मुंबई
कभी बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे शशांक मनोहर आजकल आईसीसी के हितों के लिए लड़ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वह आईसीसी के चेयरमैन हैं। हाल ही में आईसीसी का बीसीसीआई से आर्थिक हितों को लेकर छिड़ा विवाद काफी कड़वाहट में तब्दील हो गया था। इस मामले को लेकर वह बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों के निशाने पर हैं। इस बीच उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत में अपना पक्ष रखा है। पढ़ें...
बीसीसीआई के अधिकारी यह महसूस कर रहे हैं कि आईसीसी में होने के बावजूद आप भारत के हितों की रक्षा नहीं कर रहे हैं?
क्रिकेट की वैश्विक संस्था के स्वंतत्र चेयरमैन के तौर पर मैं वहां आईसीसी के हितों की रक्षा के लिए हूं। बीसीसीआई के हितों की रक्षा करने के लिए मैं उस पद पर नहीं हूं।
बीसीसीआई इस बात से नाराज है कि आईसीसी ने इंग्लैंड में आयोजित होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नमेंट के लिए लगभग 135 मिलियन डॉलर का बजट तय किया है, जबकि भारत को टी-20 विश्व कप के आयोजन के लिए महज 45 मिलियन डॉलर ही मिले थे।
135 मिलियन डॉलर गलत आंकड़ा है। 2016 के टी-20 विश्व कप के लिए 55 मिलियन डॉलर का बजट था, जिसमें प्रॉडक्शन कॉस्ट भी शामिल थी। चैंपिंयंस ट्रॉफी के लिए 46 मिलियन डॉलर का बजट तैयार किया गया है, इसमें इवेंट की प्रॉडक्शन कॉस्ट भी शामिल है। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि इंग्लैंड में ट्रैवल और ठहरने का खर्च भारत की तुलना में अधिक है।
माना जा रहा है कि आपने और आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट में टू-टियर सिस्टम का सपॉर्ट किया है। जिसका बीसीसीआई ने कड़ा विरोध किया था...
आईसीसी की चीफ एग्जिक्यूटिव्स की मीटिंग के दौरान मैंने स्पष्ट किया था कि यह द्विपक्षीय सीरीज से जुड़ा मामला है, जिसकी आईसीसी के प्लेटफॉर्म पर नहीं की जा सकती।
बीसीसीआई के लोग महसूस कर रहे हैं कि आपने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को चुनौती देने के मामले में सपॉर्ट नहीं किया।
आईसीसी इस मामले में क्या कर सकती है? लेकिन, जब कानून की बात आती है तो आईसीसी समेत सभी लोग इससे बंधे हुए हैं। हम देश की उच्चतम अदालत से ऊपर नहीं जा सकते हैं।
कभी बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे शशांक मनोहर आजकल आईसीसी के हितों के लिए लड़ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वह आईसीसी के चेयरमैन हैं। हाल ही में आईसीसी का बीसीसीआई से आर्थिक हितों को लेकर छिड़ा विवाद काफी कड़वाहट में तब्दील हो गया था। इस मामले को लेकर वह बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों के निशाने पर हैं। इस बीच उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत में अपना पक्ष रखा है। पढ़ें...
बीसीसीआई के अधिकारी यह महसूस कर रहे हैं कि आईसीसी में होने के बावजूद आप भारत के हितों की रक्षा नहीं कर रहे हैं?
क्रिकेट की वैश्विक संस्था के स्वंतत्र चेयरमैन के तौर पर मैं वहां आईसीसी के हितों की रक्षा के लिए हूं। बीसीसीआई के हितों की रक्षा करने के लिए मैं उस पद पर नहीं हूं।
बीसीसीआई इस बात से नाराज है कि आईसीसी ने इंग्लैंड में आयोजित होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नमेंट के लिए लगभग 135 मिलियन डॉलर का बजट तय किया है, जबकि भारत को टी-20 विश्व कप के आयोजन के लिए महज 45 मिलियन डॉलर ही मिले थे।
135 मिलियन डॉलर गलत आंकड़ा है। 2016 के टी-20 विश्व कप के लिए 55 मिलियन डॉलर का बजट था, जिसमें प्रॉडक्शन कॉस्ट भी शामिल थी। चैंपिंयंस ट्रॉफी के लिए 46 मिलियन डॉलर का बजट तैयार किया गया है, इसमें इवेंट की प्रॉडक्शन कॉस्ट भी शामिल है। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि इंग्लैंड में ट्रैवल और ठहरने का खर्च भारत की तुलना में अधिक है।
माना जा रहा है कि आपने और आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट में टू-टियर सिस्टम का सपॉर्ट किया है। जिसका बीसीसीआई ने कड़ा विरोध किया था...
आईसीसी की चीफ एग्जिक्यूटिव्स की मीटिंग के दौरान मैंने स्पष्ट किया था कि यह द्विपक्षीय सीरीज से जुड़ा मामला है, जिसकी आईसीसी के प्लेटफॉर्म पर नहीं की जा सकती।
बीसीसीआई के लोग महसूस कर रहे हैं कि आपने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को चुनौती देने के मामले में सपॉर्ट नहीं किया।
आईसीसी इस मामले में क्या कर सकती है? लेकिन, जब कानून की बात आती है तो आईसीसी समेत सभी लोग इससे बंधे हुए हैं। हम देश की उच्चतम अदालत से ऊपर नहीं जा सकते हैं।