ऐपशहर

9 वर्ष से काट रहे वनवास... जिद और जुनून की पराकाष्ठा से बदली जिंदगी, घरवाले पथराई आंखों से कर रहे इंतजार

Kumar Kartikeya: कुमार कार्तिकेय ने 15 साल की उम्र में जब घर छोड़ा था तो सोचकर निकले थे कि नाम बनाकर ही वापस लौटेंगे। अब उनके पास रणजी ट्रॉफी का खिताब होने के साथ ही मुंबई इंडियंस का कॉन्ट्रैक्ट भी है। यहां तक पहुंचने की उनकी कहानी संघर्ष भरी रही है।

Curated byऋषिकेश कुमार | टाइम्स न्यूज नेटवर्क 28 Jun 2022, 11:56 am
नई दिल्ली: जब मध्य प्रदेश रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) चैंपियन बनी तो पूरे राज्य में जश्न मन रहा था। इसके साथ ही यूपी के कानपुर का एक घर भी जश्न में डुबा था। वह घर था मध्य प्रदेश के स्पिनर कुमार कार्तिकेय (Kumar Kartikeya) का। जहां उम्मीद थी कि अब वह अपने घर वापस लौट आएंगे। 15 साल की उम्र में जब कार्तिकेय ने घर छोड़ने का फैसला किया था तो कहां था कि कुछ कर के ही लौटूंगा। रणजी में जीत के बाद उन्होंने कहा- 9 साल, दो महीने और तीन दिन से मैं अपने माता-पिता से नहीं मिला हूं।
नवभारतटाइम्स.कॉम kumar kartikeya


कुमार कार्तिकेय से जब पूछा गया कि क्या वह अब घर जाएंगे। इसके जवाब में बाएं हाथ के स्पिनर ने कहा, 'मुझे लगता है कि इसमें थोड़ा और समय लगेगा। मैं उनसे तभी मिलूंगा जब मेरे पास घर पर बिताने के लिए 20-25 दिन होंगे। मैंने उन्हें इतने लंबे समय से नहीं देखा है।' इतनी कम उम्र में घर छोड़ने के बारे में कार्तिकेय ने कहा, 'मैंने घर छोड़ दिया क्योंकि मैं थोड़ा जिद्दी था। हां, मैंने अपने माता-पिता से कहा था कि मैं तभी घर जाऊंगा जब मैं क्रिकेट में नाम कमाऊंगा। जब मैं दिल्ली में था तब मैंने अपनी एक टायर फैक्ट्री में भी काम किया था। वे कठिन दिन थे, लेकिन मुझे कोई पछतावा नहीं है।'
MP wins Ranji: मैदान पर आंसू नहीं, पसीना बहाने वाली बात कहने वाले गुरु चंद्रकांत पंडित क्यों रोए
घर से निकलने के बाद वह 2015 में दिल्ली गए और अपने दोस्त राधे से मिले। राधे ने द्रोणाचार्य पुरस्कार जीतने वाले संजय भारद्वाज से कार्तिकेय की मुलाकात कारई। गौतम गंभीर और अमित मिश्रा जैसे खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले भारद्वाज ने कहा, 'मैंने उन्हें नेट्स पर गेंदबाजी करने के लिए कहा था और उनकी पहली ही गेंद उनकी प्रतिभा का अंदाजा लगाने के लिए काफी थी।'
Ranji Trophy Final: सुपरस्टार्स के बिना कैसे मध्य प्रदेश ने मुंबई को रौंदा, गुरु चंद्रकांत पंडित जीत के हीरो
जब संजय भारद्वाज को पता चला कि वह हर दिन 32 किमी ट्रैवल करके ट्रेनिंग के लिए आते हैं तो कोच ने कार्तिकेय को ट्रेनिंग ग्राउंड में कूक के साथ रहने को कहा। भारद्वाज ने आगे बताया, 'उन्होंने दो साल तक अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन दिल्ली टीम में उसे जगह नहीं मिली। वह प्रतिभाशाली था, इसलिए मैं उसे घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए एक ब्रेक देना चाहता था।'

2017 में कोच ने कुमार कार्तिकेय को शहडोल डिविजन क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों से मिलवाया। एसोसिशन सिर्फ एक ही गेस्ट को खिला सकता था और कार्तिकेय को वह जगह मिल गई। 2018 में उन्हें फर्स्ट क्लास डेब्यू करने का मौका मिला। पहले मैच में उन्होंने दो विकेट लिए और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके पास मुंबई इंडियंस का आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट भी है, लेकिन देखने वाली बात है कि वह कब घर लौटते हैं।
लेखक के बारे में
ऋषिकेश कुमार
ऋषिकेश को खेल से अटूट रिश्ते ने पत्रकार बनाया। 2018 में मीडिया डेब्यू। Sportzwiki और दैनिक भास्कर एनएनआर की पिच पर बैटिंग के बाद अब NBT ऑनलाइन में छक्के-चौके उड़ा रहे। फुटबॉल के फुल टाइम और क्रिकेट के पार्ट टाइम फैन। यूरोपियन फुटबॉल में खास रुचि। टेनिस, बैडमिंटन, हॉकी के साथ कबड्डी और एथलेटिक्स भी देखना और उसके बारे में पढ़ना-लिखना पसंद। घूमने और खाने का शौक।... और पढ़ें

अगला लेख

Sportsकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग