देखें, देशभर में धूमधाम से मनाया गया लोकआस्था का महापर्व छठ
नवभारतटाइम्स.कॉम2 Nov 2019, 9:34 pm
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देशभर में धूमधाम से मनाया गया लोक आस्था का पर्व छठ
देशभर में पूरे धूमधाम से लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जा रहा है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय के साथ शुरू होता है।
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सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य
इस पर्व में मुख्य पूजा छठी मैया की होती है। साथ ही साथ छठी मैया के भाई कहे जाने वाले सूर्य भगवान को भी अर्घ्य दी जाती है। एक बार डूबते सूरज फिर उगते सूरज को अर्घ्य देकर यह पूजा संपन्न होती है।
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चार दिनों तक चलती है छठ पूजा
छठ पूजा का पर्व 4 दिन तक चलता है। इस पर्व के दौरान व्रती करीब 36 घंटे निर्जल रहता है और समय-समय पर पूजा-पाठ से जुड़े विधि-विधान करता है। आमतौर पर महिलाएं ही इस व्रत को धारण करती हैं। छठ पूजा के दौरान सूर्य देव की पूजा की जाती है। पहले दिन नहाय खाय के बाद दूसरा दिन खरना होता है और इस दिन पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है। पूजा के तीसरे दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देता है और पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया जाता है।
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पूजा में हर वस्तु का है महत्व
छठ पूजा का समय नजदीक आते है बाजार में डाला, सुप्ती, नींबू, नारियल, गन्ना और केले के घौद जैसे सामानों से बाजार सज जाता है। शहरों में रहने वाले लोगों के लिए ये बाजार ही पूजा का सामान उपलब्ध करवाते हैं।
चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में महिलाएं 36 घंटे तक व्रत रहती हैं। इस दौरान वे पानी भी नहीं पीती हैं। नहाय खाय के मौके पर व्रती पूजा करके भोजन करती है, उसके बाद ही घर के बाकी सदस्य अन्न ग्रहण करते हैं।
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खानपान का रखा जाता है विशेष ध्यान
इस पूजा को करने के लिए व्रती सात्विक आहार का सेवन करते हैं। तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन से बचा जाता है क्योंकि इस तरह का खाना खाने के बाद प्यास अधिक लगती है और पेट खराब होने डर भी रहता है, जो व्रत में विघ्न का कारण बन सकता है।
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नेपाल में भी मनाई जाती है छठ पूजा
भारत का पड़ोसी देश सांस्कृतिक गतिविधियों में भारत जैसा ही है। हिंदू बाहुल्य नेपाल में भी महापर्व छठ को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। शनिवार को श्रद्धालुओं ने काठमांडू की बागमती नदी के जल में उतरकर डूबरे सूर्य को अर्घ्य दिया।
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औरंगाबाद में छठ पूजा
शायद ही भारत का कोई ऐसा राज्य हो, जहां छठ पूजा ना मनाई जाती हो। महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित देवलई झील में बनाए गए झठ घाट पर महिलाओं ने पूजा-अर्चना करके सूर्य को अर्घ्य दिया।
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नागपुर में भी हुआ छठ पूजन
महाराष्ट्र के नागपुर की अंबाजारी झील में छठ पूजन के लिए अस्थायी घाट बनाया गया था। महिलाओं ने यहां के जल में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की।
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बांस की टोकरी का है विशेष महत्व
छठ की पूजा में बांस की टोकरी का विशेष महत्व है। इसी टोकरी में फल समेत तमाम पूजन सामग्री रखकर घाट या पूजा स्थल तक ले जाया जाता है। आमतौर पर घर के पुरुष या लड़के इस टोकरी को सिर पर रखकर पूजा स्थल तक ले जाते हैं।