President And Pm Presents National Bravery Awards To Children
देखिए, इन बहादुर बच्चों को मिला है सम्मान
नवभारतटाइम्स.कॉम24 Jan 2016, 7:17 pm
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देखिए, इन बहादुर बच्चों को मिला है सम्मान
देश के 25 बच्चों को उनकी बहादुरी के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को सम्मानित किया। इनमें 2 बच्चों को मरणोपरांत इस सम्मान से नवाजा गया है। आगे देखिए इन बच्चों की बहादुरी के किस्से। क्लिक करें...
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कशिश धनानी
23 दिसंबर 2014 को कशिश धनानी अपनी एक साल की बहन के साथ अपार्टमेंट के बगीचे में खेल रहा था। तभी एक जर्मन शेफर्ड कुत्ते ने कशिश की बहन पर हमला कर दिया। कशिश ने पूरी जान लगा दी और कुत्ते के जबड़े से बहन को खींचने लगा। साथ ही उसने शोर भी मचा दिया, जिससे कई और लोग भी आ गए और फिर कशिश की बहन को बचा लिया गया।
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शिवमपेट रुचिता
पुरस्कार पाने वाले बच्चों में सबसे छोटी बच्ची तेलंगाना निवासी 8 वर्षीय शिवमपेट रुचिता को प्रख्यात गीता चोपड़ा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पिछले साल 24 जुलाई को अपनी स्कूल बस के एक ट्रेन की चपेट में आने पर 2 बच्चों की जान बचाने में इस बच्ची ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। हालांकि, इस हादसे में वह अपनी बहन को ही नहीं बचा पाई थी। इस हादसे में ड्राइवर और कंडक्टर के अलावा 16 छात्रों की मौत हो गई थी।
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राकेशभाई शानाभाई
राकेशभाई के माता-पिता इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन इस बच्चे ने जैसे सारी दुनिया को अपना मान लिया है। 14 जून 2015 को एक लड़के की बॉल कुएं में गिर गई, वह बॉल निकालने के चक्कर में कुएं में गिर गया। राकेशभाई ने उसकी आवाज सुनी तो मदद के लिए कुएं में छलांग लगा दी। कुछ देर की मशक्कत के बाद राकेश ने कुएं में गिरे लड़के को बचा लिया।
पिछले साल 4 अप्रैल को हरियाणा के दिशांत के घर एक चोर घुस आया। उसने दिशांत की मां की गर्दन पर चाकू रख दिया। मां की आवाज सुनकर जब दिशांत वहां पहुंचा तो उसने बहुत होशियारी से चोर के पैर पकड़ लिए और मां को छोड़ने की गुजारिश करने लगा और इसी बीच मौका पाकर उसने चोर को पकड़कर गिरा दिया। बाद में मां-बेटे ने चोर को धर दबोचा।
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अर्जुन सिंह
अपनी मां को बचाने पहुंचा अर्जुन सिंह बाघ की दहाड़ सुनकर भी नहीं डरा। उत्तराखंड के रहने वाले अर्जुन की मां जब पिछले साल 16 जुलाई को जानवरों को चारा डालने गईं तो एक बाघ ने उनपर हमला कर दिया। मां की चीख सुनकर अर्जुन बाहर आया और दरांती लेकर बाघ का मुकाबला करने लगा। इस बीच बाघ ने अर्जुन पर भी हमला किया, लेकिन अर्जुन के दूसरे वार से ही बाघ डरकर भाग गया। इस घटना के बाद से तो वहां के लोग अर्जुन को ही टाइगर कहकर बुलाने लगे हैं।
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दोस्तों को बचाकर खुद डूब गया गौरव
नागपुर जिले में रहने वाले 15 साल के गौरव सहस्त्रबुद्धे ने 3 जून 2014 को अंबाझरी झील में 4 दोस्तों को डूबते हुए देखा। अपनी ज़िंदगी की परवाह किए बगैर गौरव ने झील में छलांग लगा दी और चारों दोस्तों को बचा लिया, लेकिन उन्हें बचाते-बचाते गौरव इतना थक चुका था कि अपने लिए किनारा नहीं तलाश सका। सहस्त्रबुद्धे को ‘भारत पुरस्कार’ दिया गया, जो राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों में सर्वोच्च है। गौरव की मां ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।
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बहादुरी पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चे
बहादुरी पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में मौरीस येंगखोम और चोनगथम कुबेर मेइतेई (मणिपुर), ऐंजेलिसा सीनसोंग (मेघालय), साई कृष्ण अखिल किलांबी (तेलंगाना), जोएना चक्रवर्ती और सर्वानंद साहा (छत्तीसगढ़), बीधोवन, नितिन फिलिप मैथ्यू, अभिजीत केवी, अनंदू दिलीप, मोहम्मद शामंद, अरोमल एसएम (सभी केरल), मोहित महेन्द्र दाल्वी, नीलेश रेवाराम भील, वैभव रमेश घानगारे (सभी महाराष्ट्र), अबिनाश मिश्रा (ओड़िशा) और भीमसेन (उत्तर प्रदेश) शामिल हैं। ये बच्चे गणतंत्र दिवस की परेड में भी हिस्सा लेंगे।
पहली बार 1957 में 2 बच्चों को बहादुरी के लिए ये पुरस्कार दिए गए थे। उसके बाद से हर साल यह राष्ट्रीय पुरस्कार बहादुर बच्चों को दिया जाता है। अब तक 920 बच्चों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है, जिसमें 656 लड़के और 264 लड़कियां हैं।