नई दिल्ली: भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। तोक्यो ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले अपने भालेबाज ने डायमंड लीग फाइनल भी जीत लिया। यह कारनामा करने वाले वह भारत के पहले एथलीट हैं, उनसे पहले किसी दूसरे भारतीय ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में पहली पोजिशन हासिल नहीं की थी।
डायमंड लीग फाइनल में नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन
फाउल के बाद पकड़ी रफ्तार
स्विजरलैंड के ज्यूरिख में हुए डायमंड लीग फाइनल में नीरज की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी। पहला थ्रो फाउल फेंकने के बाद दूसरी कोशिश में उन्होंने 88.44 मीटर दूर भाला थ्रो करके दूसरे खिलाड़ियों पर लीड बना ली थी। जो अंत तक जारी रही। तीसरे प्रयास में नीरज ने 88.00 मीटर, चौथे में 86.11 मीटर, पांचवें में 87.00 मीटर और छठे प्रयास में 83.60 मीटर दूर भाला फेंका। नीरज ने इससे पहले साल 2017 और 2018 में भी फाइनल के लिए क्वालिफाई किया था, जहां वह क्रमशः सातवें और चौथे स्थान पर थे।
म्यूजियम को दिया था भालास्विटजरलैंड के एक और शहर लुसाने में नीरज चोपड़ा ने बीते दिनों अपना सबसे बेशकीमती भाला ओलिंपिक म्यूजियम को उपहार में दे दिया था। चोपड़ा पिछले साल तोक्यो में खेलों में ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में पदक जीतने वाले भारत के पहले एथलीट बने थे। उन्होंने भाला फेक स्पर्धा में 87.58 मीटर की दूरी के साथ यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। इस संग्रहालय में 120 वर्षों का समृद्ध संग्रह है, जिसमें अभिनव बिंद्रा की 2008 बीजिंग ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली राइफल भी शामिल है। बिंद्रा 2008 में व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। ओलंपिक विरासत को संरक्षित करने के मकसद से शुरू किये गये इस संग्रहालय का प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की विरासत टीम करती है।ओलिंपिक संग्रहालय में 90,000 से अधिक कलाकृतियाँ, 650,000 तस्वीरें, 45,000 घंटे के वीडियो और 1.5 किलोमीटर लंबे ऐतिहासिक अभिलेख प्रबंधित किए जाते हैं।
डायमंड लीग फाइनल में नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन
- पहली कोशिश- फाउल
- दूसरी कोशिश- 88.44 मीटर
- तीसरी कोशिश- 88.00 मीटर
- चौथी कोशिश- 86.11 मीटर
- पांचवां कोशिश- 87.00 मीटर
- छठा कोशिश- 83.60 मीटर
फाउल के बाद पकड़ी रफ्तार
स्विजरलैंड के ज्यूरिख में हुए डायमंड लीग फाइनल में नीरज की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी। पहला थ्रो फाउल फेंकने के बाद दूसरी कोशिश में उन्होंने 88.44 मीटर दूर भाला थ्रो करके दूसरे खिलाड़ियों पर लीड बना ली थी। जो अंत तक जारी रही। तीसरे प्रयास में नीरज ने 88.00 मीटर, चौथे में 86.11 मीटर, पांचवें में 87.00 मीटर और छठे प्रयास में 83.60 मीटर दूर भाला फेंका। नीरज ने इससे पहले साल 2017 और 2018 में भी फाइनल के लिए क्वालिफाई किया था, जहां वह क्रमशः सातवें और चौथे स्थान पर थे।
म्यूजियम को दिया था भालास्विटजरलैंड के एक और शहर लुसाने में नीरज चोपड़ा ने बीते दिनों अपना सबसे बेशकीमती भाला ओलिंपिक म्यूजियम को उपहार में दे दिया था। चोपड़ा पिछले साल तोक्यो में खेलों में ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में पदक जीतने वाले भारत के पहले एथलीट बने थे। उन्होंने भाला फेक स्पर्धा में 87.58 मीटर की दूरी के साथ यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। इस संग्रहालय में 120 वर्षों का समृद्ध संग्रह है, जिसमें अभिनव बिंद्रा की 2008 बीजिंग ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली राइफल भी शामिल है। बिंद्रा 2008 में व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। ओलंपिक विरासत को संरक्षित करने के मकसद से शुरू किये गये इस संग्रहालय का प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की विरासत टीम करती है।ओलिंपिक संग्रहालय में 90,000 से अधिक कलाकृतियाँ, 650,000 तस्वीरें, 45,000 घंटे के वीडियो और 1.5 किलोमीटर लंबे ऐतिहासिक अभिलेख प्रबंधित किए जाते हैं।