इस पारी ने बदली धोनी की जिंदगी
जब महेंद्र सिंह धोनी पाकिस्तान के खिलाफ 2005 की वनडे सीरीज के दूसरे मैच में उतरे तो उन पर काफी दबाव था। साल 2004 में बांग्लादेश सीरीज में वह नाकाम हो चुके थे। हालांकि 123 गेंद पर 148 रनों की पारी ने उनके आलोचकों को शांत कर दिया। यह धोनी के रेकॉर्ड तोड़ करियर की शुरुआत थी।
कप्तानी सफर की शुरुआत
साल 2004 से 2007 तक धोनी के करियर में उतार-चढ़ाव आते रहे। साल 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में जब सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़ और सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ियों ने खुद को इससे अलग रखने का फैसला किया गया। धोनी को टीम की कमान सौंपी गई। और इसके बाद उनकी कप्तानी में एक युवा टीम ने पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता।
टेस्ट में नंबर वन
धोनी ने टी20 कप जितवाने के बाद भारतीय टीम को टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन पर पहुंचाया। घरेलू सीरीज में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 213 रन की पारी खेली और भारत ने ऑस्ट्रेलिया को सीरीज में 4-0 से मात दी। सचिन तेंडुलकर ने उनकी कप्तानी में खेले एक टेस्ट मैच के बाद कहा था कि ड्रेसिंग रूम का माहौल इससे बेहतर कभी नहीं रहा।
आईपीएल में कमाल
आईपीएल में भी धोनी का दम दिखा। उनकी टीम चेन्नै सुपर किंग्स अब तक हर सीजन के अंतिम चार में पहुंची है और उसने तीन बार खिताब जीता है। धोनी साल 2008 से ही चेन्नै सुपर किंग्स के साथ हैं। दो साल तक जब उनकी टीम आईपीएल में शामिल नहीं रही तब वह राइजिंग पुणे सुपर जायंट्स के लिए खेले।
वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रोफी
धोनी की कप्तानी में भारत ने साल 2011 में आईसीसी वर्ल्ड कप जीता। 28 साल बाद भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप जीता। विनिंग शॉट भी उनके ही बल्ले से निकला। इसके बाद उन्होंने साल 2013 में चैंपियंस ट्रोफी पर भी कब्जा किया। वह पहले कप्तान बने जिन्होंने तीनों आईसीसी ट्रोफी जीतीं।