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संतोषी माता मंदिर, यहां पीपल के पेड़ पर चुनारी बांधने से होती हैं मुरादें पूरी

मंदिर में माता की अष्ट धातु की विशाल मूर्ति है। चौबीस घंटे अखंड ज्योति जलती है। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

नवभारत टाइम्स 25 Sep 2017, 12:49 pm
हरी नगर : जेल रोड पर हरि नगर बस डिपो के पास स्थित संतोषी माता मंदिर वेस्ट दिल्ली के सबसे प्रसिद माता मंदिरों में से एक है। मंदिर में दिल्ली एनसीआर से बड़ी संख्या में लोग नवरात्र के दौरान आते है। मंदिर में इस बार 91वें नवरात्र मेले की आयोजन किया जा रहा है। खराब मौसम के बावजूद यहां न तो भक्तों के उत्साह में कोई कमी है और न ही उनकी संख्या में।
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इतिहास :
मंदिर करीब 100 साल पुराना है। इसके संस्थापक भगत शमशेर बहादुर सक्सेना हैं। जैसे-जैसे भक्तों के बीच इसकी मान्यता बढ़ती गई, मंदिर का स्वरूप भी बदलता गया। नवरात्र के दौरान भक्तों की भीड़ चरम पर होती है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां कोई पुजारी नहीं है। हर मंगलवार को मां वैष्णो देवी और हर रविवार को संतोषी माता की चौकी होती है। नवरात्र के दौरान रात 2 बजे तक दुर्गा सप्तसती का पाठ होता है। श्रद्धालुओं की मदद के लिए यहां 900 सेवादार हैं। दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक भंडारा होता है।

विशेषता : मान्यता है कि यहां संतोषी मां सहज रूप में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन देती हैं। कार्तिक और चैत्र मास मेले में 15 दिन तक चलने वाले समारोह के अलावा हर साल 4 समारोह भी यहां आयोजित होते हैं। मंदिर में माता की अष्ट धातु की विशाल मूर्ति है। चौबीस घंटे अखंड ज्योति जलती है। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। श्रद्धालु मंदिर में खड़े पीपल के पेड़ में अपनी मुरादें पूरी होने की आस में चुनरी बांधते हैं। मुराद पूरी होने पर चुनरी खोलने भी आते हैं।

मां का श्रृंगार : श्रृंगार के लिए ताजे फूलों का इस्तेमाल होता है। मां के वस्त्रों को रोजाना बदला जाता है। जूलरी, चूड़ी के डिजाइन में समय-समय पर बदलाव किया जाता है।

वीआईपी ट्रेंड नहीं : मंदिर के प्रेजिडेंट ओपी मोदी ने बताया की यहां आमिर और गरीब श्रद्धालुओं के बीच फर्क नहीं होता। सभी को लाइन में लग कर दर्शन करने होते हैं। प्रसाद और भंडारा भी ऐसे ही मिलता है।

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