बुलेट ट्रेन टेक्नॉलजी में महारत हासिल है। यहां टोक्यो ओलिंपिक से ठीक पहले 1964 में पहली बार बुलेट ट्रेन चली और इसने परमाणु हमला झेल चुके देश की नई तस्वीर पेश की। इसे शिनकानसेन के नाम से जाना जाता है और यह जापान के वर्क कल्चर और टेक्नॉलजी अचीवमेंट का प्रतीक है। आइए डालें इसकी कुछ खासियतों पर डालें नजर...
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1 मिनट की भी देरी नहीं
शिनकानसेन ट्रेनें 320 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से दौड़ सकती हैं। ये ट्रेनें कभी लेट नहीं होती। इनकी औसत देरी 60 सेकंड से कम है, जबकि सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करती हैं। ट्रेन 1 मिनट से अधिक लेट हो जाए तो चालक दल को स्पष्टीकरण देना पड़ता है।
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ऑटोमैटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट
दो ट्रेनों के बीच महज 3 मिनट का अंतर होता है। बहुत अधिक स्पीड की वजह से ड्राइवर्स सिग्नल भी नहीं देख सकते हैं इसलिए पूरा ट्रैफिक मैनेजटमेंट ऑटोमैटेड होता है।
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सबसे सुरक्षित ट्रेन
शिनकानसेन ट्रेनें कितनी सुरक्षित हैं इसका पता इस बात से ही चलता है कि 1964 में शुरुआत के बाद से अब तक एक भी दुर्घटना नहीं हुई। ट्रेन में सेफ्टी सिस्टम लगा है जो इसे भूकंप से भी बचाता है।
शिनकासेन ट्रेन में सफाई की पूरी प्रक्रिया महज 7 मिनट में पूरी कर ली जाती है। यात्रियों के बाहर निकलते ही सफाई कर्मचारी बहुत तेजी से ट्रेन को पूरी तरह साफ कर देते हैं। इसे 7 मिनट मिरेकल कहा जाता है।
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ग्लोबल सक्सेस
बेहतरीन टेक्नॉलजी की वजह से शिनकासेन ग्लोबल ब्रैंड बन चुका है। यूके, चीन और ताइवान में भी ये ट्रेनें दौड़ रही हैं, जबकि भारत और अमेरिका में प्रॉजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है। इसके अलावा थाइलैंड, सिंगापुर, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों में भी इस पर विचार चल रहा है।
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शिनकासेन से बदलेगा भारत?
यह स्पष्ट है कि शिनकासेन की अत्याधुनिक टेक्नॉलजी को अच्छे कार्य संस्कृति की जरूरत है। शिनकासेन ट्रेन अपने साथ जापानी कार्य संस्कृति, समयबद्धता, कठिन परिश्रम और प्रतिबद्धता लेकर आएगी। भारत को इस समय तेज रफ्तार विकास के लिए टेक्नॉलजी के साथ बेहतर कार्य संस्कृति की भी जरूरत है। उम्मीद है कि जपानी बुलेट ट्रेन इसमें मददगार साबित होगी।