How Delhi Became The Capital Of India Know Interesting Story
दिल्ली कैसे बनी भारत की राजधानी, जानें इसकी दिलचस्प कहानी
नवभारतटाइम्स.कॉम12 Dec 2019, 12:13 pm
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जानें, दिल्ली के भारत की राजधानी बनने की दिलचस्प कहानी
दिल्ली का नाम ऐतिहासिक विरासत के साथ ही भारत की राजधानी होने के कारण दुनियाभर में मशहूर है। लेकिन पहले देश की राजधानी कलकत्ता (मौजूदा समय में कोलकाता) हुआ करती थी। तो आखिर क्यों और कैसे दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया, जानते हैं इसकी दिलचस्प कहानी।
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कलकत्ता बना आंदोलनों का केंद्र
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से कलकत्ता राष्ट्रवादी आंदोलनों का केंद्र बन गया था। इस वजह से 1905 में ब्रिटिशों द्वारा बंगाल का विभाजन कर दिया गया। इससे हालात और बिगड़ गए और कलकत्ता में ब्रिटिश अधिकारियों पर हमले किए जाने लगे। इसे देखते हुए बंगाल को फिर एक किया गया। इस घटना ने ब्रिटिश शासन को राजधानी बदलने पर विचार करने को मजबूर कर दिया।
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दिल्ली को राजधानी बनाने का प्रस्ताव
दिल्ली को मुगल राज में भी राजधानी बनाया गया था। इस बात से अंग्रेज भी परिचित थे। उन्होंने दिल्ली को राजधानी बनाए जाने का प्रस्ताव देते हुए इस बात पर जोर दिया कि उत्तर में स्थिति दिल्ली से देश का प्रशासन चलाना ज्यादा आसान होगा। कलकत्ता के मुकाबले दिल्ली की भौगोलिक स्थिति ज्यादा बेहतर होने को भी राजधानी बदलने का एक बड़ा कारण माना जाता है।
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भूमि का अधिग्रहण
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 के तहत दिल्ली के नए निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया। इसके बाद उस समय के भारत के ब्रिटिश शासक जॉर्ज वी अपनी पत्नी क्वीन मैरी के साथ भारत आए।
12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में जॉर्ज पंचम ने कलकत्ता की जगह दिल्ली को भारत की राजधानी बनाए जाने का ऐलान किया। घोषणा के बाद कोरोनेशन पार्क, किंग्सवे कैंप के लिए आधारशिला रखी गई।
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प्लानिंग और कंस्ट्रक्शन
दिल्ली के लिए प्रारंभिक योजना और वास्तुकला ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स हर्बर्ट बेकर और एडविन लुटियन द्वारा की गई। प्रथम विश्व युद्ध के बाद राजधानी का निर्माण कार्य शुरू किया गया जो 1931 तक पूरा हुआ।
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भारत की राजधानी दिल्ली
निर्माण कार्य पूरा होने के बाद फरवरी 1931 में वायसराय लॉर्ड इरविन ने उद्घाटन किया। 1947 में देश के आजाद होने के बाद भी दिल्ली को ही राजधानी बनाए रखा गया जो आज तक कायम है।