इस खेल को बचपन में लगभग हर किसी ने खेला है। इसमें चार लोग खेलते थे। इसे खेलते वक्त कहा जाता था-'राजा का मंत्री कौन? चोर सिपाही का पता लगाओ।
हर गांव और मौहल्ले में कंचे सबसे लोकप्रिय खेल हुआ करता था। निशाना लगाकर कंचे को मारना होता था। इसको खेलने के चक्कर में अक्सर मम्मी से डांट खानी पड़ती थी।
खुले मैदान या सड़कों पर बच्चे गिल्ली डंडा खेलते थे। आज भी कई जगह ये खेल खेला जाता है।
इसको खेलने के लिए जमीन पर 9 बॉक्स बनाए जाते थे। फिर एक पैर पर कूदते हुए खेला जाता था। आमतौर पर लड़कियां इस खेल को खेलना पसंद करती थीं।
उस जमाने में ग्रुप में ये खेल खेला जाता था। इसमें पूरा ग्रुप सर्किल बनाकर बैठ जाता था। फिर एक बच्चा किसी कपड़े का कोड़ा बनाकर सर्किल के चक्कर लगाता था और किसी के पीछे कोड़ा रख देता था। फिर उसे पूरे सर्किल का चक्कर लगाना होता था।
इस खेल में छोटे पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता था। बच्चे हाथ पर पत्थर के टुकड़े उछाल कर रखते थे। ज्यादातर लड़कियां इस खेल को खेलती थीं।
पिट्ठू खेल तो लगभग सभी ने खेला है। इसमें कुछ पत्थरों को एक के ऊपर एक रखना होता था। इसके बाद एक गेंद से इसे गिराया जाता था।
पूरे गांव में पुराने टायरों के पहिया को घुमाते हुए ले जाना अजब खेल हुआ करता था। बच्चे अपने टायर का बड़ा ख्याल रखते थे। फिर डंडे मारकर गलियों में दौड़ाते थे।
चिड़िया उड़ मैना उड़ तो आपने जरूर खेला होगा। इस खेल में हम चिड़िया मैना से लेकर हवाई जहाज और गाड़ी तक उड़ा देते थे।
क्या आपने बचपन में लट्टू घुमाया है। इस खेल का अपना ही मजा था। रस्सी से लकड़ी के लट्टू को तेज रफ्तार में घुमाकर गजब की खुशी मिलती थी।