ऐपशहर

गंगा नदी के बीच देवी सीता के चरण चिह्न, हर साल होता है चमत्कार

चैत्र मास में नवरात्र के दौरान ही हर साल षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है. इसे चैती छठ के नाम से भी जाना जाता है...

नवभारतटाइम्स.कॉम 23 Mar 2018, 3:41 pm
रामायण में लिखा है कि भगवान राम को पिता के आदेश का पालन करने के लिए 14 वर्ष तक वनवास भोगना पड़ा। वनवास के दौरान भगवान राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण और देवी सीता के चरणों से उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत भूमि पावन हो गई। देश के कई भागों में इनकी यात्रा के प्रमाण भी मिलते हैं जो देखने वालों को अचरज में डाल देते हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम sita


पत्थरों पर प्राचीन चरण चिह्न

बिहार के मुंगेर जिला में गंगा नदी के बीच में एक पत्थर पर प्राचीन चरण चिह्न मौजूद है। लोगों का मानना है कि यह चरण चिह्न देवी सीता के हैं। ऐसी कथा है कि वनवास के दौरन भगवान राम यहां मुद्गल ऋषि के आश्रम में पधारे थे। देवी सीता ने यहां मां गंगा से आशीर्वाद मांगा था कि उनका वनवास सफल हो।

देवी सीता ने किया यहां छठ व्रत
वनवास से लौटकर जब भगवान राम देवी सीता और लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे तो उनका राज्याभिषेक हुआ। देश की खुशहाली के लिए भगवान राम ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया तो वाल्मीकि ऋषि ने कहा कि यह यज्ञ मुद्गल ऋषि के बिना संपन्न नहीं हो सकता। वाल्मीकि ऋषि की सलाह पर भगवान राम देवी सीता के साथ फिर से मुद्गल ऋषि के आश्रम में पधारे। यहां भगवान राम ने मुद्गल ऋषि के साथ हवन किया और देवी सीता ने ऋषि की सलाह से सूर्यषष्ठी यानी छठ का व्रत किया। देवी ने षष्ठी के दिन डूबते सूर्य को और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया।

साल दर साल होता आ रहा यह चमत्कार
इस घटना के प्रमाण के तौर पर देवी सीता के चरण चिह्न पत्थरों पर अंकित हो गए। हर साल करीब 6 महीने यह चरण चिह्न गंगा की धारा में डूबा रहता है और जब गंगा का पानी कम होता है तो पदचिह्न साफ नजर आने लगता है। यह पदचिह्न धूमिल नहीं होता है। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी के चरण चिह्न की पूजा और छठ व्रत करने से निःसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।

अगला लेख

Astroकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर