अमेरिका का यह पोत मरम्मत के लिए 11 दिन तक कट्टूपल्ली के शिपयार्ड में रहेगा। यह पोत अमेरिकी नौसेना को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जंगी बेड़े के संचालन में अहम सहयोग देता है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह पहली बार है, जब अमेरिकी नौसेना का जहाज मरम्मत के लिए भारत पहुंचा है। अमेरिकी नौसेना ने जहाज के रखरखाव के लिए कट्टुपल्ली में एलएंडटी के शिपयार्ड को ठेका दिया था।
यह कदम वैश्विक जहाज मरम्मत बाजार में भारतीय शिपयार्ड की क्षमताओं को दर्शाता है। भारतीय शिपयार्ड जहाज मरम्मत और रखरखाव के लिए उन्नत समुद्री प्रौद्योगिकी का उपयोग करके व्यापक और किफायती सेवाएं प्रदान करते हैं।
रक्षा सचिव अजय कुमार, नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एस.एन. घोरमडे और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने शिपयार्ड का दौरा किया इस दौरान, चेन्नै में अमेरिकी महावाणिज्य दूत जुडिथ रेविन के अलावा नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
भारत में लगभग 2 अरब डॉलर के कारोबार के साथ छह प्रमुख शिपयार्ड हैं। यहां देश की जरूरतों के लिए जहाज बन रहे हैं। इतना ही नहीं भारत के पास अपना खुद का डिजाइन हाउस है जो सभी प्रकार के अत्याधुनिक जहाज बनाने में सक्षम है।
पिछले चार-पांच वर्षों में भारतीय रक्षा निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है। निर्यात, जो 2015-16 में लगभग 1,500 करोड़ रुपये का था, अब 800% बढ़कर लगभग 13,000 करोड़ रुपये हो गया है। भारतीय निर्यात के लिए एक प्रमुख गंतव्य अमेरिका है।
अजय कुमार ने कहा कि हमें अमेरिकी नौसेना पोत चार्ल्स ड्रयू का भारत में स्वागत करते हुए प्रसन्नता हो रही है। भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने में भी भारत की पहल का विशेष महत्व है।