बिहार में शराबबंदी के दो साल हो गए। राज्य को शराब मुक्त बनाने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अभियान अच्छे परिणाम दे रहा है। हाल ही में दो संस्थानों ने बिहार में शराबबंदी के असर का अध्ययन किया है जिससे पता चलता है कि शराब पर खर्च रुकने से बचे पैसे का इस्तेमाल कहां हो रहा है। आइए जानते हैं शराब के पैसे का उपयोग कहां कर रहे हैं बिहारवासी...
बिहार में शराबबंदी के असर का अध्ययन करनेवाले दो संस्थानों में एक एशियन डिवेलपमेंट रिसर्च इंस्टिट्यूट (ADRI) है जबकि दूसरा बिहार सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्था डिवेलपमेंट मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (DMI) है।
ADRI ने अपने अध्ययन में पाया कि बिहार में महंगी साड़ियों की बिक्री 1751 प्रतिशत बढ़ गई है। अध्ययन में यह भी पता चला है कि राज्य में महंगे ड्रेस मटीरियल्स की बिक्री में 910 प्रतिशत का उछाल आया है।
बिहार के लोग शराब से बचे पैसे को भोजन पर खर्च कर रहे हैं। DMI ने 5 जिलों से आंकड़े इकट्ठा किए जिसमें पता चला कि पहले हर सप्ताह भोजन पर जहां औसतन 1005 रुपये रुपये खर्च होते थे, वहां अब यह रकम बढ़कर 1331 रुपये हो गई है।
अप्रैल 2018 में शराबबंदी के बाद राज्य में हर महीने 440 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। 2011 के कंजंप्शन लेवल से तुलना करें तो अभी हर वर्ष 5,280 करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
दोनों ही संस्थानों के अध्ययन बताते हैं कि बिहार के करीब 19 प्रतिशत परिवारों ने शराब पर खर्च होनेवाले पैसे बचने की वजह से नई संपत्तियां अर्जित की हैं।