एक समय में देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी रही यूनिटेक आज संकट के दौर से गुजर रही है। कंपनी पर लोगों से पैसे लने के बावजूद घर नहीं देने का आरोप है। मामले की नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) कर रहा है। कंपनी का नाम 2G घोटाले में भी आ चुका है। आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह से यूनिटेक एक वक्त सफलता के नए मुकाम गढ़ रहा था और क्यों आज कंपनी इतनी खस्ताहाल हालत में पहुंच गई है...
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रियल एस्टेट बूम से फायदा
2003-08 के दौरान रियल एस्टेट सेक्टर सेक्टर में आई तेजी के का कंपनी को खूब फायदा हुआ। यूनिटेक ने देशभर में अपने रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स शुरू किए। 2007 में यूनिटेक को देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी बन गई।
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2G लाइसेंस
2008 में यूनिटेक की सब्सिडियरी टेलिकॉम कंपनी यूनिटेक वायरलेस ने देशभर में 2G लाइसेंस प्राप्त किए।
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टेलिनॉर की एंट्री
2008 में ही यूनिटेक वायरलेस ने अपनी 67 फीसदी हिस्सेदारी 6,000 करोड़ रुपये में नॉर्वे की कंपनी टेलिनॉर को बेच दिया।
2G स्कैम में कंपनी का नाम आया और 2011 में कंपनी के मालिक संजय चंद्रा की गिरफ्तारी हुई। यहीं से यूनिटेक के लिए चीजें बदलनी शुरू हो गईं।
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मंदी की मार
2008 में दुनिया भर में मंदी की मार पड़ी। रियल एस्टेट भी इससे अछूता नहीं रहा। यूनिटेक समेत कई कंपनियों के प्रॉजेक्ट्स मंदी के कारण फंस गए। दिल्ली इस समय यूनिटेक ग्रुप के 20,000 घर अंडर-कंस्ट्रक्शन है। इनमें से 16,300 घर लोग खरीद चुके हैं, लेकिन अबतक उन्हें घर नहीं मिला है। इस वक्त कंपनी को अपने प्रॉजक्ट्स को पूरा करने के लिए काफी बड़े फंड की जरूरत है।
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यह है कंपनी की हालत
यूनिटेक के रियल एस्टेट प्रॉजेक्टेस से जुड़ी सुनवाई नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में चल रही है। 2G घोटाले से संबंधित मामला भी कंपनी के ऊपर कोर्ट में लंबित है।