Maharana Pratap's Birth Anniversary: 7 Facts About India's Greatest Warrior
धरती के वीर योद्धा महाराणा प्रताप से जुड़ी 7 बातें
नवभारतटाइम्स.कॉम8 Oct 2018, 6:33 pm
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धरती के वीर योद्धा महाराणा प्रताप से जुड़ी 7 बातें
भील: मेवाड़ की जनजाति 'भील' कहलाती है। भीलों ने हमेशा महाराणा को सपॉर्ट किया। उन्होंने अपने राजा के सम्मान के लिए अपनी जान की बाजी भी लगा दी थी। एक किवदंती है कि महाराणा प्रताप ने अपने वंशजों को वचन दिया था कि जब तक वह चित्तौड़ वापस हासिल नहीं कर लेते, तब तक वह पुआल पर सोएंगे और पेड़ के पत्ते पर खाएंगे। आखिर तक महाराणा को चित्तौड़ वापस नहीं मिला। उनके वचन का मान रखते हुए आज भी कई राजपूत अपने खाने की प्लेट के नीचे एक पत्ता रखते हैं और बिस्तर के नीचे सूखी घास का तिनका रखते हैं।
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औरतों का सम्मान: एक बार अब्दुल रहीम खान-ए-खाना मुगल अधिकारी के साथ महाराणा प्रताप के खिलाफ कैंपेनिंग कर रहे थे। उनके शिविर की सभी औरतों को महाराणा के बेटे अमर सिंह ने हिरासत में ले लिया। अमर सिंह उनको पकड़कर महाराणा के सामने लाए। महाराणा ने तुरंत अपने बेटे को आदेश दिया कि सभी औरतों को सही-सलामत उनके शिविर में वापस पहुंचाया जाए।
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प्रथम स्वतंत्रता सेनानी: महाराणा को भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कभी अकबर के सामने समर्पण नहीं किया। वह एकलौते ऐसे राजपूत योद्धा थे, जो अकबर को चुनौती देने का साहस रखते थे। हालांकि, एक बार उन्होंने समर्पण के विषय में सोचा जरूर था, लेकिन तब मशहूर राजपूत कवि पृथ्वीराज ने उन्हें ऐसा न करने के लिए मना लिया।
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परिवार: महाराणा के 11 पत्नियों से 17 बेटे और 5 बेटियां थीं। राव राम रख पंवार की बेटी अजबदे पुनवार उनकी पहली पत्नी थीं। महाराणा के बेटे और उत्तराधिकारी अमर सिंह अजबदे के ही बेटे थे।
धरती के वीर योद्धा महाराणा प्रताप से जुड़ी 7 बातें
कद: कहा जाता है कि महाराणा प्रताप 7 फीट 5 इंच लंबे थे। वह 110 किलोग्राम का कवच पहनते थे, कुछ जगह कवच का भार 208 किलो भी लिखा गया है। वह 25-25 किलो की 2 तलवारों के दम पर किसी भी दुश्मन से लड़ जाते थे। उनका कवच और तलवारें राजस्थान के उदयपुर में एक संग्रहालय में सुरक्षित रखे हैं।
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दिवेर का युद्ध: अकबर ने 1576 में महाराणा प्रताप से युद्ध करने का फैसला किया। मुगल सेना में 2 लाख सैनिक थे, जबकि राजपूत केवल 22 हजार थे। इस युद्ध में महाराणा ने गुरिल्ला युद्ध की युक्ति अपनाई। 1582 में दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना ने मुगलों को बुरी तरह पराजित करते हुए चित्तौड़ छोड़कर मेवाड़ की अधिकतर जमीन पर दोबारा कब्जा कर लिया।
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गुरिल्ला युद्ध: इस युद्ध की जानकारी यहां के राजाओं को पहले भी थी, लेकिन महाराणा प्रताप पहले ऐसे भारतीय राजा थे, जिन्होंने बहुत व्यवस्थित तरीके से इस युक्ति का उपयोग किया और परिणामस्वरूप मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर भी कर दिया। महान योद्धा अकबर के सामने महाराणा पूरे आत्मविश्वास से टिके रहे। एक ऐसा भी समय था, जब लगभग पूरा राजस्थान मुगल बादशाह अकबर के कब्जे में था, लेकिन महाराणा अपना मेवाड़ बचाने के लिए अकबर से 12 साल तक लड़ते रहे। अकबर ने उन्हें हराने का हर हथकंडा अपनाया, लेकिन महाराणा आखिर तक अविजित ही रहे।
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धरती के वीर योद्धा महाराणा प्रताप से जुड़ी 7 बातें
मेवाड़ के राजा और इतिहास के महान योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई 1540 को उदयपुर के संस्थापक उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के घर हुआ था।
हालांकि हिन्दू पंचांग विक्रम संवत के अनुसार महाराणा प्रताप की जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तारीख इस बार 28 मई को पड़ेगी। लिहाजा कई लोग उस दिन भी महाराणा प्रताप की जयंती मनाते हैं।
किताबों से लेकर टीवी और फिल्मों तक महाराणा प्रताप के जीवन के कई पहलुओं को दिखाया जा चुका है। फिर भी कुछ ऐसी रोचक बाते हैं जो शायद आप न जानते हों। महाराणा प्रताप की जयंती पर हम आपके लिए लेकर आए हैं उनके व्यक्तित्व और जीवन से जुड़ी ऐसी ही 7 रोचक जानकारियां।