Meet Eight Budding Teenpreneurs Who Are Giving Wings To Their Startup Ideas
मिलिए ऐसे किशोर आंत्रप्रेन्योर्स से, जिनका स्टार्टअप आइडिया है हिट
नवभारतटाइम्स.कॉम6 Jun 2017, 3:14 pm
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मिलिए ऐसे किशोर आंत्रप्रेन्योर्स से, जिनका स्टार्टअप आइडिया है हिट
स्टार्टअप का आइडिया अब केवल इंजिनियरिंग स्टूडेंट या फिर नौकरी छोड़ कुछ अलग करने की चाह रखने वाले लोगों तक ही सीमित नहीं रह गया है। भारत में इसका दायरा बढ़ रहा है और स्टार्टअप आइडिया अब किशोरों में भी पनप रहे हैं। इन आइडियाज को स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे साकार भी कर रहे हैं।
भारत में किशोर आंत्रप्रेन्योर्शिप को प्रमोट करने वाली फर्म यंगप्रेन्योर्स की सीईओ देविका मजूमदार ने कहा कि भारत में किशोर आंत्रप्रेन्योर्शिप एकदम नई है, हालांकि अब स्कूल और पैरंट्स दोनों धीरे-धीरे बच्चों द्वारा अपना बिजनस शुरू करने को लेकर खुलते जा रहे हैं।
आगे की स्लाइड में जानें ऐसे आंत्रप्रेन्योर्स के बारे में...
(टेक्स्ट: शैलेष मेनन)
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घर बैठे ट्रैक करें बच्चों की स्कूल बस
एस अर्जुन, फाउंडर और सीईओ लैटरालॉजिक्स
अर्जुन ने पांच साल पहले लोकेट्रा नाम से एक ऐप बनाई थी। इस ऐप का इस्तेमाल भारत, यूएई और ब्राजील में पैरंट्स अपने बच्चों की स्कूल बस ट्रैक करने के लिए कर रहे हैं। 17 वर्षीय अर्जुन चेन्नै के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने पिता से 10,000 रुपये लेकर यह कंपनी शुरू की थी।
लैटिन अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान से लोग उनकी ऐप में रुचि दिखा रहे हैं। फिलहाल वह चेन्नै के वेलम्मल विद्याश्रम से 12वीं की पढ़ाई कर रहे हैं। वह अभी तक 6 ऐप डिवेलप कर चुके हैं।
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दाई ने ली छुट्टी तो शानी ऐप करेगी टेंशन दूर
अवि दयानी (13) और नक्ष कोहली (12), फाउंडर शानी ऐप
अगर आपकी दाई ने अचानक छुट्टी ले ली है और तो आप 'शानी' ऐप का इस्तेमाल कर कुछ घंटों के लिए दूसरी दाई हायर कर सकते हैं। 700 रुपये के चार्ज पर यूजर दो घंटो के लिए दाई हायर कर सकते हैं। इस तरह से मिलने वाली रकम का 30 फीसदी कमिशन ऐप डिवेलपर के पास रहेगा और बाकी दाई को मिलेगा।
अगले कुछ महीनों में लॉन्च होने वाली इस ऐप के डिवेलपर्स उबर की तर्ज पर दाई से नॉन डिस्क्लोजर अग्रीमेंट साइन कराएंगे, ताकि वे सीधा क्लाइंट से संपर्क न कर सकें। अवि और नक्ष गुरुग्राम के श्री राम स्कूल से आठवीं की पढ़ाई कर रहे हैं।
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परेशानी के समय में मदद का अलर्ट भेजेगी रीचेक्स
इशान वार्ष्णेय (16) फाउंडर, रीचेक्स
रीचेक्स एक मोबाइल ऐप है जो कि परेशानी के समय में पहले से सिलेक्ट किए गए कॉन्टैक्ट को अलर्ट एसएमएस भेज देता है। इस ऐप को इस्तेमाल करने वाले किसी यूजर के साथ अगर दुर्घटना हो जाती है तो यह ऐप अपने आप अलर्ट मैसेज भेज देगा।
इशान के मुताबिक फोन में लगा ऐक्सेलरोमीटर दुर्घटना की गंभीरता को समझते हुए काम करना शुरू कर देगा। यूजर के पास अलर्ट मैसेज कैंसल करने के लिए एक मिनट का समय होगा। वह श्री राम स्कूल में 11वीं क्लास में पढ़ते हैं। इसे और प्रभावी बनाने के लिए वह कई हॉस्पिटल्स और ऐम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं से बात कर रहे हैं।
शौक के तौर पर आठ साल पहले शुरू किए गए काम से आज श्रीलक्ष्मी ने अच्छा-खासा बिजनस बना लिया है। वह केरल के कोझिकोड़ में अंतिम वर्ष की बीबीए छात्रा हैं और अभी तक 250 क्लाइंट्स के लिए वेबसाइट डिजाइन कर चुकी हैं।
केरल बार काउंसिल, वीपीके फूड प्रॉडक्ट्स, एंजल इंटरनैशनल जैसे क्लाइंट्स के लिए वह वेबसाइट डिजाइन कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि वह कम कीमत में अच्छा काम करती हैं और अभी तक मार्केटिंग में एक भी रुपया खर्च नहीं किया है।
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इन्होंने दूसरी क्लास से ही सीखना शुरू कर दी थी जावा
श्रवण कुमारन (17) और संजय कुमारन (15), फाउंडर (गो डायमेंसंस)
श्रवण ने दूसरी क्लास से ही कम्प्यूटर लैंग्वेज सीखना शुरू कर दिया था। Q बेसिक और जावा उन्हें वैसे ही आती हैं जैसे तमिल और इंग्लिश। कई सालों पहले श्रवण और उनके छोटे भाई संजय ने मोबाइल ऐप पर काम करना शुरू किया था। आज वह तीन ऐप डिवेलप कर चुके हैं।
दोनों भाई चेन्नै के हीरानंदानी अपस्केल स्कूल में पढ़ते हैं। एक 12वीं में है तो दूसरा 10वीं में। ऐप में आने वाले ऐड से उनकी कंपनी 38,500 रुपये कमा चुकी है।
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शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन सोर्स
हृदय धांड (13), फाउंडर स्ट्रेंथ-ओ-सीड्स
परिवार के कुछ सदस्यों को लो प्रोटीन की शिकायत होने के बाद हृदय ने प्रोटीन सोर्स के बारे में रिसर्च करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि ज्यादातर शाकाहारी जो खाना खाते हैं उनमें उपयुक्त पोषण नहीं होता। इसीलिए हमने 'स्ट्रेन्थ-ओ-सीड्स' बनाया है। इसे प्राकृतिक सामग्री जैसे ड्राई फ्रूट्स और सीड्स आदि से तैयार किया गया है।
वह इसे दो फ्लेवर्स में लॉन्च करेंगे। अपने इस प्रॉडक्ट के लिए वह 100 ग्राम के 199 रुपये लेंगे। वह मुंबई के चत्रभुज नरसी स्कूल में सातवीं क्लास में पढ़ते हैं।
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स्कूल की किताबें या सामान के लिए नहीं भटकना होगा
अविरत पुरोहित (15) फाउंडर, Bagmybooks.com
अविरत एक ऐसी वेबसाइट डिवेलप कर रहे हैं, जिसमें स्कूल से संबंधित सभी प्रॉडक्ट्स और टेक्सटबुक्स मिलेंगी। उनकी वेबसाइट पर आप अपने स्कूल की किताबें और अन्य सामान ऑर्डर कर होम डिलिवरी करा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि अब किताबें खरीदने के लिए आपको भटकना नहीं है। वेबसाइट पर आप स्कूल का नाम डालिए, क्लास आदि डीटेल भरिए और जरूरत का सामान कार्ट में ऐड कर लीजिए। आप यहां से सालभर किताबें और अन्य सामान खरीद सकते हैं। वह मुंबई के बॉम्बे स्कॉटिस स्कूल में 10वीं में पढ़ते हैं।