अक्सर आपको दूसरे लोगों की खूबसूरती से, कमाई से, या करियर की सफलता को लेकर जलन होती होगी। कई बार आप खुलकर उस इंसान की बुराई करते हैं और कई बार तो आप अपने दोस्तों से भी जलते हैं। थ्री इडियट्स का वह डायलॉग तो याद ही होगा, दोस्त फेल हो जाए तो दुख होता है लेकिन दोस्त फर्स्ट आ जाए तो और भी ज्यादा दुख होता है। दरअसल आप अगर ईर्ष्यालु टाइप के हैं तो आपको एक बात पढ़कर थोड़ा सुकूं मिलेगा...
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कहीं आप भी तो दूसरों से जलते नहीं हैं?
अक्सर हम सोचते हैं, दुनिया में कितने तरह के लोग हैं! लेकिन स्पेन की एक स्टडी में बताया गया है कि दुनिया में चार पर्सनैलिटी टाइप के लोग पाए जाते हैं। सकारात्मक, नकरात्मक, भरोसेमंद और चौथी तरह के लोग ईर्ष्यालु होते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सबसे ज्यादा संख्या ईर्ष्यालु लोगों की ही है। मतलब आपके अंदर भी वही मानवीय प्रवृत्ति है जो ज्यादातर लोगों में पाई जाती है।
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कहीं आप भी तो दूसरों से जलते नहीं हैं?
रिसर्च में पाया गया कि जहां बाकी तीन तरह के लोगों का अनुपात बराबर है वहीं तीसरी तरह यानी ईर्ष्यालु टाइप के लोग सबसे ज्यादा हैं।
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कहीं आप भी तो दूसरों से जलते नहीं हैं?
इस स्टडी में 540 लोगों को शामिल किया गया और उन्हें 4 तरह की कैटिगरी में बांट दिया गया। ऑप्टिमिस्टिक, पैसेमिस्टिक, ट्रस्टिंग और एनविअस। उनसे जोड़े में खेल खेलने को कहा गया। खेल में कुछ लोग अपने पार्टनर्स का साथ दे रहे थे तो कुछ लोग उनके फैसलों को गलत ठहरा रहे थे या उनके साथ चालाकी कर रहे थे।
जो व्यक्ति सकारात्मक रवैये के थे, उनका मानना था कि उन्हें पार्टनर के साथ सहयोग करने से दोनों को ही सफलता मिलेगी। नकारात्मक सोच वाले समूह के लोगों का विश्वास था कि उन्हें बहुत खतरनाक परिणाम मिलेंगे। भरोसेमंद समूह के लोगों का विश्वास था कि वह एक-दूसरे के साथ काम करके ही सफलता पा सकते हैं। रिसर्चर्स ने उन लोगों को ईर्ष्यालु लोगों की श्रेणी में रखा जो किसी दूसरे की सफलता से भयभीत और असुरक्षित महसूस करते हैं। रिसर्च में कहा गया है कि ईर्ष्या लोगों को कुछ ऐसे काम करने पर मजबूर कर देती है जो बिल्कुल भी लॉजिकल नहीं होते हैं।
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कहीं आपको भी तो नहीं होती है दूसरों से जलन?
रिसर्च में पाया गया कि 30 प्रतिशत लोग ईर्ष्यालु श्रेणी में आते हैं और यह सबसे ज्यादा थे। जबकि सकारात्मक, नकारात्मक और भरोसेमंद टाइप के लोग 20 प्रतिशत ही पाए गए।