1. माता रानी भगवान विष्णु के अंश से उत्पन्न हुई थीं इसलिए माता का एक नाम देवी त्रिकुटा भी है। माता का निवास स्थान यानि मां की गुफा जम्मू की त्रिकुटा पहाड़ियों पर है इसलिए माता के भवन को त्रिकुटा भवन भी कहते हैं।
2/6
जानें, मां वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े अनूठे रहस्य
2. माता रानी अन्य देवियों के साथ जिस गुफा में पिंडी रूप में विराजमान हैं उस गुफा की लंबाई करीब 98 फीट है। कृत्रिम गुफा में आने जाने के अलग-अलग रास्ते हैं। माता की प्राचीन गुफा में गंगाजल प्रवाहित होता है। भक्तजन पहले इसी से शुद्ध होकर माता के दर्शन करते थे।
3/6
जानें, मां वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े अनूठे रहस्य
3. कथा है कि माता ने भैरवनाथ को जब मारा था तो उसका शरीर गुफा के द्वार पर रह गया था जबकि सिर भैरो घाटी चला गया था। वही शरीर पत्थर रूप में आज भी गुफा के द्वार पर है जिसपर से लेटकर ही माता वैष्णो देवी के प्राचीन गुफा में प्रवेश किया जाता है।
4/6
जानें, मां वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े अनूठे रहस्य
4. कहते हैं क्षमा मांगने पर माता ने भैरवनाथ को ऊंचा स्थान प्रदान किया और कहा कि 'जो कोई भी मेरे दर्शन करने इन खूबसूरत वादियों में आएगा, वह मेरे दर्शन के बाद तुम्हारे दर्शन भी जरूर करेगा अन्यथा उसकी यात्रा पूरी नहीं कहलाएगी।' यही कारण है कि आज भी लोग माता के दर्शन के बाद भैरवनाथ के मंदिर जरूर जाते हैं।
5. माता वैष्णो देवी की गुफा का संबंध यात्रा मार्ग मे आने वाले एक पड़ाव से भी है जिसे अर्धकुंवारी कहते हैं। यहां भी एक गुफा है जिसे गर्भजून के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता यहां 9 महीने तक उसी प्रकार रहीं थीं जैसे एक शिशु माता के गर्भ में 9 महीने तक रहता है। इसलिए यह गुफा गर्भजून कहलाती है। इस गुफा से निकलकर मुक्ति प्राप्त करने की कथा है।
6/6
जानें, मां वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े अनूठे रहस्य
6. मान्यतानुसार भैरवनाथ को मोक्ष दान देने के बाद वैष्णो देवी ने तीन पिंड (सिर) सहित एक चट्टान का आकार ग्रहण किया और सदा के लिए ध्यानमग्न हो गईं। माता के ये इन तीन पिंड आदिशक्ति के तीन रूप माने जाते हैं- पहली पिंडी मां सरस्वती की है, जो ज्ञान की देवी हैं, दूसरी पिंडी मां लक्ष्मी की, जो धन-वैभव की देवी हैं और तीसरी पिंडी मां काली को समर्पित है, जो शक्ति का रूप मानी जाती हैं।